आईएएस इंटरव्यू के लिए सम्प्रेषण कला कैसी होनी चाहिए
साधारण शब्दों में, सम्प्रेषण कला वह कला है जिसके माध्यम से आपस में संपर्क स्थापित करते है। इस अर्थ यह है कि यह वह कला है जिससे कि हम अपने मन की बात दूसरों को कह पाते है। इसमें दोनों शाब्दिक सम्प्रेषण तथा गैर-शाब्दिक सम्प्रेषण शामिल है अर्थात भाषा एवं शारीरिक हाव-भाव की
अच्छी सम्प्रेषण कला के लिए सबसे पहली तथा सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है- आपका अच्छा श्रोता होना। अक्सर उम्मीदवार, सुनने से अधिक, उत्तर देने में ज्यादा उत्सुक होते है। जिसके परिणामस्वरूप वे प्रश्न को भली भांति सुन एवं समझ नहीं पाते हैं तथा उस प्रश्न के उद्देश्य को पहचान नहीं पाते है। उस प्रश्न में छुपे जाल में फंस जाते है।
शब्दज्ञान
आप सदैव मन में इस बात को ध्यान में रखें कि यह आपकी भाषागत क्षमताओं अथवा शब्दज्ञान की परीक्षा नहीं है। व्यक्तित्व परीक्षा के दौरान भाषा की परीक्षा केवल आपके सम्प्रेषण के साधन के रूप में ही की जानी है। इसका कोई और अन्य उध्देश्य नहीं होता है। अत, आपको बोर्ड को अपनी शब्दावली के गहन ज्ञान अथवा आलंकारिक भाषा का परिचय देकर प्रभावित करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, यदि फिर भी आप भाषा पर अधिकार रखते है और आपका शब्दज्ञान अच्छा है तथा आपके पास वाक्यांशों तथा भावों की निधि है तो आप इसका उपयोग कर सकते है, परन्तु ध्यान रखें कि यह एक सीमा के भीतर ही हो।
आप सम्प्रेषण हेतु जिस भाषा का उपयोग करें, आपके पास उस भाषा का अच्छा शब्द-संग्रह होना चाहिए। अक्सर, हम कुछ शब्दों को आपस में पर्यायवाची मान लेते है जबकि ऐसा नहीं होता। दो शब्दों के भाव, अर्थ तथा उपयोग में लिए जाने के संदर्भ में बहुत महीन एवं सूक्ष्म अंतर होता है। यदि किसी को इसकी जानकारी नहीं है और वह एक ऐसे शब्द का उपयोग करता है, जो प्रथमतय उसी शब्द का पर्यायवाची प्रतीत होता है, लेकिन अलग भाव होने के कारण, अर्थ का अनर्थ होने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
दूसरा, कई बार ऐसा होने लगता है कि उचित शब्द की तलाशमें व्यक्ति बोलते समय हड़बड़ा जाता है, उदाहरण के लिए यदि व्यक्ति अंग्रेजी में बातचीत कर रहा है और बीच में किसी अंग्रेजी शब्द के ज्ञान के अभाव में यदि वह हिन्दी का अथवा किसी स्वदेशी भाषा के शब्द का उपयोग करता है तो वहां कैज्जा विश्वास खो सकता है। व्यक्तित्व परीक्षा के दौरान, किए गए शब्दों का चयन. अभ्यर्थी के विश्लेषण में अहम भूमिका निभाता है। अतः, आपको इसकी अच्छी तैयारी करनी चाहिए। इसका ज नहीं है कि आपको साहित्यिक भाषा का ज्ञान होना चाहिए तथा इसका उपयोग करना चाहिए लेकिन आपकी भाषा प्रभावशाली होना चाहिए। साथ ही, आपको तकनीकी शब्दावली तथा विषयों है विशिष्ट शब्दावली का भी अच्छा ज्ञान होना अपेक्षित है।
ध्यान देने योग्य बातः कभी भी बोर्ड को यह दर्शाने का प्रयास न करें कि आपका भाषा-विहान शब्दज्ञान तथा भाषागत ज्ञान उन से बेहतर है।
अपने शब्दभंडार को और अधिक समृध्द बनाने का सबसे बढ़िया तरीका है कि आपकी तैयारी में आपका शब्दकोष इसका एक अभिन्न अंग हो। जब भी पढते समय आप कोई नए शब्द को देखें तो इसक रेखांकित कर लें अथवा यदि आप कोई नया शब्द सुनें तो इसे लिख लें तथा इसका अर्थ शब्दकोष में देखें इसके पश्चात ही आप इसे ध्यान में रखते हुए इसे अपने उत्तर अथवा बातचीत के दौरान उपयोग में लें।
शब्दों के उपयोग में मितव्ययता
आपको शब्दों के उपयोग में बहुत मितव्ययी होना चाहिए। आप जो भी कहें, संक्षेप में कहने का प्रयास करें। किसी भी व्यक्ति के लिए, यह बहुत आनंदमयी एवं सुखद अवसर होता है यदि आप उसे अल्पावधि तथा अल्प शब्दों में अपनी बात समझा सकें।
आपकी आवाज की प्रबलता एवं गति
इन दोनों का मानदंड एक ही है मध्यम स्तर का उपयोग। अपने आवाज की रिकार्डिंग सुनकर आप इसकी गुणवत्ता में सुधार कर सकते है।
उच्चारण
यहां आपको बहुत अधिक परिश्रम की आवश्यकता नहीं है। याद रखिए, आप यू एस (US) अथवा यू के (UK) में किसी जन सम्पर्क की नौकरी हेतु आवेदन नहीं कर रहें है। इस हेतु जिसे मैं ‘स्वीकार्यता का स्तर कहता हूं, उसके भीतर की गई कोई भी गलती का कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन आपकी भूल ‘भयंकर’ की श्रेणी में न आती हो। अपनी तैयारी के दौरान, मैं कम से कम ऐसे दो व्यक्तियों को जानता हूं जो ‘केमेस्ट्री’ शब्द का उच्चारण “के” के स्थान पर ‘च शब्द से करते थे। अतः आवश्यक है कि आप अधिक से अधिक टीवी चर्चाएं देखें तथा समाचारवाचकों को ध्यान से सुनें। इस हेतु आप फिल्म कलाकारों तथा के साक्षात्कार भी देख सकते है।
धाराप्रवाहिता तथा स्वराघात (Fluency and Accent)
आपकी बातचीत में धाराप्रवाहिता होनी चाहिए। बोलते समय बीच में बार बार न रूके। अपनी धाराप्रवाहिता में सुधार लाने के लिए, एक प्रभावी, उपाय यह है कि आपके पास उस विषय पर बोलने के लिए इंटरव्यू में होता होनी चाहिए। यदि आपके मन के विचार पूरी तरह से स्पष्ट होंगे तो आपको उत्तर देते समय सकने की सोचने की अथवा बीच में ही विचार परिवर्तन करने की आवश्यकता नहीं रहेगी।
साथ ही आप जिस भाषा का उपयोग कर रहें हो उसमें आपका स्वराघात बहुत अच्छा होना चाहिए। इसका अर्थ यह नहीं है कि आप एक अच्छे वक्ता हो अथवा एक अच्छे नेता के समान वाक्क्षमता रखते हो। कोई भी भाषा यदि उचित स्वराघात से बोली जाए तो वह कर्णप्रिय होती है तथा इसी कारणवश आप अपने विचारों को उचित, सही तथा सरल ढंग से समझाकर बेहतर अंक प्राप्त कर सकते है। इस गुण में भी आप चर्चा तथा साक्षात्कार सुनकर सुधार कर सकते है।
भाषा तथा शब्दों का चयन
सही शब्दों के चयन हेतु अधिकारिक प्रवक्ताओं जैसे सरकारी मंत्रालय के सचिव सरकारी प्रवक्ता, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर इत्यादि को बोलते हुए सुने। शब्दचयन के मामले में वे बहुत ही अनुशासित तथा पक्के होते है।