अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
नाटो शिखर सम्मेलन, 2024
‘नाटो (NATO: NORTH ATLANTIC TREATY ORGANIZATION) शिखर सम्मेलन, 2024’ 9-11 जुलाई, 2024 के मध्य वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका में आयोजित किया गया।
- यह शिखर सम्मेलन नाटो की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 1949 में वाशिंगटन डी.सी. में ही ‘नाटो के संस्थापक दस्तावेज’ (NATO’s Founding document) ‘उत्तर अटलांटिक संधि’ पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- इस शिखर सम्मेलन के समापन पर वाशिंगटन शिखर सम्मेलन घोषणा-पत्र’ (Washington Summit Declaration) जारी किया गया।
- अगला नाटो शिखर सम्मेलन द हेग, नीदरलैण्ड्स में 24-26 जून, 2025 के मध्य आयोजित किया जाएगा।
13-15 जून, 2024 के मध्य इटली की अध्यक्षता में अपुलिया, इटली में 50वें G7 शिखर सम्मेलन, 2024 का आयोजन किया गया।1 जनवरी, 2024 को इटली ने जापान से G7 की अध्यक्षता ग्रहण की थी। - जबकि वर्ष 2025 में कनाडा द्वारा G7 की अध्यक्षता की जाएगी।
इस शिखर सम्मेलन में 7 ‘G7 सदस्य’ राष्ट्रों के नेताओं के अतिरिक्त यूरोपीय परिषद (European Council) के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग (European Commission) की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने भी प्रतिभाग किया। G7 के अध्यक्ष के रूप में इटली ने इस शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित कुछ कार्य-सत्रों में भाग लेने के लिए अन्य राष्ट्रों एवं अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया था। - समग्र रूप से इन कार्य-सत्रों में 12 देशों एवं 5 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के नेताओं ने भाग लिया था।
- भारत के अन्य 11 आमंत्रित देशों में अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, मिस्र, केन्या, मॉरितानिया, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ट्यूनीशिया, तुर्किए तथा U.A.E. शामिल हैं।
- भारत को 50वें G7 शिखर सम्मेलन में एक आउटरीच देश (Outreach Country) के रूप में आमंत्रित किया गया था।
- इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 जून, 2024 को G7 आउटरीच शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
G-7 जी-7, विश्व की सात सर्वाधिक औद्योगिक एवं विकसित महाशक्तियों का संगठन है। इस संगठन के सदस्य देश- संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, इटली, जर्मनी एवं जापान हैं।जी-7 का गठन 1975 में हुआ था, जब इन देशों ने वैश्विक आर्थिक संकट से निपटने के लिए एक साथ आने का फैसला किया। |
13वां विश्व व्यापार संगठन मंत्रिस्तरीय सम्मेलन
विश्व व्यापार संगठन का 13वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC 13) संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में 26 फरवरी से 2 मार्च, 2024 के मध्य आयोजित किया गया।
- सम्मेलन की अध्यक्षता संयुक्त अरब अमीरात के विदेश व्यापार राज्य मंत्री (Minister of State for Foreign Trade) डॉ. थानी बिन अहमद अल जायौदी (Dr. Thani Bin Ahmed Al Zeyoudi) द्वारा की गई।
- गौरतलब है कि विश्व व्यापार संगठन का 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (WTO MC12) 12 जून से 17 जून, 2022 के मध्य जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में आयोजित किया गया था।
WTO के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के रूप में भागीदार देशों के मंत्रियों ने दो अल्प विकसित राष्ट्रों (LDCs Least-Developed Countries) यथा- कोमोरोस (Comoros) तथा तिमोर लेस्ते (Timor-Leste) के लिए विश्व व्यापार संगठन की सदस्यता को मंजूरी प्रदान की। - इन दो अल्प विकसित देशों को विश्व व्यापार संगठन (WTO) की सदस्यता मिलने के बाद WTO की कुल सदस्य संख्या 164 से बढ़कर 166 हो जाएगी।
वर्ष 2016 में अफगानिस्तान तथा लाइबेरिया को विश्व व्यापार संगठन की सदस्यता मिलने के बाद अब वर्ष 2024 में विश्व व्यापार संगठन द्वारा दो नए राष्ट्रों का परिग्रहण (Accession) WTO के इतिहास में परिग्रहण के सबसे लंबे अंतराल (longest gap) को प्रदर्शित करता है।
CMS COP-14
- वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय के पक्षकारों के सम्मेलन की चौदहवीं (14) बैठक (CMS COP-14) का आयोजन 12 से 17 फरवरी, 2024 के मध्य उज्बेकिस्तान के समरकंद में किया गया।
- यह मध्य एशिया में आयोजित होने वाली पहली कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP-14) है।
- इस बैठक का उद्घाटन उज्बेकिस्तान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला अरिपोय (Abdulla Aripov) द्वारा किया गया।
CMS COP-14 का आयोजन “प्रकृति की कोई सीमा नहीं है” (Nature Knows No Borders) नामक स्लोगन के अंतर्गत किया गया। - ज्ञातव्य है कि वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर पक्षकारों के सम्मेलन के 13वें सत्र (CMS COP-13) का आयोजन 15 से 22 फरवरी, 2020 तक गुजरात के गांधीनगर में किया गया, जिसका केंद्रीय विषय – “Migratory Species Connect the Planet and together we welcome them home” था।
- वर्तमान में अफ्रीका, मध्य तथा दक्षिण अमेरिका एवं कैरेबियन, एशिया, यूरोप और ओशिनिया के 133 देश इस अभिसमय (CMS) के पक्षकार है।
- बैठक के दौरान विश्व की पहली प्रवासी प्रजाति रिपोर्ट “स्टेट ऑफ द वर्ड्स माइग्रेटरी स्पीशीज” (State of the World’s Migratory Species) को लांच किया गया।
- लगभग दो दशकों की अनिर्णायक वार्ता के बाद प्रवासी पक्षियों के लिए मध्य एशियाई पलाई-वे (Central Asian Flyway) के लिए समझौता हुआ, जो 30 रेंज राज्यों तक फैला हुआ है।
CMS COP-14 के दौरान ‘प्रवासी प्रजाति चैंपियन कार्यक्रम’ का आयोजन किया गया, जिसमें प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण में असावारण प्रयास और प्रतिबद्धताओं के कारण 9 चैंपियनों को मान्यता प्रदान की गई। - प्रवासी प्रजातियों हेतु चैंपियन घोषित किए जाने वालों में उज्बेकिस्तान (CMS COP-14 का मेजबान), मोनाको, भारत, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, यूरोपीय आयोग, पर्यावरण एजेंसी अबू धाबी, सऊदी अरब का राष्ट्रीय वन्यजीव केंद्र तथा प्रकृति संरक्षण के लिए जर्मन संधीय एजेंसी शामिल थे।
प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय - प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (Convention on the Conservation of Migratory Species of Wild Animals CMS) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के तहत एक पर्यावरणीय संधि है, जो बॉन कन्वेंशन के नाम से लोकप्रिय है।
- यह अभिसमय वर्ष 1979 में हस्ताक्षरित हुआ था तथा वर्ष 1983 में लागू हुआ।
- भारत वर्ष 1983 से सीएमएस (वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय) का एक पक्षकार है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जिसका उद्देश्य वैश्विक पर्यावरण की रक्षा और सतत विकास को बढ़ावा देना है। यह संयुक्त राष्ट्र की एक प्रमुख एजेंसी है जो पर्यावरणीय मुद्दों पर दुनिया भर के देशों को एक साथ लाती है। गठन: यूएनईपी की स्थापना 1972 में स्टॉकहोम, स्वीडन में आयोजित मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के बाद हुई थी। उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों को संबोधित करना और सतत विकास को बढ़ावा देना है। यह पर्यावरणीय नीतियों को विकसित करने, पर्यावरणीय जानकारी को साझा करने और पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में मदद करता है। | प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (Convention on Migratory Species – CMS) प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय (Convention on Migratory Species – CMS) एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य स्थलीय, समुद्री और उड़ने वाली प्रवासी प्रजातियों और उनके आवासों के संरक्षण और स्थायी उपयोग को सुनिश्चित करना है। इसे अक्सर बॉन कन्वेंशन भी कहा जाता है क्योंकि इस पर जर्मनी के बॉन शहर में हस्ताक्षर किए गए थे। यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के तहत आता है। भारत CMS का एक सक्रिय सदस्य है और कई प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के लिए काम कर रहा है। भारत ने CMS के परिशिष्ट I में तीन प्रजातियों को शामिल करने का प्रस्ताव दिया है। प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय वैश्विक स्तर पर प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अभिसमय देशों को एक साथ आने और इन प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए सामूहिक प्रयास करने में मदद करता है। |
19वां NAM शिखर सम्मेलन
- 19-20 जनवरी, 2024 को कम्पाला, युगाण्डा में ‘गुटनिरपेक्ष आंदोलन’ के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के 19वे शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया।
- इस शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता युगाण्डा के राष्ट्रपति यौवेरी कगुटा मुसेवेनी द्वारा की गई।
- इस शिखर सम्मेलन का केंद्रीय विषय था, “
साझा वैश्विक समृद्धि के लिए सहयोग बढ़ाना” (Deepening Cooperation for Shared Global Affluence)! - ज्ञातव्य है कि युगाण्डा वर्ष 2024-2027 तक गुटनिरपेक्ष आंदोलन का अध्यक्ष है।
- केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 19वें NAM शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमण्डल का नेतृत्व किया।
- ज्ञातव्य है कि भारत NAM के संस्थापक सदस्यों में से एक है।
- वर्तमान में NAM के सदस्य देशों की संख्या 121 है।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन
गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement) की स्थापना 18-24 अप्रैल, 1955 के मध्य आयोजित प्रथम बृहद-स्तरीय एशियाई आफ्रीकी या एफ्रो-एशियन कॉन्फ्रेंस में सहमत सिद्धांतों पर आधारित है।इस कॉन्फ्रेंस को बाण्डुंग कॉन्फ्रेंस (Bandung Conference) के लोकप्रिय नाम से जाना जाता है।
उल्लेखनीय है कि इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन बाण्डुंग, इण्डोनेशिया में संपन्न हुआ था।बाण्डुंग कॉन्फ्रेंस में सहमत सिद्धातों के आधार पर गुटनिरपेक्ष आंदोलन को वर्ष 1961 में बेलग्रेड, तत्कालीन गूगोस्लाविया में आयोजित प्रथम शिखर सम्मेलन में औपचारिक रूप से स्थापित किया गया था।इस प्रथम शिखर सम्मेलन में भारत सहित 25 देश शामिल हुए थे।
CoP-28 : संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन, 2023
- 30 नवंबर से 12 दिसंबर, 2023 के मध्य दुबई (संयुक्त अरब अमीरात) में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन (United Nations Climate Change Conference), 2023 का आयोजन किया गया।
- आधिकारिक रूप से यह UNFCCC के पक्षकारों के सम्मेलन का 28वां सत्र (CoP-28) था।
- सुल्तान अहमद अल जावेर (Sultan Ahmed Al Jaber) को दुबई में आयोजित CoP-28 की अध्यक्षता सौंपी गई थी।
- CoP-28 ऐतिहासिक रहा, क्योकि इस सम्मेलन में पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए वैश्विक प्रयासों के प्रथम ‘वैश्विक स्टॉकटेक’ (Global stocktake) पर सहमति बनी।
- वैश्विक स्टॉकटेक एक ऐसी प्रक्रिया है, जो देशों/हितधारकों को पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में उनकी सामूहिक प्रगति के आकलन में सक्षम बनाती है।
- वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जनों में वर्ष 2019 के स्तरों की तुलना में वर्ष 2030 तक 43% की कटौती करनी होगी, ताकि वैश्विक तापन (Global warming) को 1.5°C तक सीमित किया जा सके।
- वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा की वैश्विक स्थापित क्षमता को तिगुना करने में योगदान हेतु सभी देशों से सर्वसम्मत समझौता करने का आह्वान किया गया है।
- वर्ष 2030 तक विश्व की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को न्यूनतम 11000 GW तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- वर्ष 2030 तक प्रत्येक वर्ष ऊर्जा दक्षता सुधार की वैश्विक औसत वार्षिक दर को 2% से दो गुना कर 4% से अधिक करने का भी आह्वान किया गया है।
➡ CoP-28 के दौरान आयोजित ‘वैश्विक जलवायु कार्यवाही शिखर सम्मेलन’ (World Climate Action Summit) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिस्सा लिया। - यह सम्मेलन 12 दिसंबर, 2023 को आयोजित किया गया।
- भारत द्वारा वर्ष 2028 में आयोजित होने वाले CoP-33 की मेजबानी की पेशकश की गई है, यदि UNFCCC के हस्ताक्षरकर्ताओं से इस पेशकश पर स्वीकृति प्राप्त हो जाती है, तो यह वर्ष 2002 के बाद दूसरा CoP होगा, जिसका आयोजन भारत में किया जाएगा।
- CoP-28 के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ग्रीन क्रेडिट पहल’ का शुभारंभ किया।
- यह पर्यावरण के लिए जीवनशैली’ (Lifestyle for Environment) अभियान के तहत भारत सरकार की एक पहल है।
- यूनिसेफ एवं ‘जेनरेशन अनलिमिटेड’ द्वारा भारत के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सहयोग से 8 दिसंबर, 2023 को दुबई में कॉप-28 के दौरान “ग्रीन राइजिंग पहल” (Green Rising Initiative) का शुभारंभ किया गया।
- इस पहल का उद्देश्य विश्वभर में युवाओं को विभिन्न हरित पहलों में भागीदारी करने तथा अपने आप को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल बालने के लिए प्रोत्साहित करना है।
- ग्लोबल रिवर सिटीज एलायंस को जल शक्ति मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) के नेतृत्व में CoP-28 के दौरान लांच किया गया।
- ग्लोबल रिवर सिटीज एलायंस स्थायी शहरी नदी प्रबंधन, नदी संरक्षण और सतत जल प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण वैश्विक पहल है।
- इस एलायंस में 11 देशों के 275 से अधिक नदी शहर भागीदार है।
- भारत सहित कुल 11 देश (भारत, मिस्र, नीदरलैण्ड्स, डेनमार्क, घाना, ऑस्ट्रेलिया, भूटान, कंबोडिया, जापान, हंगरी और संयुक्त राज्य अमेरिका) इसमें शामिल हैं।
- 16 नवंबर, 2023 को संयुक्त अरब अमीरात द्वारा CoP-28 से पूर्व विश्व के सबसे बड़े एकल-साइट सौर ऊर्जा संयंत्र ‘अल धफरा सोलर फोटोवोल्टेइक इण्डिपेण्डेंट पॉवर प्रोजेक्ट’ (Al Dhafra Solar Photovoltaic Independent Power Project) का उद्घाटन किया गया।
- इस संयंत्र की क्षमता 2 गीगावॉट है।
CoP-29 का आयोजन नवंबर, 2024 में अजरबैजान में किया जाएगा।
जबकि CoP-30 का आयोजन नवंबर, 2025 में ब्राजील में प्रस्तावित है।
GPAI शिखर सम्मेलन, 2023
- 12-14 दिसंबर, 2023 के मध्य भारत मण्डपम, नई दिल्ली में GPAI शिखर सम्मेलन, 2023 का आयोजन किया गया।
- ज्ञातव्य है कि वर्ष 2023-24 की अवधि के लिए भारत GPAI परिषद का अध्यक्ष (Lead Chair) है।
- इस शिखर सम्मेलन के दौरान GPAI पर नई दिल्ली घोषणा-पत्र’अंगीकृत किया गया।
- GPAI परिषद (GPAI Council) एक मंत्रिस्तरीय निकाय (Ministerial-level body) है, जिसमें सभी सदस्य शामिल हैं।
GPAI ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक साझेदारी’ (GPAI Global Partnership on Artificial Intelligence) एक अंतरराष्ट्रीय और बहु-हितधारक (Multi-stakeholder) पहल है। यह सदस्य राष्ट्रों के बीच कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने के लिए एक वैश्विक साझेदारी है। GPAI को आधिकारिक तौर पर 15 जून, 2020 को लांच किया गया। GPAI के सचिवालय की स्थापना पेरिस स्थित ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD: Organisation for Economic Cooperation & Development) में में की की गई है। वर्तमान में GPAI के सदस्यों की कुल संख्या 29 है। इसके अतिरिक्त ‘OECD’ GPAI में स्थायी पर्यवेक्षक (Permanent observer) की भूमिका निभा रहा है। दिसंबर, 2020 में यूनेस्को (UNESCO) भी GPAI में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हुआ। |
GPAI के शिखर सम्मेलन
(a) पहला शिखर सम्मेलन 3-4 दिसंबर, 2020 (कनाडा के मॉण्ट्रियल में)
(b) दूसरा शिखर सम्मेलन 11-12 नवंबर, 2021 (पेरिस, फ्रांस में)
(c) तीसरा शिखर सम्मेलन 21-22 नवंबर, 2022 (टोक्यो, जापान में)
COP-5 : मिनामाता अभिसमय पर पांचवीं बैठक
- 30 अक्टूबर 3 नवंबर, 2023 के नध्य जेनेवा, स्विट्जरलैण्ड में पारे (Mercury) पर मिनामाता अभिसमय के पक्षकारों के सम्मेलन की पांचवीं बैठक (COP-5 Fifth Meeting of the Conference of the Parties to the Minamata Convention on Mercury) का आयोजन किया गया।
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Program) के तत्वावधान में आयोजित COP-5 की अध्यक्षता क्लाउडिया दुमित्रु (Claudia Dumitru) द्वारा की गई, जो रोमानिया देश से संबंधित हैं।
- मिनामाता अभिसमय के अंगीकरण की 10वीं वर्षगांठ के अवत्तर पर 29 अक्टूबर, 2023 को मिनामाता फिल्म का प्रत्तारण किया गया. जिसके निर्देशक एण्ड्रयू लेविटास (Andrew Levitas) हैं।
- मिनामाता कन्वेंशन (COP-6) के पक्षकारों के सम्मेलन की अगली बैठक चिली की अध्यक्षता में 3-7 नवंबर 2025 के मध्य जेनेवा में आयोजित की जाएगी।
- COP-6 की अध्यक्षता ओस्वाल्डो पेट्रीसियो अल्वारेज पेरेज (Osvaldo Patricio Alvarez Perez) द्वारा की जाएगी।
- पारे पर मिनामाता कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणीय संघि (International Environmental Treaty) है, जिसका उद्देश्य पारा और उसके यौगिकों के हानिकारक प्रभावों से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा करना है।
- इस संधि को वर्ष 2013 में अपनाया गया तथा यह 16 अगस्त, 2017 को लागू हुई।
- भारत, मिनामाता अभिसमय का एक पक्षकार है।
- भारत ने वर्ष 2018 में मिनामाता अभिसमग का अनुसमर्थन (Ratification) किया था।
मिनामाता रोग
मनुष्यों में मिनामाता रोग पहली बार वर्ष 1956 में जापान में देखा गया था। यह एक न्यूरोलॉजिकल सिण्ड्रोम (Neurological Syndrome)है, जो गंभीर पारा विषाक्तता (Mercury poisoning) के कारण होता है। मिनामाता रोग में मेथिल मरकरी के कारण मुख्यतः केंद्रीय तंत्रिका तंत्र प्रभावित हो जाता है। |
प्रथम वैश्विक AI सुरक्षा शिखर सम्मेलन
- 1 और 2 नवंबर, 2023 को यू.के. के ब्लेचले पार्क (Bletchley Park) में वैश्विक कृत्रिम बुद्धिमत्ता सुरक्षा शिखर सम्मेलन (Global Artificial Intelligence Safety Summit) के प्रथम संस्करण का आयोजन किया गया।
- इस शिखर सम्मेलन में भारत सहित विश्वभर के 28 देशों तथा यूरोपीय संघ (European Union) ने हिस्सा लिया।
- शिखर सम्मेलन में शामिल 28 प्रमुख देशों ने इस शिखर सम्मेलन में ब्लेचले घोषणा (Bletchley Declaration) पर हस्ताक्षर किया।
- यह ऐतिहासिक घोषणा उन्नत AI सिस्टम, जिसे फ्रंटियर AI के रूप में जाना जाता है, के संभावित जोखिमों एवं लाभों को संबोधित करने के लिए एक सामूहिक समझ और समन्वित दृष्टिकोण बनाने का प्रयास करती है।
- ब्लेचले घोषणा फ्रंटियर AI जोखिम से निपटने हेतु पहला वैश्विक समझौता (First Global Agreement) है और यह विश्व के प्रमुख AI प्रयोक्ताओं के बीच उच्च स्तरीय राजनीतिक सहमति तथा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- इस शिखर सम्मेलन के दौरान 2 नवंबर 2023 को यूके में विश्व के प्रथम AI सुरक्षा संस्थान (World’s first Al Safety Institute) को लाप किया गया।
- यह सल्यान AI के उभरते हुए मकारों की सुरक्षा का परीक्षन
- ज्ञातव्य है कि ब्लेचले पार्क वहीं ऐतिहासिक स्थल है. जहां एतन ट्यूरिंग (Alan Turing) सहित अन्य वैज्ञानिकों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी के नाजियों (Nazis) के एनिग्मा कोड (Enigma Code) को कैक (Crack) किया था। এব
- कोलोसस जिसे विश्व का पहला इलेक्ट्रॉनिक प्रोग्राम-चोग्य कंप्यूटर (First Electronic Programmable Computer) माना जाता है कर उपयोग यूके के बकिंघमशायर स्थित स्लेचले पार्क में द्वितीय विश्व युद के दौरान हिटलर एवं उसके जनरलों के बीच ‘लॉरेंज कूटलेखित संदेशों (Lorenz encrypted messages) को पढ्ने (Decipher) के लिए किया गया था।
- इस शिखर सम्मेलन में भारत की ओर से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्कालीन राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने हिस्सा लिया।
- भारत ने इस शिखर सम्मेलन में शामिल राष्ट्रों को भारत की अध्यक्षता में आयोजित आर्टिफिशियल इंटेलिजेस पर वैश्विक साझेदारी (Global Partnership on Artificial Intelligence GPAI) शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सुरक्षा शिखर सम्मेलन के अगले संस्करण की मेजबानी फ्रांस को सौंपी गई है।
G-77+चीन शिखर सम्मेलन
- G-77+चीन शिखर सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस सहित कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने भाग लिया।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 1964 में G-77 के गठन के पश्चात भारत ने ही पहली बार इसकी अध्यक्षता की थी।
- ज्ञातव्य है कि 21-22 जनवरी, 2024 को G-77 के सदस्य देशों एवं चीन के शासनाध्यक्षों/ राष्ट्राध्यक्षों का तीसरा दक्षिण शिखर सम्मेलन (Third South Summit) कम्पाला, युगाण्डा में आयोजित हुआ।
G-77
- G-77 (ग्रुप ऑफ 77) की स्थापना 15 जून, 1964 को 77 विकासशील देशों द्वारा की गई थी।
- ध्यातव्य है कि G-77 संयुक्त राष्ट्र में विकासशील देशों का सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन है।
- भारत G-77 के सदस्यों में शामिल है।
18वां G-20 शिखर सम्मेलन, 2023
9-10 सितंबर, 2023 को भारत मण्डपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में 18वें G-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन संपन्न हुआ।
*यह भारत द्वारा आयोजित किया गया प्रथम G-20 शिखर सम्मेलन था। - भारत की G-20 अध्यक्षता के तहत भारत के 60 शहरों में लगभग 200 बैठकें आयोजित की गई, जिनमें। लाख से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
- उत्तर प्रदेश के लखनऊ, वाराणसी, आगरा तथा ग्रेटर नोएडा में भी G-20 से संबंधित बैठकों का आयोजन किया गया।
➡ G-20 शिखर सम्मेलन, 2023 एवं संबंधित आयोजनों हेतु भारत ने अमिताभ कांत को G-20 शेरपा एवं हर्ष वर्धन श्रृंगला को मुख्य समन्वयक (Chief Coordinator) नियुक्त किया था। - भारत ने अपनी G-20 की अध्यक्षता के दौरान अतिथि देशों (guest countries) के रूप में बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैण्ड्स, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन तथा UAE को आमंत्रित किया था।
- 18वें G-20 शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणाम (Outcome) के रूप में सदस्य देशों द्वारा सर्वसम्मति से ‘G-20 नई दिल्ली लीडर्स घोषणा-पत्र (G-20 New Delhi Leaders’ Declaration) को अंगीकृत किया गया।
अफ्रीकी संघ G-20 का स्थायी सदस्य
➡ 18वें G20 शिखर सम्मेलन के दौरान 9 सितंबर, 2023 को अफ्रीकी संघ (AU African Union) G-20 समूह का स्थायी सदस्य (Permanent member) बन गया।
- यूरोपीय संघ के बाद G-20 में शामिल होने वाला यह दूसरा क्षेत्रीय गुट (regional bloc) है।
➡ वर्ष 1999 में G-20 की स्थापना के बाद से यह पहला अवसर है. जब इस समूह की सदस्यता का विस्तार किया गया है। - वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन का शुनारंभ
18वें G-20 शिखर सम्मेलन, 2023 से इतर 9 सितंबर, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर, बांग्लादेश, इटली, अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, मॉरीशस तथा UAE के नेताओं के साथ मिलकर वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन’ (GBA Global Biofuel Alliance) का शुभारंभ किया। - वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन’, G-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत की एक पहल है।
- इस गठबंधन का लक्ष्य जैव ईंधन के वैश्विक विकास में तेजी लाना है।
- यह गठबंधन ज्ञान के एक केंद्रीय संग्रह (central repository) और विशेषज्ञ केंद्र के रूप में भी कार्य करेगा।
- GBA सदस्य जैव ईंधनों के प्रमुख उत्पादक एवं उपभोक्ता है।
- अमेरिका (52%), ब्राजील (30%) और भारत (3%) का वैश्विक इथेनॉल उत्पादन में लगभग 85 प्रतिशत, जबकि उपभोग (consumption) में लगभग 81 प्रतिशत का योगदान है।
- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा
- 9 सितंबर, 2023 को G-20 शिखर सम्मेलन, 2023 के दौरान भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, UAE, फ्रांस, जर्मनी, इटली एवं यूरोपीय संघ के नेताओं के मध्य ‘भारत मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC India-Middle East-Europe Economic Corridor) की त्त्वापना हेतु एक समझौता ज्ञापन (MoU) हस्ताक्षरित हुआ। • उल्लेखनीय है कि IMEC को चीन के ‘बेल्ट एण्ड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) के प्रत्युत्तर के रूप में देखा जा रहा है।
- IMEC एशिया, अरब की खाड़ी (Arabian Gulf) एवं यूरोप के मध्य विस्तारित कनेक्टिविटी एवं आर्थिक एकीकरण के माध्यम से आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेगा।
- इससे भारत, UAE, सऊदी अरब, जॉर्डन, इस्राइल एवं यूरोप के मध्य वस्तुओं एवं सेवाओं का पारगमन सुनिश्चित होगा।
- 18वें G-20 शिखर सम्मेलन के समापन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो *लूला-डी-सिल्या को अध्यक्षता का गेवल (gavel) सौंप दिया।
19वां G-20 शिखर सम्मेलन वर्ष 2024 में रियो डी जनेरियो, ब्राजील में आयोजित होगा।
भारत की G-20 अध्यक्षता
- भारत 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक G-20 का अध्यक्ष था।
- भारत की G-20 की अध्यक्षता “वसुधैव कुटुंबकम” या “एक पृथ्वी. एक कुटुंब. एक भविष्य” (One Earth. One Family. One Future) के केंद्रीय विषय (Theme) पर आधारित थी।
- यह विषय महा उपनिषद के प्राचीन संस्कृत पाठ से लिया गया है।
- भारत की अध्यक्षता में G-20 का लोगो (Logo) भारत के राष्ट्रीय ध्वज के जीवंत रंगों ‘केसरिया’ (Saffron), सफेद, हरा और नीला से प्रेरित है।
- इस लोगो में भारत के राष्ट्रीय पुष्प ‘कमल’ (Lotus) के साथ पृथ्वी (Earth) को दर्शाया गया है, जो चुनौतियों के बीच विकास को प्रदर्शित करता है।
- पृथ्यी जीवन के प्रति भारत के पर्यावरण अनुकूल दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसका प्रकृति के साथ पूर्ण सामंजस्य है।
- कमल की सात पंखुड़ियां सात महाद्वीपों एवं सात सार्वभौमिक संगीत के स्वरों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- G-20 लोगो के नीचे ‘देवनागरी’ लिपि में “भारत” लिखा हुआ है।
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