उत्तर प्रदेश एक नजर में
*उत्तर प्रदेश का आकार लम्बयत है तथा इसकी पूरब से पश्चिम की लम्बाई 650 किलो मीटर है जबकि उत्तर से दक्षिण की लम्बाई 240 किलो मीटर है।
* पूरे भारत का क्षेत्रफल 3287263 वर्ग किमी. है जबकि उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल 2 लाख 40 हजार 928 वर्ग किमी है जो भारत के क्षेत्रफल का 7.33% है। • उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 19 करोड़ 98 लाख 12 हजार 341 है। जो पूरे भारत की जनसंख्या का 16.51% है।
* उत्तर प्रदेश का सबसे पूर्वी जिला – बलिया
* उत्तर प्रदेश का सबसे पश्चिमी जिला – शामली
* उत्तर प्रदेश का सबसे उत्तरी जिला – सहारनपुर
* उत्तर प्रदेश का सबसे दक्षिणी जिला- सोनभद्र
उत्तर प्रदेश की सीमाओं से निम्नलिखित राज्य लगे हैं-
1 हिमांचल प्रदेश 2.छत्तीशगढ़ 3. उत्तराखण्ड 4.मध्य प्रदेश 5. बिहार
6. राजस्थान 7. झारखण्ड 8. हरियाणा
नोट : एक केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली तथा एक मात्र देश नेपाल लगा हुआ है)
* उत्तर प्रदेश का सर्वाधिक वर्षा वाला जिला –गोरखपुर
*उत्तर प्रदेश का सबसे कम वर्षा वाला जिला –मथुरा
*उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला – लखीमपुर खीरी
*उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला –हापुड़
*जनसंख्या घनत्व की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला –गाजियाबाद
*जनसंख्या घनत्व की दृष्टि से सबसे छोटा जिला – गौतमबुद्ध नगर
*साक्षरता की दृष्टि से सबसे छोटा जिला –श्रावस्ती
जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला –प्रयागराज
जनसंख्या की दृष्टि से सबसे छोटा जिला –महोबा
* उत्तर प्रदेश का राजकीय चिन्ह – एक वृत के अन्दर दो मछलियाँ (अवध में मुस्लिम शासन का प्रतीक) और धनुष बाण (1938 को स्वीकृत)
उ० प्र० का राजकीय
*पशु – बारहसिंघा (रकुवर्स डुआकुली)
*पक्षी– सारस (ग्रुस एन्टीगोन)
*पुष्प– पलाश या टेसू (ब्यूटिया मोनोस्पर्मा)
*वृक्ष -अशोक (सरसा)
*भाषा – हिन्दी (1947), द्वितीय उर्दू (1989)
खेल – हाकी
उत्तर – प्रदेश का नामकरण का इतिहास
*1836-1877 (उत्तर पश्चिम)
*1877-1937 (अवध एवं आगरा प्रांत)
*1937-1950 (संयुक्त प्रांत)
*1950- अब तक (उत्तर प्रदेश)
*उत्तर प्रदेश दिवस 24 जनवरी को मनाया जाता है। जिसकी घोषणा 2015 में की गई। 2018 में पहली बार उ० प्र० दिवस मनाया गया।
*उत्तर प्रदेश राज्य का पुनर्गठन – 1 नवंबर 1956 उ० प्र० का विभाजन 9 नवंबर 2000 को हुआ *जिसमें 13 जिलों को अलग करके एक पृथक राज्य “उत्तरांचल” (2007 में नाम बदलकर उत्तराखंड किया गया) बनाया गया है।
उत्तर प्रदेश की सीटें
लोक सभा सीटें– 80
राज्य सभा सीटें सभा– 31
विधान सभा सीटें – 403
विधान परिषद सीटें– 100
न्यायपालिका – इलाहाबाद उच्च न्यायालय
खण्डपीठ – लखनऊ
*विश्व के केवल 4 राष्ट्र की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। (चीन, भारत,
* संयुक्त राज्य अमेरिका और इंडोनेशिया)
*जनसंख्या घनत्व – प्रति एक वर्ग किलो मीटर में रहने वाले व्यक्तियों की संख्या किसी देश का / किसी राज्य का / किसी जिले का जनसंख्या घनत्व कहलाता है। उ० प्र० का जनसंख्या घनत्व 829 व्यक्ति प्रति किमी. है।
2001 – 11 के दौरान औसत दशकीय वृद्धि 20.22%
उ० प्र० के राजधानियों का सफर –
*1858 तक – आगरा
*1858-1921- इलाहाबाद
*1921 से अब तक –लखनऊ
*उत्तर प्रदेश का वर्तमान राजधानियाँ
*विधायी प्रशासन राजधानी- लखनऊ
*न्यायिक राजधानी –प्रयागराज
*धार्मिक राजधानी- वाराणसी
*औद्योगिक एवं आर्थिक राजधानी- कानपुर
* उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले है, जिसमें 75 वाँ जिला सम्भल है।
उत्तर प्रदेश से लगे हुए राज्यों से लगे हुए जिले
*उत्तराखंड – 7
सहारनपुर
मुज्जफरनगर
मुरादाबाद
बिजनौर
रामपुर
बरेली
पीलीभीत
बिहार-7
महाराजगंज
कुशीनगर
देवरिया
बलिया
गाजीपुर
चंदौली
सोनभद्र
झारखंड -1
सोनभद्र
छत्तीसगढ़ -1
सोनभद्र
मध्य प्रदेश -11
सोनभद्र
मिर्जापुर
प्रयागराज
चित्रकूट
बंदा
महोबा
ललितपुर
झाँसी
जालौन
इटावा
आगरा
नेपाल -7
पीलीभीत
लखीमपुर
बहराइच
श्रावस्ती
बलरामपुर
सिद्धधर्थनगर
महराजगंज
राजस्थान -2
आगरा
मथुरा
हरियाणा – 6
मथुरा
अलीगढ
गौतमबुद्धनगर
शामली
सहारनपुर
दिल्ली -2
गाज़ियाबाद
गौतमबुद्धनगर
- उत्तर प्रदेश की सीमाओं से लगने वाले राज्यों में से सबसे लंबी सीमा रेखा वाला राज्य – मध्य प्रदेश तथा सबसे छोटी सीमा रेखा वाला राज्य – हिमाचल प्रदेश
- ललितपुर सोनभद्र उ० प्र० का एकमात्र ऐसा जिला है जो 4 राज्यों को स्पर्श करता है: (बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश) ऐसा जिला है जो तीन ओर से मध्य प्रदेश से घिरा है।
- उत्तर प्रदेश की सीमाओं से लगने वाले राज्यों में से सबसे लंबी सीमा रेखा वाला राज्य – मध्य प्रदेश तथा सबसे छोटी सीमा रेखा वाला राज्य – हिमाचल प्रदेश
- उत्तर प्रदेश में कुल 17 नगर निगम है, 17वाँ नगर निगम शाहजहाँ को बनाया गया है।
- लखनऊ 2. गाजियाबाद 3. आगरा 4. अलीगढ़ 5. इलाहाबाद 6. कानपुर नगर 7. वाराणसी 8. सहारनपुर 9. मेरठ
- फिरोजाबाद 11. गोरखपुर 12. फैजाबाद 13. बरेली 14. मथुरा 15. शाहजहांपुर 16. झाँसी 17. मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश में कुल 18 मण्डल है, जिसमें 18 वाँ मण्डल अलीगढ़ को बनाया गया।
- आगरा मंडल- आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा
- अलीगढ मंडल- अलीगढ, इटाह, हाथरस, कासगंज
- इलाहाबाद मंडल-इलाहबाद फतेहपुर, कौसंबी, प्रतापगढ़
- आजमगढ़ मंडल- आजमगढ़, बलिया, मऊ
- बरेली मंडल- बदायन, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर
- बस्ती मंडल- बस्ती, संत कबीर नगर, सिदार्थ नगर
- चित्रकूट मंडल-चित्रकूट, बाँदा, हमीरपुर, महोबा
- देवी पाटन मंडल- बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, श्रावस्ती
- फैजाबाद मंडल- अम्बेडकरनगर, बाराबंकी, फैज़ाबाद, सुल्तानपुर, अमेठी
- गोरखपुर मंडल- ट्रेवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराज गंज
- झाँसी मंडल- जालौन, झाँसी, ललितपुर
- कानपुर मंडल – औरैया, इटावा, फर्रुखाबाद, कन्नोज, कानपुर, देहट, कानपुर नगर,
- लखनऊ मंडल- हरदोई, लखीमपुर् खेड़ी, लखनऊ, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव 14. मेरठ मंडल- बागपत, बुलंदशहर, गौतमबुध नग्र, गाज़ियाबाद, मेरठ, हापुर
- मिर्ज़ापुर मंडल- मिज़ापुर, संत रविदास नगर, सोनभद्र
- मुरादाबाद मंडल- बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, संभल
- सहारनपुर मंडल- मुजफ्फर नगर, सहारनपुर, शामली
- वाराणसी मंडल- चंदौली, गाजीपुर, जोनपुर, वाराणसी
जिले का नाम मुख्यालय
अमेठी – गौरीगंज
गौतमबुद्धनगर – नोएडा
अम्बेडकरनगर – अकबरपुर
कानपुर देहात – अकबरपुर माती
सोनभद्र – राबर्ट्सगंज
फर्रुखाबाद – फतेहगढ़
संतकबीर नगर – खलीलाबाद
कौशांबी – मंझनपुर
कुशीनगर – पडरौना
सिद्धार्थनगर- नौगढ़
जालौन – उरई
संभल – पवांसा
उत्तर प्रदेश के प्रमुख शोध संस्थान
1.राष्ट्रीय चीनी अनुसंधान केन्द्र – कानपुर
2.भारतीय दलहन अनुसंधान केन्द्र – कानपुर
3.राष्ट्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान केन्द्र – झाँसी
4.भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान – भदोही
5.गोविन्द वल्लभ पन्त समाजिक विज्ञान संस्थान प्रयागराज
6.हरीशचन्द्र अनुसंधान संस्थान –प्रयागराज
7.वी.वी. गिरी नेशनल लेबर इंस्टीट्यूट – नोएडा
8.भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान –झाँसी
9.केन्द्रीय पक्षी (Avion) अनुसंधान संस्थान- इज्जतनगर
10.राष्ट्रीय गन्ना अनुसंधान संस्थान-लखनऊ
11.इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वेजीटेबल रिसर्च – वाराणसी
12.इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हैंडलूम टेक्नोलाजी – वाराणसी
13.भारतीय पशु चिकित्साः (Veterinary) अनुसंधान संस्थान – इज्जतनगर
14.डा. अम्बेडकर उ.प्र. पुलिस अकादमी- मुरादाबाद
15.सेन्ट्रल लेप्रोसी इंस्टीट्यूट –आगरा
16.चौधरी चरण सिंह बाढ़ शोध केन्द्र- मेरठ
17.राजकीय चर्म संस्थान- कानपुर
18.डॉ. अम्बेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हैंडीकैप्ट – कानपुर
19.स्कूल ऑफ पेपर टेक्नोलॉजी – सहारनपुर
20.गौ अनुसंधान संस्थान – मथुरा
21.सी.आर.पी.एफ. प्रशिक्षण केन्द्र – अमेठी
22.इण्डो गल्फ फर्टिलाइजर- अमेठी
23.उ.प्र. वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान – कानपुर
24.मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान – प्रयागराज
लखनऊ में महत्वपूर्ण शोध संस्थान
* भारतीय विष अनुसंधान संस्थान
*राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान
*केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान
*बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोबॉटनी
*राष्ट्रीय गन्ना (शुगरकेन) अनुसंधान संस्थान
*केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (पूर्व नाम केन्द्रीय आस अनुसंधान संस्थान)
*राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान
*केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान
. *बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोबॉटनी
*राष्ट्रीय गन्ना (शुगरकेन) अनुसंधान संस्थान
*केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (पूर्व नाम केन्द्रीय आम अनुसंधान संस्थान)
*पान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र
*आलू अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र
*बाबूगढ़ (गाजियाबाद)
*केन्द्रीय अंतस्थलीय मत्स्यिकी अनुसंधान संस्थान प्रयागराज
*भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) राज्य का प्रथम प्रयागराज (2005)
*उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद लखनऊ
*केन्द्र व राज्य स्तरीय कला तथा संगीत संस्थान/संगठन
*राज्य ललित कला अकादमी लखनऊ (1962)
*उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ (1969) (पूर्व नाम उत्तर प्रदेश संगीत नाट्य अकादमी) (1963)
*भारतेन्द्र नाट्य अकादमी – लखनऊ (1975)
*राष्ट्रीय कथक संस्थान (1988-89) लखनऊ
*भातखंडे संगीत संस्थान लखनऊ, 1960
नोटः- पूर्व नाम मौरिस कालेज ऑफ म्यूजिक था। इसकी स्थापना वर्ष 1926 में हुयी थी। वर्ष 1960 में इसका नाम भातखण्डे संगीत संस्थान रखा गया। सन् 2000 में इसे डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ।
ए*कमात्र शास्त्रीय नृत्य – कथक
‘*निराला आर्ट गैलरी – प्रयागराज
.* कला एव शिल्प महाविद्यालय – लखनऊ (1911)
*कन्हार बांध – कन्हार नदी (सोनभद्र)
*मूसाखांद बांध – कर्मनाशा नदी (चंदौली)
*शारदा जल विद्युत परियोजना लखीमपुर बनवासा (नेपाल सीमा पर) शारदा नहर,
*शारदा नहर उ.प्र. की सबसे बड़ी नहर है।
*मौदहा बांध – बिरमा नदी (हमीरपुर)
*अर्जुन बांध – अर्जुन नदी (महोबा)
*राजघाट परियोजना बेतवा नदी (उ.प्र. व मध्य प्रदेश की संयुक्त परियोजना) ललितपुर गंडक परियोजना से लाभान्वित जिले (गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज)
*यह परियोजना नेपाल में स्थित है।यह उत्तर प्रदेश और बिहार की संयुक्त परियोजना
*उत्तर प्रदेश फिल्म, टेलीविजन एवं लिबरल आर्ट्स इंस्टीट्यूट – लखनऊ (2016)
. *भारतीय कला भवन – वाराणसी (1920)- . अंतर्राष्ट्रीय राम लीला केन्द्र – अयोध्या
*उत्तर प्रदेश में बहुउद्देशीय परियोजना एवं जिला नदी घाटी
*रामगंगा परियोजना – रामगंगा नदी (बिजनौर)
*रामगंगा काठी बाँध रामगंगा नदी (बिजनौर)
*गोकुल बैराज परियोजना – यमुना नदी (पेयजल के लिये, मथुरा) पर
*माताटीला बांध (रानी लक्ष्मी बाई बांध) नदी पर (झांसी) बेतवा
*पथरई बांध – पथरई नदी (झांसी)
*गोविन्द बल्लभ पंत सागर परियोजना – रिहंद नदी (सोनभद्र)
*रिहन्द परियोजना – रिहन्द नदी (सोनभद्र)
*जल विद्युत परियोजना नदी
*ओबरा परियोजना रिहन्द नदी (सोनभद्र)
*राजघाट परियोजना बेतवा नदी (ललितपुर)
*माताटीला परियोजना बेतवा नदी (ललितपुर)
*चितरौरा परियोजना गंगा नदी (मुजफ्फरनगर)
*खारा परियोजना असन नदी (सहारनपुर)
*विभिन्न साधनों द्वारा शुद्ध सिंचित क्षेत्रफल का प्रतिशत विवरण
*सिंचाई के साधन सिंचित क्षेत्रफल का प्रतिशत
नलकूप 74.9%
नहर 15.2%
कुआँ 8%
तालाब 0.5%
अन्य 0.6%
*प्रदेश में सर्वाधिक सिंचाई नलकूपों द्वारा की जाती है।
*प्रदेश में पहला सिंचाई कार्यालय 1823 में सहारनपुर में अंग्रेजों द्वारा खोला गया था।
*सिंचाई विभाग का नाम बदलकर जल शक्ति मंत्रालय कर दिया है।
*वर्तमान में उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह जबकि देश के गजेन्द्र सिंह शेखावत हैं।
*देश में नलकूपों द्वारा सिंचित क्षेत्रफल सर्वाधिक उ.प्र. में है।
*प्रदेश में नहरों द्वारा सर्वाधिक सिंचाई पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होती है।
*पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नहरों का अधि विस्तार हुआ अर्थात् सर्वाधिक नहरें पश्चिम उत्तर प्रदेश में पायी जाती हैं।
*प्रदेश में नहरों की सर्वाधिक लम्बाई रायबरेली जिले में है।
*पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नहरों का अधि विस्तार हुआ अर्थात् सर्वाधिक नहरें पश्चिम उत्तर प्रदेश में पायी जाती हैं।
*प्रदेश में नहरों की सर्वाधिक लम्बाई रायबरेली जिले में है।
*ड्रिप सिंचाई व स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक बुंदेलखण्ड क्षेत्र में शुरू की गयी।
*विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त सिंचाई परियोजना ऊपरी गंगा नहर सिंचाई परियोजना है।
*स्टेट ऑफ द आर्ट सेतु – यह सेतु बलिया में गंगा नदी पर श्रीरामपुर घाट पर बना 2544 मीटर लम्बा यह पुल उत्तर प्रदेश का सबसे लम्बा पुल है।
*शारदा नहर प्रदेश की सर्वाधिक लम्बी नहर है।
*प्रदेश में भू-गर्भ जल दिवस प्रत्येक वर्ष 10 जून को मनाया जाता है।
*उत्तर प्रदेश का सबसे ऊँचा बांध रामगंगा बांध है।
*नहर का नाम निर्माण वर्ष लम्बाई (किमी में)
*पूर्वी यमुना नहर 1830 1440 किमी.
*ऊपरी गंगा नहर 1854 5640 किमी.
*आगरा नहर 1874 1600 किमी.
*शारदा नहर 1928 12368 किमी.
*निचली गंगा नहर 1878 8800 किमी.
नोट- पूर्वी यमुना नहर प्रदेश की सबसे पुरानी नहर है। यह 1631 ई. में शाहजहां द्वारा खुदवायी गयी थी।
उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण झीलें
बखिरा झील –संतकबीर नगर
करेला झील –लखनऊ
बेती झील – प्रतापगढ़
मोती झील – कानपुर शहर
सूरसरोवर झील – आगरा
फुल्हर झील- पीलीभीत
छितौरा झील – बहराइच
लीलौर झील – बरेली
नौह झील – मथुरा
. दहर झील – हरदोई
नदियों के तटवर्ती नगर
बिजनौर, हस्तिनापुर (मेरठ), नरोरा (बुलंदशहर), बिल्लोर, बिठूर (कानपुर नगर), कालाकांकर प्रतापगढ़), श्रृंगवेरपुर (प्रयाग), प्रयागराज, वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर – गंगा नदी के तट पर
बागपत, वृन्दावन (मथुरा), मथुरा, आगरा, इटावा काल्पी, हमीरपुर, कौशाम्बी व प्रयागराज – यमुना नदी के तट पर
बांदा केन नदी के तट पर
गोरखपुर – राप्ती नदी के तट पर
मुरादाबाद व बरेली नगर – रामगंगा के तट पर
लखनऊ, सुल्तानपुर, जौनपुर गोमती नदी के तट पर
अयोध्या नगर, अयोध्या धाम सरयू नदी के तट पर
प्रतापगढ़ सई नदी के तट पर
मेरठ व गाजियाबाद हिंडन नदी के तट पर
कासगंज – काली नदी के तट पर
चित्रकूट पयस्विनी या मंदाकिनी नदी के तट पर
उत्तर प्रदेश वन्य एवं पक्षी विहार
देश के प्रथम वन्य जीव परिरक्षण की स्थापना उत्तर प्रदेश में वर्ष 1966 में की गयी।कार्य प्रदेश में वन्य जीवों की सुरक्षा तथा आधुनिक एवं वैज्ञानिक पद्धति से सघन वन्य जीव प्रबंधन साथ ही राष्ट्रीय उद्यानों, वन्य विहारों एवं पक्षी विहारों का विकास करना है।
देश में वन्य जीवों के संरक्षण की सर्वोच्च संस्था भारतीय वन्य जीव बोर्ड है।
भारतीय वन्य जीव बोर्ड का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता
देश का पहला वन्य जीव विहार मोतीपुर वन्य जीव विहार है। इसका वर्तमान नाम राजा जी राष्ट्रीय उद्यान है, जोकि उत्तराखण्ड में है।
एशिया का पहला राष्ट्रीय उद्यान हैली राष्ट्रीय उद्यान है। इसका वर्तमान नाम जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान है, जोकि उत्तराखण्ड में है।
भारत में वन्य प्राणी (सुरक्षा) अधिनयम वर्ष 1972 में पारित किया गया।
वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गयी। वन तथा वन्य प्राणी विषय
प्रोजेक्ट एलीफैण्ट- 1992 से राज्य में शुरू किया गया।
भारत का पहला नाइट सफारी पार्क (रात्रि चन्ना जीव पार्क) ग्रेटर नोएडा में चनाया गया।
इटावा के फिशर वन में बब्बर शेर प्रजनन केन्द्र तथा
लायन सफारी पार्क का निर्माण किया गया।
वन तथा वन प्राणी विषय समवर्ती सूची में वर्ष 1976 में 42वें संविधान संशोधन द्वारा सम्मिलित किये गये।
टाइगर रिजर्व
वर्तमान में प्रदेश में 4 टाइगर रिजर्व है।
दुधना टाइगर रिजर्व – यह लखीमपुर खीरी तथा बहराइच जिले में स्थित है।
पीलीमीड टाइगर रिजर्व – (9 जून, 2014 को स्थापित)
बिजनौर का अमानगढ़ टाइगर रिजर्व
चित्रकूट का रानीपुर टाइगर रिजर्व
नोट- पीलीभीत टाइगर रिजर्व को 13 दोषों के बीच उत्कृष्ट मानते हुए अंतरराश्ट्रीय टीएक्स-2 पुरस्कार दिया गया है।
ये पुरस्कार बाघों की वंषवृद्धि मामले में तेजी से बढ़े आंकड़ों के लिए वर्चुअली दिया गया है।
नोट- सोहेलवाँ वन्य जीव विहार को भी टाइगर रिजर्व घोषित करने का प्रस्ताव राज्य सरकार ने प्रस्तुत किया।
राष्ट्रीय उद्यान
दुधवा राष्ट्रीय उद्यान (1 फरवरी, 1977 को स्थापित)- यह उत्तर प्रदेश का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है। यह लखीमपुर खीरी जिले में स्थित है।
नोट- वर्ष 1968 में स्थापित दुधवा पशु विहार को 1 फरवरी, 1977 को दुधवा राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया। यह 490 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला है।
प्रदेश के महत्वपूर्ण वन्य जीव विहार
उत्तर प्रदेश प्रथम वन्य जीव विहार चन्द्रप्रभा वन्य जीव विहार है जोकि चंदौली जिले में स्थित है, जिसकी स्थापना 1957 में हुई।
उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा वन्य जीव विहार हस्तिनापुर वन्य जीव विहार है जोकि मेरठ जिले में स्थित है, जिसका क्षेत्रफल 2073 वर्ग किमी. है।
उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा वन्य जीव विहार महावीर स्वामी यन्य जीव विहार है जोकि ललितपुर जिले में स्थित है, जिसका क्षेत्रफल 5.41 वर्ग किमी. है।
प्रदेश के अन्य महत्वपूर्ण वन्य जीव विहार
- किशनपुर वन्य जीव विहार
- लखीमपुर खीरी
- चित्रकूट
- कतरनियाघाट वन्य जीव विहार
- रानीपुर वन्य जीव विहार
- मिर्जापुर सोनभद्र
कैमूर वन्य जीव विहीर
सोहागी बरवा वन्य जीव विहार –महाराजगंज
सोहेलवा वन्य जीव विहार – बलरामपुर
कछुआ वन्य जीव विहार – वाराणली
प्रदेश के महत्वपूर्ण पक्षी विहार
उत्तर प्रदेश का प्रथम पक्षी विहार नवाबगंज पक्षी विहार है जोकि उन्नाव जिले में स्थित है, इसकी स्थापना 1984 में की गई।
नोट- नवाबगंज पक्षी विहार का नाम बदलकर करके शहीद चन्द्रशेखर आजाद पक्षी विहार कर दिया गया।
उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा पक्षी विहार लाखबहोशी पक्षी विहार है, जोकि कन्नौज जिले में स्थित है, यह 80 वर्ग किमी. में फैला है।
उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा पक्षी विहार शेखा पक्षी विहार है जोकि अलीगढ़ जिले में स्थित है, और यह 0.25 वर्ग किमी. फेला है।
प्रदेश के अन्य महत्वपूर्ण पक्षी विहार
पार्वती अरगा पक्षी विहार – गोंडा
समान पक्षी विहार – मैनपुरी
समसपुर पक्षी विहार -रायबरेली
सांडी पक्षी विहार – हरदोईबखीरा पक्षी विहार – संतकवीर नगर
सुरहा ताल पक्षी विहार – बलिया
सूरसरोवर पक्षी विहार – आगरा
बेती पक्षी विहार – कुण्डा (प्रतापगढ़)
नोट- सुरहा ताल पक्षी विहार को ‘लोकनायक पक्षी विहार’ या ‘जय प्रकाश नारायण पक्षी विहार कहा जाता है।
बेंती पक्षी विहार को ‘भीमराव अंबेडकर पक्षी विहार भी कहा जाता है। उन्नाव में स्थित नवाबगंज पक्षी विहार का नाम बदलकर शहीद चंद्रशेखर आजाद पक्षी विहार – नवाबगंज कर दिया गया है।काला हिरण संरक्षण केन्द्र गभाना क्षेत्र (अलीगढ़), मेजा कोरांव क्षेत्र (प्रयागराज) में है।राज्य पक्षी सारस भी संकटग्रस्त श्रेणी में आ गया। सम्पूर्ण विश्व के कुल सारस में से 40% उत्तर प्रदेश में मिलते हैं।
गंगा डाल्फिन नामक मछली इलाहाबाद से मिर्जापुर तक गंगा में अधिक मिलती है।
उत्तर प्रदेश के व्यक्ति एवं जिले
पंडित रविशंकर –वाराणसी
उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ –वाराणसी
कबीर का जन्म –वाराणसी
बुद्ध का प्रथम उपदेश सारनाथ (वाराणसी)
रानी लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसीगिरिजा देवी (ठुमरी गायिका) – वाराणसी
लाल बहादुर शास्त्री- मुगलसराय
मंगल पाण्डे का जन्म- बलिया
भृगु ऋषि का जन्म – बलिया
अशफाक उल्ला खाँ को फांसी – अयोध्या
राजेन्द्र लहणी को फांसी – गोण्डा
रोशन सिंह को फांसी – प्रयागराज
राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी – गोरखपुर
गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण – कुशीनगरबीरबल का जन्म काल्पी (जालौन)रानी लक्ष्मीबाई की कर्मस्थली – झांसी
निजामुददीन औलिया का जन्म- बदांयू
जियाउद्दीन बरनी का जन्म बुलंदशहर
अमीर खुसरो का जन्म पटियाली (कासगंज)
अशफाक उल्ला खाँ, रामप्रसाद बिस्मिल एवं रोशन सिंह का जन्म – शाहजहाँपुर
टोडरमल का जन्म – सीतापुर
राम मनोहर लोहिया का जन्म – अम्बेडकर नगर
मदन मोहन मालवीय, मेजर ध्यानचंद का जन्म – प्रयागराज
जवाहरलाल नेहरू का जन्म और मोतीलाल नेहरू की कर्म स्थली – प्रयागराज
चन्द्रशेखर आजाद शहीद स्थल – प्रयागराज
सर सैयद अहमद खाँ कर्मस्थली – अलीगढ
. मलूकदास का जन्म – कौशाम्ची
स्वामी सहजानंद सरस्वती का जन्म – गाजीपुर
उत्तर प्रदेशके प्रमुख पार्क एवं सिटी
नालेज पार्क – ग्रेटर नोएडा
ट्रोनिका सिटी – गाजियाबाद
निकिडा सिटी – कानपुर व उन्नाव के बीच
साइबर सिटी – कानपुर
प्लास्टिक सिटी – दिबियापुर औरेया, कानपुर
लायन सफारी पार्क – इटावा
नाइट सफारी पार्क – ग्रेटर नोएडा
जैव प्रौद्योगिकी पार्क- लखनऊ
वेव सिटी – गाजियाबाद
बुद्धा थीम पार्क – सारनाथ
परपयूम पार्क – कन्नोज
टॉय सिटी – ग्रेटर नोएडा
लेदर पार्क – आगरा
लेदर टेक्नोलॉजी पार्क-उन्नाव
साइंस पार्क – संडीला हरदोई
इलेक्ट्रानिक सिटी – ग्रेटर नोएडा
थीम पार्क (पर्यटन संबंधी) – आगरा
डिफेंस पार्क -कानपुर, झांसी व लखनऊ
क्षेत्रीय साइंस सिटी- लखनऊ
टेक्सटाइल एवं होजरी पाक – कानपुर
लोहिया पार्क -लखनऊ
जनेश्वर मिश्र पार्क (एशिया का सबसे बड़ा साकी -लखनऊ
एशिया का प्रथम डी.एन.ए बैंक – लखनऊ (बायोटेक पार्क में)
राज्य का प्रथम फिल्म सेन्टर – नोएडा (गौतमबुद्ध नगर)
उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण उद्योग
सबसे बड़ा उद्योग – हथकरघा उद्योग (कृषि के बाद सर्वाधिक रोजगार देने वाला उद्योग)
.यूरिया उर्वरक कारखाना (इफ्को) – आंवला (बरेली)
.कृत्रिम रबर कारखाना भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लि. मोदीनगर (गाजियाबाद)- झांसी, वाराणसी, जगदीशपुर व अमेठी
अफीम कारखाना – गाजीपुर
हिन्दुस्तान केबिल लिमिटेड – नैनी (प्रयागराज)
इंडियन पाली फाइबर्स लिमिटेड – बाराबंकी
उत्तर भारत का मानचेस्टर कानपुर
प्रथम चीनी मिल – प्रतापपुर, देवरिया (1903)
रेल पहिया कारखाना – रायबरेली
टाटा मोटर्स ट्रक प्लांट –लखनऊ
स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड – लखनऊ
भारत स्टील रोलिंग मिल – मुजफ्फरनगर
वैद्यनाथ आयुर्वेदिक औषधि फर्म – नैनी (प्रयागराज)
भारत इलेक्ट्रानिक लिमिटेड – गाजियाबाद
तेलशोधक कारखाना –मथुरा
परमाणु शक्ति केन्द्र – नरौरा (बुलंदशहर)
भारतीय चमड़ा रंगाई एवं जूता संस्थान कानपुर – झांसी
ट्रांसफार्मर फैक्ट्री -हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड कानपुर जगदीशपुर, अमेठी लखनऊ,
सिंगरौली कोयला खान – सिंगरौली (सोनभद्र)
डीप फ्रीज मीट प्लाट- टुंडला (फिरोजाबाद)
हिंदुस्तान एल्युमीनियम कार्पोरेशन’ -रेनुकूट (सोनभद्र)
लघु एवं कुटीर उद्योग
लोहे का बाट, लकड़ी की नक्काशी, व फर्नीचर, सिगरेट निर्माण सहारनपुर
चाकू उद्योग – रामपुर
जूट उद्योग –सहजनवां (गोरखपुर)
गलीचा निर्माण, लकड़ी के खिलौने व फर्नीचर, पीतलऔर कलई बर्तन- वाराणसी
पीतल की मूर्तियाँ व तांबे का बर्तन, हाथ से कागज – मथुरा
चीनी गिट्टी (पॉटरी) उद्योग खुर्जा (बुलंदशहर)
खेल का समान, कैची उद्योग, कागज उद्योग, दियासलाई उद्योग – मेरठ
ताला उद्योग – अलीगढ़
कांच उद्योग (कांच की चूड़ियों के लिये विश्व विख्यात) फिरोजाबाद
जूट उद्योग, साबुन उद्योग, औषधि निर्माण, ऊनी वस्त्र – कानपुर नगर
दियासलाई उद्योग, बांस उद्योग, दरी निर्माण, बेंत की छड़ियाँ – बरेली
दरी निर्माण शाहजहाँपुर
चीनी मिट्टी के बर्तन, औषधि निर्माण टॉर्च निर्माण, जरी व चिकन का काम – लखनऊ
जरदोजी कला, मिट्टी के खिलौने, साबुन उद्योग, गलीचा निर्माण, लोहे का बाट –आगरा
पेठा उद्योग – आगरा, प्रयागराज
आंवला उद्योगप्रतापगढ़
कागज लुग्दी उद्योग – सहारनपुर
छपाई का फर्मा उद्योगम-फर्रुखाबाद
उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण खनिज
बाक्साइट – चित्रकूट
कोयला – सिंगरौली (सोनभद्र)
तांबा –ललितपुर
यूरेनियम – ललितपुर
डायस्पोर – झांसी, महोबा एवं ललितपुर
बांदा –हीरा
सेलखड़ीहमीरपुर व झांसी
मिर्जापुर, सोनभद्र
सोना- शारदा एवं रामगंगा के रेत
कैल्साइट – मिर्जापुर
उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण हवाई अड्डे
चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा (अमौसी हवाई अड्डा) – लखनऊ
लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा (बाबतपुर हवाई अड्डा) – वाराणसी
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड्डयन अकादमी (फुरसतगंज) – रायबरेली
चकेरी हवाई अड्डा – कानपुर
खेरिया हवाई अड्डा – आगरा
सरसावा हवाई अड्डा –सहारनपुर
हिंडन हवाई अड्डा –गाजियाबाद
पुरुषोत्तम श्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा-अयोध्या
कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा- कुशीनगर
जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा-गौतमबुद्धनगर
ताज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा,- ग्रेटर नोएडा
आईआईटी कानपुर हवाई अड्डा (कल्यानपुर हवाई अड्डा) – कानपुर
उत्तर प्रदेश के प्रमुख मेले एवं महोत्सव
उत्सव के नाम स्थान
रामनवमी मेला अयोध्या
बाई घाट मला शाहजहांपुर
गोला गोकर्णनाथ मेला – लखीमपुर खीरी
रामायण मेला चित्रकूट कालिंजर मेला – बांदा
महाकुम्भ मेला (12 वर्ष) – प्रयागराज
होलिकोत्सव – मथुरा
परिक्रमा मेला – अयोध्या
उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था
प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था का जन्म अंग्रेजी शासनकाल में हुआ।प्रदेश का पहला कॉलेज म्योर तेन्ट्रल कॉलेज 1858 में इलाहाबाद में ब्रिटिश शासकों ने स्थापित किया। इसे प्राथमिक स्तर से विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा का संचालन करने का अधिकार था।प्राथमिक शिक्षा 25 जुलाई, 1972 में उ.प्र. बेसिक शिक्षा परिषद की स्थापना हुई।
बेसिक शिक्षा को अधिक प्रभावी तथा गतिशील बनाने के लिये वर्ष 1985 में बेसिक शिक्षा निदेशालय की स्थापना की गई।
26 जुलाई, 2011 को उ.प्र. निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार लागू किया गया।उ.प्र. 17 शिक्षा मण्डलों में बांटा गया है।
उत्तर प्रदेश में स्थित प्रमुख शिक्षण संस्थान
विश्वविद्यालय
डीम्ड विश्वविद्यालय (9)
निजी विश्वविद्यालय (29)
केंद्रीय विश्वविद्यालय (6)
राज्य विश्वविद्यालय (31)
कुल विश्वविद्यालय (1 जनवरी, 2020 तक की स्थिति के अनुसार)
केन्द्रीय विश्वविद्यालय
इलाहाबाद विश्वविद्यालय
स्थापना– 23 सितंबर 1887
संस्थापक – विलियन गयूर सबसे पुराना विश्वविद्यालय
बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय
स्थापना – 1916
संस्थापक – मदन मोहन मालवीय
उ.प्र. का प्रथम केन्द्रीय विश्वविद्यालय (1916) सर सुंदर लाल इसके पहले कुलपति थे।
शिलान्यास – लार्ड हार्डिंग द्वितीय
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
स्थापना- 1920
सर सैयद अहमद खाँ ने 1875 में मोहम्मद एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज के नाम से की थी। (1920 में इसका नाम बदलकर अलीगढ़ विश्वविद्यालय कर दिया गया) मुस्लिम1920 में ही केन्द्रीय विश्वविद्यालय बना।
राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय;
स्थापना हेतु वर्ष 2013 में अधिनियम पारित हुआद्ध
रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय-झांसी
स्थापना– 2014
नोट- इसकी स्थापना केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में 2014 में संसद द्वारा एक्ट पारित करके की गई।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय– लखनऊ
स्थापना 14 अप्रैल, 1989 को हुयी थी। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा किया गया
10 जनवरी, 1996 को यह बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के नये नाम से केन्द्रीय विश्वविद्यालय हो गया।
काशी विद्यापीठ की स्थापना वाराणसी में असहयोग आंदोलन के समय 10 फरवरी, 1921 को हुई। > 1995 में इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ कर दिया गया।
उत्तर प्रदेश में कृषि शिक्षा
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद, लखनऊ (1989 में स्थापित)
1.रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय विश्वविद्यालय इसकी स्थापना 2014 में की गयी थी। यह उत्तर प्रदेश का एकमात्र
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद, लखनऊ’ (1989 में स्थापित)
रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय विश्वविद्यालय झांसी इसकी स्थापना 2014 में की गयी थी।
नोट- यह उत्तर प्रदेश का एकमात्र केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय है।साथ ही साथ यह मणिपुर के बाद भारत का दूसरा केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय है।
उत्तर प्रदेश में कृषि विश्वविद्यालय
1.चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय नवाबगंज कानपुर (1975)
2.नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अयोध्या
(उ.प्र. सरकार ने इस विश्वविद्यालय का नाम बदलकर आचार्य नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय, अयोध्या कर दिया है।)
3.सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ (2000)
4.बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बांदा (2010)
5.रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी (2014)
योजनायें
1.विद्या वाहिनी प्रोजेक्ट कल्प शिक्षा योजना
प्रारम्भ -2003
उद्देश्य- कम्प्यूटर शिक्षा पर बल
प्राथमिक विद्यालयों को समाज से जोड़कर उनमें आध्यात्मिक माहौल तैयार करना, ताकि बच्चों में अच्छे संस्कार विकसित किये जा सकें।
2.साक्षर भारत मिशन 2009
15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के निरक्षरों को बेसिक साक्षरता प्रदान करना।
मिड डे मील योजना 1995
प्रदेश के 38 जनपदों में शुरु, 1996 से प्रदेश के जनपदों में लागू नामांकन बढ़ाना, बच्चों की उपस्थिति एवं ठहराव बढ़ाना, साथ ही पोषक आहार उपलब्ध कराना।
आपरेशन ब्लैकबोर्ड पूर्णतः केन्द्र प्रायोजित योजना, जिसमें प्राइमरी के अनौपचारिक 1975 शिक्षा योजना
15 वर्ष स आधक आयु वर्ग के निरक्षरों को बेसिक साक्षरता प्रदान करना।
।
सर्वशिक्षा अभियान 2000
सभी को शिक्षा व सभी को ज्ञान, 6-14 वर्ष तक के बच्चों का शत-प्रतिशत नामांकन करना।
उत्तर प्रदेश का प्रथम विकलांग विश्वविद्यालय
चित्रकूट
स्थापना- 2001
पूरा नाम- जगद्गुरू रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय
गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ -स्थापना 1975
मौलाना मोहम्मद अली जौहर, उर्दू विश्वविद्यालय– रामपुर
राज्य विश्वविद्यालय, इलाहाबाद का नाम प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू गईया) विश्वविद्यालय प्रयागराज कर दिया गया।
कन्हैया लाल माणिक लाल केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय -लखनऊ
उ.प्र. हिन्दी संस्थान
स्थापना- 1976
यहाँ से बालवाणी (द्वैमासिक) व साहित्य भारतीय (त्रैमासिक) पत्रिकाएँ निकलती है।
नोट- इस संस्थान द्वारा भारत भारतीय, हिन्दी गौरव, महात्मा गाँधी, पुरुषोत्तम दास टण्डन सहित कुल 111 पुरस्कारों का प्रतिवर्ष वितरण किया जाता है।
हिन्दुस्तानी एकेडमी – प्रयागराज
स्थापना– 1927
उ.प्र. उर्दू अकादमी
स्थापना- 1972 यह अकादमी प्रतिवर्ष 50 से अधिक पुरस्कारों का वितरण करता है।
यहां से खबरनामा मासिक व अकादमी वैमासिक पत्रिकाएँ निकलती हैं।
1978 से यहाँ कंन्द्रीय पुस्तकालय भी स्थापित है।
उ. प्र. सिंधी अकादमी – 1996 नोट- उ.प्र. भाषा संस्थान की स्थापना 1994 में की गयी।
उत्तर प्रदेश में जनजाति
जनगणना-2011 के अनुसार प्रदेश की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जनजाति 0.6 प्रतिशत है।
नोट- भारत की कुल अनुसूचित जनजातियों की संख्या का 1.09 प्रतिशत भाग उत्तर प्रदेश में रहती है।
उत्तराखण्ड के पृथक होने के बाद 2003 के संशोधन आदेश द्वारा 10 अन्य जनजातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्रदान किया गया।
प्रदेश में सूचीबद्ध जनजातियों की वर्तमान संख्या है –12
जनजाति थारू कहाँ पायी जाती है
(तराई क्षेत्र) खीरी, कुशीनगर, बलरामपुर,श्रावस्ती बिजनौर महाराजगंज,बहराइच,
बक्सा, भोक्सा
गोंड, घुरिया, नायक ओझा, पठारी, राजगोट, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया, मऊ, आज़मगढ़, जौनपुर, मिर्ज़ापुर, सोनभद्र।
खरवार, – देवरिया, बलिया, गाजीपुर एवं सोननद्र
खैरवार – वाराणसी
पाखा -सीननद्र एवं मिर्जापुर
सहरिया – ललितपुर
थारू उत्तर प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी जनजाति है
प्रदेश के जालौन तथा अयोध्या जिले में कोई जनजाति नहीं पायी जाती है।
थारु समूह में शामिल जनजातियाँ हैं – थारु
गॉड समूह में शामिल जनजातियाँ हैं
राजगौंड) 6 (गोंड, धुरिया, नायक, ओझा, पठारी,
माहीगीर जनजाति उ.प्र. के बिजनौर जिले में पायी जाती है।
माहीगीर जनजाति के लोग इस्लाम धर्म के अनुयायी है।
माहीगीर जनजाति की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार मछली पकड़ना है।
जौनसारी
जौनसारी जनजाति द्वारा विक्स, पाचाई और दियाई उत्सव मनाये जाते हैं।
रासो, झेला, जंगबाजी, सराई तथा अंडे-कांडे नृत्य जौनसारी जनजाति से सम्बन्धित है।
बुक्सा या भोक्सा – बिजनौर में पायी जाती है।
इनका सम्बन्ध पटवार राजपूत घराने से माना जाता है।
बुक्सा जनजाति की पंचायत का सर्वोच्च व्यक्ति तरवत कहलाता है।
बुक्सा जनजाति के लोग चामुंडा देवी की पूजा करते हैं।
बुक्सा के लोगों की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है।
इनमें पितृसत्तात्मक परिवार प्रथा विधवा विवाह, बहुपत्नी विवाह प्रचलित है।
खरवार
करमा खरवार जनजाति को नृत्य है।
खरवार जनजाति के लोग उ.प्र. के मुख्यतः सोनभद्र जिले में रहते हैं। इनका मूल निवास क्षेत्र पलामू (झारखण्ड) है।
खरवार जनजाति के प्रमुख देवता- दूल्हादेव, वनसंती, धमसान गोरड्या इत्यादि है।
थारु समूह
थारु जनजाति के लोग किरात वंश से सम्बन्धित हैं।
मुख्य भोजन चावल है।
यह मुख्यतुः गोरखपुर हैं। के तराई भाग में निवास करते
थारु जनजाति के लोग घरों का निर्माण लकड़ी के लट्ट्ठों तथा नरकुलों से करते हैं।
थारु जनजाति में बदला विवाह प्रचलित है।
थारु जनजाति के लोगों की पारिवारिक व्यवस्था संयुक्त परिवार प्रथा से राम्वन्धित है।
थारु जनजाति के लोग दीपावली को शोक पर्व के रूप में गनाते हैं।
बजहर नामक पर्व थारु जनजाति द्वारा मनाया जाता है।
शारीरिक संरचना कद में छोटे, वौड़ी नुखाकृति और चगडी का पीला रंग होता है।
नोट- थारु जनजाति के लोगों को शिक्षा प्रदान करने हेतु उ.प्र. सरकार द्वारा लखीमपुर खीरी में एक महाविद्यालय की स्थापना की गयी। तथा उत्तर प्रदेश में थारु विकास परियोजना का प्रारम्भ 2 अक्टूबर, 1980 को किया गया।
उत्तर प्रदेश में परिवहन
रेल परिवहन
कुल रेलपथ नेटवर्क में देश में उत्तर प्रदेश का प्रथम स्थान है।
प्रदेश में प्रथम रेलगाड़ी 1859 में प्रयागराज से कानपुर के मध्य चलायी गयी।
प्रदेश में रेल मार्गों की कुल लम्बाई नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 9100 किमी है।
विश्व का दूसरा सबसे लम्बा प्लेटफार्म- गोरखपुर (1366 मी.)
विश्व का सबसे लम्बा प्लेटफार्म- हुबली जंक्शन रेलवे स्टेशन, कर्नाटक (1505 मी.)
उत्तर प्रदेश में दो रेलवे जोन हैं।
पूर्वोत्तर रेलवे जोन का मुख्यालय – गोरखपुर
उत्तर मध्य रेलवे जोन का मुख्यालय प्रयागराज
2 रेलवे भर्ती बोर्ड है – प्रयागराज व गोरखपुर
भारत को सबसे लम्बा रेलवे यार्ड, मुगलसराय में है।
रेल पहिया कारखाना – रायबरेली
रेल सुरक्षा आयोग का मुख्यालय – लखनऊ
रेल डिब्बा रिपेयर कारखाना – गोरखपुर
उत्तर प्रदेश में कुल 9 रेल प्रभाग (Divisions)
भारत की पहली स्वदेशी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरूआत। सेमी हाई स्पीड ट्रेन का निर्माण इंटीग्रल कोच कारखाना चेन्नई ने किया।
4 अक्टूबर, 2019 से दिल्ली के बीच आधुनिक सुविधाओं से पूर्ण भारतीय रेल की पहली निजी रेलगाड़ी तेजस एक्सप्रेस का परिचालन रेलवे की कंपनी आईआरसीटीसी कर रही है। यह ट्रेन लखनऊ से दिल्ली के बीच का सफर सिर्फ 6 घंटे में पूरा करेगी।
जल परिवहन
उत्तर प्रदेश की गंगा, यमुना, घाघरा तथा गोमती नदियों में जल परिवहन की सुविधा उपलब्ध है।राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1 प्रयागराज से हल्दिया के मध्य फैला है।
यह गंगा नदी से होकर गुजरता है। यह देश का सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग है।
इस जलमार्ग को कुल लम्बाई 1620 किमी है।
वायु परिवहन
उत्तर प्रदेश में नागरिक उडड्यन प्रशिक्षण केन्द्र चम्बरीली (प्रयागराज) में स्थित है।
राष्ट्रीय पैराशूट प्रशिक्षण कॉलन आगरा में है।
राष्ट्रीय पैराशूट प्रशिक्षण कॉलेज ‘आगरा’ में स्थित है।
सूचना संचार
. भारत में पिन कोड प्रणाली की शुरूआत 1972 में हुई।
भारत में सर्वप्रथम हवाई डाक सेवा 18 फरवरी, 1911 को इलाहाबाद (अव प्रयागराज) से नैनी के मध्य प्रारम्भ हुई।
उत्तर प्रदेश का राज्य सूचना केन्द्र लखनऊ में स्थित है।
भारत में टेलीग्राफ सेवा का प्रारम्भ मार्च, 1854 में आगरा एवं कोलकाता के मध्य हुआ।
उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण हवाई अड्डे
चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा (अमौसी हवाई अड्डा) – लखनऊ
लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा (बाबतपुर हवाई अड्डा) -वाराणसी
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड्डयन अकादमी (फुरसतगंज) – रायबरेली
चकेरी हवाई अड्डा – कानपुर
खेरिया हवाई अड्डा – आगरा
सरसावा हवाई अड्डा – सहारनपुर
हिंडन हवाई अड्डा – गाजियाबाद
पुरुषोत्तम श्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा – अयोध्या
कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा – कुशीनगर
जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा – गौतमबुद्धनगर
ताज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा – ग्रेटर नोएडा
आईआईटी कानपुर हवाई अड्डा – कानपुर
उत्तर प्रदेश का इतिहास
⏭ उत्तर प्रदेश के ताम्र पाषाणिक संस्कृत के साक्ष्य आलमगीरपुर (मेरठ) और हुलास (सहारनपुर) से प्राप्त हुये।उत्तर प्रदेश में पुरापाषण कालीन सभ्यता के साक्ष्य प्रयागराज के बेलन घाटी, सोनभद्र के सिंगरौली घाटी तथा चंदौली के चकिया नामक पुरास्थली से प्राप्त हुये हैं।
⏭ बेलन घाटी के ‘लोहदानाला’ नामक पुरास्थल से पाषाण उपकरणों के साथ-साथ एक अस्थि निर्मित मातृ देवी की प्रतिमा भी प्राप्त हुयी है।
⏭ मध्य पाषाणकालीन मानव अस्थि-पंजर के कुछ अवशेष प्रतापगढ़ के सरायनाहर राय तथा महदहा नामक स्थान से प्राप्त हुये हैं।
⏭ सरायनाहर राय में 14 शवाधान मिले हैं, जिनमें मृतक का सिर पश्चिम दिशा की ओर है। सरायनाहर से 8 गर्त चूल्हे भी प्राप्त हुये हैं।
⏭ प्रयागराज के मेजा तहसील के चोपानीमाण्डों पुरास्थल से झोपड़ियों एवं निट्टी के बर्तन के अवशेष प्राप्त हुये हैं। यहाँ से संसार के प्राचीनतम मृदभांड के भी साक्ष्य मिले हुये हैं।
⏭ उत्तर प्रदेश के महदहा पुरास्थल से अन्य उपकरणों के साथ-साथ सिल, लोढ़े, गर्त चूल्हे, शवाधान, अस्थि एवं आवास के साक्ष्य मिले हैं।
⏭ दमदमा (प्रतापगढ़ जिला) पुरास्थल से हड्डी एवं सींग के उपकरण व आभूषण, गर्त चूल्हे तथा 41 शवाधान मिले हैं।
⏭नवीनतम खोजों के आधार पर भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीनतम कृषि साक्ष्य वालाउत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर जिले में स्थित लहुरादेव है।
⏭लहुरादेव से 8000 ई.पू. से 9000 ई.पू. के मध्य चावल के साक्ष्य मिले हैं।
⏭प्राचीनतम चावल के साक्ष्य वाला स्थल कोलडिहवा (प्रयागराज जिले में बेलन नदी के तट पर स्थित है।)
⏭आलमगीरपुर से हड़प्पाकालीन वस्तुएं प्राप्त हुयी हैं, यह हड़प्पा सभ्यता के पूर्वी विस्तार को प्रकट करता है। यहाँ से कपास उपजाने के साक्ष्य भी प्राप्त हुये हैं।
⏭16 महाजनपदों में से 8 महाजनपद उ.प्र. में स्थित थे। जिनके नाम थे- कुरू, पांवाल, काशी, कोशल, शूरसेन, चेदि, वत्स, मल्ल ।
⏭कुशीनगर में 483 ई.पू. 80 वर्ष की अवस्था में गौतमबुद्ध को गहापरिनिर्वाण की प्राप्ति हुयी थी।
⏭उत्तर वैदिक युग से संबद्ध स्थल अंतरजीखेड़ा (कासगंज जिले में स्थित) से गैरिक मृदभांड तथा कृष्ण लोहित मृदभांड (चित्रित धूसर पात्र परम्परा संस्कृतियों के अवशेष प्राप्त हुये हैं।)
⏭जैन ग्रन्थों के अनुसार आदिनाथ सहित पांच तीर्थकरों की जन्मभूमि अयोध्या थी।
⏭अहरौरा (मिर्जापुर) से अशोक का लघु शिलालेख तथा सारनाथ (वाराणसी) एवं कौशाम्बी से लघु स्तम्भ लेख मिला है।
⏭सोहगौरा ताम्रलेख (गोरखपुर- मौर्य काल का यह ताम्र लेख उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद से मिला।) इस ताम्र लेख से यह गना चलता है कि मौर्य काल में अकाल की स्थिति में जनता को अनाज का वितरण किया जाता था।
⏭प्रयाग के अशोक स्तम्भ पर हरिषेण द्वारा रचित समुद्रगुप्त का प्रशस्ति लेख उत्कीर्ण है। इस पर बीरबल एवं जहांगीर का नाम भी मिलता है।
⏭भितरी स्तम्भ लेख (गाजीपुर) में पुष्यमित्रों और हूणों के साथ स्कंदगुप्त के युद्ध का वर्णन है। श्रावस्ती में कनिष्क के दो अभिलेख प्राप्त हुये हैं। हड़प्पायुगीन अवशेष हुलास से मिले हैं।
मध्य कालीन इतिहास
मध्य कालीन इतिहास
आगरा की स्थापना सुल्तान सिकंदर लोदी ने 1504 में की थी।आगरा में स्थित मुसम्मन बुर्ज से हरम की महिलाएं पशु युद्ध देखती थी। आगरा में ही मीना बाजार लगता था। इसी बाजार में जहांगीर सर्वप्रथम नूरजहाँ से मिला था।
मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया था तथा आगरा के किले का निर्माण अकबर ने कराया था।आगरा नूरजहाँ ने में अपने पिता एतमादुद्दौला का मकबरा बनवाया था।
शाहजहाँ द्वारा निर्मित आगरा का ताजमहल एवं मोती मस्जिद स्थापत्य कला की श्रेष्ठता का प्रतीक है। 1296 में ही सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी की हत्या अलाउददीन खिलजी ने यहीं (कड़ा नामक स्थान) पर करवा दी थी।
1545 में कालिंजर के सैन्य अभियान के दौरान ही बारूद विस्फोट से शेरशाह सूरी की मृत्यु हुई थी।अकबर के नवरत्नों में शामिल बीरबल काल्पी से संबद्ध था। यहां से बीरबल का रंगमहल तथा मुगलकालीन टकसाल के अवशेष प्राप्त हुये हैं।सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने 1358 में अपने बड़े भाई मुहम्मद तुगलक उर्फ जौना खाँ के सम्मान में जौनपुर की स्थापना की थी।
1857 का विद्रोह एवं उत्तर प्रदेश
1857 की क्रान्ति का प्रारम्भ 10 मई को मेरठ से हुआ।
महत्वपूर्ण नेतृत्वकर्ता
बरेली – खान बहादुर खाँ
इलाहाबाद- लियाकत अली
कानपुर – नाना साहब
फैजाबाद – मौलवी अहमदुल्लाह शाह
झाँसी- रानी लक्ष्मीबाई
.लखनऊ – बेगम हजरत महल
.फैजाबाद – मोलवी अहमदुल्लाह शाह.
1857 के विद्रोह के समय भारत का गवनर जनरल लार्ड कैनिंग था। विद्रोह के समय लार्ड कैनिंग ने इलाहाबाद को आपातकालीन मुख्यालय बनाया था।
1857 के स्वाधीनता संग्राम का प्रतीक कमल और रोटी था।
1857 ई. इस विद्रोह से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र अवध और बुंदेलखण्ड थे।
1857 ई. के विद्रोह का विस्तार इटावा, मैनपुरी, एटा, मथुरा, शाहजहांपुर, बदांयू, आजमगढ़, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बाराबंकी, वारणसी, फैजाबाद, फतेहपुर, हाथरस आदि छोटे-छोटे नगरों एवं कस्बों तक भी हो गया था।
21 मार्च 1858 को कॉलिन कैम्पबेल द्वारा लखनऊ पर पुनः कब्जा कर लिया गया।
उ.प्र. का आधुनिक इतिहास
विदेशी शासन के खिलाफ जिहाद का नारा देने के उद्देश्य से 1866 में मुहम्मद कासिम ननीतवी एवं रशीद अहमद गंगोही ने देवबंद (स.प्र.) में इस्लामी मदरसे की स्थापना की।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उ.प्र. में सन् 1947 तक कुल 9 अधिवेशन हुये थे।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उ.प्र. में सर्वाधिक तीन-तीन बार अधिवेशन इलाहाबाद एवं लखनऊ में हुये।
- इलाहाबाद 1888, अध्यक्ष- जार्ज यूल
- इलाहाबाद 1892, अध्यक्ष – डब्ल्यू. सी. बनर्जी
- इलाहाबाद – 1910 अध्यक्ष – सर विलियम वेडरवर्न
- लखनऊ 1899, अध्यक्ष- रमेश चन्द्र दत्त
- लखनऊ 1916 अध्यक्ष- अम्बिका चरण मजूमदार
- लखनऊ 1936 अध्यक्ष – पं. जवाहरलाल नेहरू
अक्टूबर, 1920 में उ.प्र. का प्रान्तीय सम्मेलन
डॉ. भगवान दास की अध्यक्षता में मुरादाबाद में आयोजित किया गया।
मुराबाद में कांग्रेस के प्रांतीय सम्मेलन में महात्मा गांधी के ऐतिहासिक प्रस्ताव अहसयोग आंदोलन को स्वीकार किया गया।
जून, 1920 में इलाहाबाद में महात्मा गांधी की अध्यक्षता में खिलाफत कमेटी की बैठक में खिलाफत आन्दोलन के प्रस्ताव को पास किया गया।
5 फरवरी, 1922 को गोरखपुर स्थित चौरी-चौरा नामक स्थान पर पुलिस ने एक पुलिस स्टेशन को घेरकर जला दिया, जिसमें 22 पुलिसकर्मी की मृत्यु हो गयी थी।
नवंबर, 1928 में ‘साइमन कमीशन’ का लखनऊ में वहिष्कार किया गया था। इसका नेतृत्व पं. जवाहर लाल नेहरू ने किया था।
सन् 1923 में चितरंजन दास एवं मोती लाल नेहरू ने इलाहाबाद में स्वराज पार्टी की स्थापना की।
भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी का प्रथम सम्मेलन पेरियार की अध्यक्षता में दिसम्बर, 1925 में कानपुर में हुआ था।
सितम्बर, 1924 में कानपुर के एक पत्रकार सत्यभक्त ने भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी की स्थापना की।
.संयुक्त प्रांत में लखनऊ के समीपवर्ती क्षेत्र में सन् 1920-22 के मध्य किसानों के बीच चले एका आंदोलन का नेतृत्व मदारी पासी नामक किसान ने किया था।
सन् 1924 में चंद्रशेखर आजाद के द्वारा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की।
.9 अगस्त, 1925 को लखनऊ के निकट काकोरी में क्रांतिकारियों ने ट्रेन डकैती कर सरकारी खजाना लूट लिया था।
1928 में फिरोजशाह कोटला दिल्ली में भगत सिंह की सलाह पर एच. ‘आर. ए. में सोशलिस्ट शब्द जोड़कर हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एच.एस. आर.ए.) कर दिया गया।
चंद्रशेखर आजाद 27 फरवरी, 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में पुलिस से मुकावली करते हुए स्वयं को गोली मारकर वीरगति को प्राप्त हो गये।
उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण संगीत घराने
लखनऊ घराना.
मोदू खाँ तथा बख्शूर खाँ ने तबले के लखनऊ घराने का सूत्रपात किया।
मोदू खाँ, बख्शूर खाँ, मुन्ने खाँ खलीफा, वाजिद हुसैन खाँ, हीरेन्द्र गांगुली ‘तबला वादक‘ है।
रजा खाँ, गुलाम मुहम्मद, रहीमसेन, इलियास खाँ – सितार वादक ।
कोदऊ सिंह, पं. संखाराम, पं. अयोध्या प्रसाद- पखावज वादक ।
सादिक अली खाँ – सारंगी वादक
सूरज खाँ, चाँद खाँ, छज्जू खॉ, दुल्ले खाँ, गुलाम हुसैन, रहीमन बाई, चंद्राबाई गायिकाएँ ख्याल
विन्दादीन, शम्भूमहाराज, लच्छू महाराज, कालका महाराज, अच्छन महाराज, बिरजू महाराज, शैलजा सिंह, तनुश्री कथक नर्तक हैं।
बनारस घराना
पं. शिवनंदन मिश्र, बडे रामदास, छोटे रामदास, हरिशंकर मिश्र, महादेव मिश्र, सितारा देवी, अलखनन्दा- कथक नर्तक हैं।
उदय शंकर, गोपीकृष्ण-छोटी मैना, बड़ी मैना, रसूलनबाई, सरस्वती देवी, विद्याधरी देवी, मोती केसर- ठुमरी-टप्पा गायिकाएँ
सिद्धेश्वरी देवी, गिरिजा देवी, वागेश्वरी देवी, कृष्ण देवी- ठुमरी गायिकाएँ
. पं. राम सेवक मिश्र, पं. छन्नू लाल मिश्र, शिवा अमरनाथ गायक पशुपति मिश्र, धर्मराज मिश्र, पशुपति नाथ मिश्र ख्याल
. बिस्मिल्ला खाँ व मुमताज
शहनाई वादक
अलाउद्दीन खाँ व उनके शिष्य पं. रविशंकर, मुश्ताक अली खाँ, वीरेन्द्र कुमार मिश्र
सितार वादक
नोट- इटावा घराना भी प्रसिद्ध है। सितार वादन के लिये।
पं. राम बख्श, वंशी महाराज, शम्भू नाथ मिश्र सारंगी वादक
राम सहाय, जानकी सहाय, कठे महाराज, किशन महाराज वाचा मिश्र, गुदई महाराज तबला वादक
चालकृष्ण बुबा, भीमसेन जोशी, हीराबाई बडोदकर, प्रथा अन्ने गायक
किराना घराना
बालकृष्ण बुबा, भीमसेन जोशी, हीराबाई बडोदकर, प्रथा अन्ने गायक
आगरा घराना
दीपाली नाग, मदुरै रामास्वामी, जगन्नाथ बुबा, फैय्याज खाँ, विलायत हुसैन खॉ, रजा हुसैन – गायक
नोट- आगरा घराने की उत्पत्ति अकबर के दरबारी गायक सुजान से मानी जाती है।
सहारनपुर घराने के प्रवर्तक खलीफा मुहम्मद जुमा सूफी संत थे जो कि गायन के अतिरिक्त बीन और सितार वादक में सिद्धहस्त थे।
उत्तर प्रदेश में जीआई टंग
परिचयःभौगोलिक संकेत (जीआई) टैग, एक ऐसा नाम या चिह्न है जिसका उपयोग उन कुछ उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबंधित होते हैं।
उदाहरण के लिये दार्जिलिंग चाय, कांचीपुरम सिल्क आदि।जीआई टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति है।यह उत्पाद दूसरों द्वारा नकल या अनुकरण किये जाने से भी बचाता है।एक पंजीकृत जीआई टैग 10 वर्षों के लिये वैध होता है।
कानूनी ढाँचा और दायित्वः वस्तुओं का भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण अधिनियम, 1999 भारत में वस्तुओं से संबंधित भौगोलिक संकेतों के पंजीकरण के साथ उच्च सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
यह बौद्धिक संपदा अधिकार (TRIPS) के व्यापार संबंधित पहलुओं पर WTO के रामझौते द्वारा शासित और निर्देशित है।
जीआई टैग प्रदान किये गए 7 उत्पादः
अमरोहा ढोलकःअमरोहा ढोलक प्राकृतिक लकड़ी से बना एक वाद्ययंत्र है।इसे गढ़ने के लिये पशुओं की खाल, आमतौर पर बकरी की खाल का उपयोग किया जाता है। in
बागपत होम फर्निशिंग /घरेलू-सज्जाः
बागपत और मेरठ अपने विशिष्ट हथकरघा घरेलू साज-सज्जा उत्पादों के लिये सुप्रसिद्ध हैं।बुनाई प्रक्रिया में सूती धागे का उपयोग किया जाता है, यह कार्य मुख्य रूप से करघे पर किया जाता है। Ostit
बाराबंकी हथकरघा उत्पादःबाराबंकी और इसके आसपास के क्षेत्रों में 50,000 से अधिक बुनकर और 20,000 करघे हैं।बाराबंकी क्लस्टर का वार्षिक राजस्व 150 करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
मैनपुरी तारकशीःमैनपुरी तारकशी एक लोकप्रिय कला है तथा इसमें लकड़ी पर पीतल का तार जड़ा जाता है।
मैनपुरी तारकशी घरेलू आवश्यकता रही है जिसका परंपरागत रूप से खड़ाऊ (लकड़ी के सैंडल) को सजाने में उपयोग किया जाता है।स्वच्छता के संबंध में सांस्कृतिक विचारों के कारण चमड़े के विकल्प तलाशे गए हैं।
संभल हार्न क्राफ्टःसंभल हॉर्न क्राफ्ट में मृत पशुओं से प्राप्त कच्चे माल का उपयोग किया जाता है तथा यह शिल्प पूरी तरह से हस्तनिर्मित है।
कालपी हस्तनिर्मित कागजः कालपी हस्तनिर्मित कागज निर्माण के लिये पहचाना जाता है।इस शिल्प को पहली बार 1940 के दशक में गांधीवादी मुन्नालाल ‘खद्दरी द्वारा पेश किया गया था, जबकि इसकी जड़ें कालपी के इतिहास में बहुत पुरानी हो सकती हैं।
महोबा गौरा पत्थर हस्तशिल्पः
महोबा गौरा पत्थर हस्तशिल्प महोबा के अद्वितीय पत्थर शिल्प का प्रतिनिधित्व करता है।इसमें इस्तेमाल किया गया पत्थर, जिसे वैज्ञानिक रूप से पाइरा फ्लाइट स्टोन के नाम से जाना जाता है, एक नरम और चमकदार सफेद रंग का पत्थर है जो मुख्य रूप से इस क्षेत्र में पाया जाता है।
उत्तर प्रदेश में कृषि
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्त्वपूर्ण योगदान है।जनगणना 2011 के अंतिम आंकड़ों के अनुसार उ.प्र. राज्य के कुल कर्मकारों में कृषि कर्मकारों का योगदान 59.3 प्रतिशत है।उ.प्र. में कृषि को अर्थव्यवस्था का मेरुदंड कहा जाता है।
▶ देश के कुल खाद्यान्न (Total Food Grains) उत्पादन में सभी राज्यों में उत्तर प्रदेश का स्थान प्रथम है।
▶ कृषि निवेश पर देय अनुदान को DBT के माध्यम से भुगतान करने वाला देश में उत्तर प्रदेश पहला राज्य है।
▶ कृषि गणना 2015-16 के अनुसार प्रदेश में औसत क्रियाशील जोत आकार 0.73 हेक्टेयर है, जबकि भारत में 1.08 हेक्टेयर है।
प्रदेश को 9 कृषि जलवायु प्रदेशों में बाँटा गया है।
▶ कृषि जलवायु प्रदेशों के वर्गीकरण के आधार मृदा, वर्षा, तापमान, जल एवं मानव संसाधन है।
▶ देश की कुल कृषि योग्य भूमि का लगभग 10.34 प्रतिशत भाग उत्तर प्रदेश के अंतर्गत आता है।
▶ 2019-20 में प्रदेश में शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल 183.68 लाख हैक्टेयर था।
▶ चीनी की सर्वाधिक उत्पादकता – गाजीपुर
▶ सर्वाधिक अरहर उत्पादक जिला –फतेहपुर
▶ मक्का की सर्वाधिक उत्पादकता – हरदोई
▶ सर्वाधिक जौ उत्पादक जिला – एटा
▶ सर्वाधिक मक्का उत्पादन वाला जिला –बहराइच
▶ गेहूँ का सर्वाधिक उत्पादक जिला –हरदोई
▶ गेहूँ की सर्वाधिक उत्पादकता – बागपत
▶ सर्वाधिक बाजरा उत्पादक जिला- आगरा
▶ बाजरा की सर्वाधिक उत्पादकता- मैनपुरी
▶ सर्वाधिक चावल उत्पादक जिला – शाहजहाँपुर
▶ चावल की सर्वाधिक उत्पादकता –महोवा
.▶ चावल का सर्वाधिक क्षेत्र –आज़मगढ़
. ▶ सर्वाधिक ज्वार उत्पादक – ज़िला बाँदा
▶ ज्वार की सर्वाधिक उत्पादकता – सोनभद्र
. ▶ बाजरा की सर्वाधिक उत्पादकता – मैनपुरी
कृषि से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य
▶ आम के उत्पादन में प्रमुख – लखनऊ, सहारनपुर, बुलंदशहर
. ▶ गन्ने के उत्पादन में प्रमुख तराई क्षेत्र
▶ हल्दी- बुंदेलखण्ड क्षेत्र
▶ अमरूद के लिये प्रशिक्षण एवं प्रयोग केन्द्र – प्रयागराज (इलाहाबाद)
▶ अमरूद (शाहजहाँपुर एवं फरुखाबाद जिले में उत्पादन)
▶ गाजीपुर में राज्य की एकमात्र अफीम फैक्ट्री
▶ आम के लिये प्रशिक्षण एवं प्रयोग केन्द्र सखनऊ में स्थित है।
▶ प्रदेश में फूलों की खेती वाराणसी लखनऊ कन्नौज, प्रयागराज मिर्जापुर और जौनपुर जिले में की जाती है।
▶ उत्तर प्रदेश के दक्षिणी पठार की मिट्टियों को बुंदेलखण्डीय मिट्टी कहते हैं।
▶ इस क्षेत्र में भोंटा, माड (मार), कावड, पडवा (परवा), राकड़ आदि मिटिटयां पाई जाती हैं।
▶ इस क्षेत्र की काली मृदा को केरल, कपास अथवा रेगुर आदि नामों से भी जाना जाता है।
▶ प्रदेश के जालौन, झांसी, ललितपुर और हमीरपुर जिलों में काली मृदा का विस्तार होने के कारण बना, गेहूँ, अरहर एवं तिलहन प्रमुख उपजें हैं।
मोंटा मिट्टी विंध्य पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
माड (मार) मिट्टी, काली मिट्टी या रेगुर मिट्टी के समान चिकनी होती है।
▶ माड (मार) मिट्टी में सिलिकेट, लोहा एवं एल्युमीनियम खनिज पदार्थ पाए जाते हैं।
▶ मांट मिट्टी उ.प्र. के पूर्वी क्षेत्रों में पाई जाती है। इस मिट्टी में चूना अधिक होता है।
▶ पड़वा मिट्टी उ.प्र. के हमीरपुर, जालीन और यमुना नदी के ऊपरी जिलों में पाई जाती है।
▶ पड़वा मिट्टी हल्के लाल रंग की होती है।
▶ राकड़ मिटटी उ.प्र. के दक्षिण पर्वतीय एवं पठारी ढलानों पर पाई जाने वाली मिट्टी है।
▶ लाल मिट्टी उ.प्र. के मिर्जापुर, सोनभद्र जिलों एवं झांसी में पाई जाती है।
▶ लाल मिट्टी का निर्माण बालूमय लाल शैलों के अपक्षय से हुआ है।
▶ लाल मिट्टी का विस्तार चेतवा एवं घसान नदियों के जलप्लावित क्षेत्रों में भी पाया जाता है।
. ▶ लाल मिट्टी में नाइट्रोजन, जीवांश, फॉस्फोरस एवं धूना खनिजों की कमी पाई जाती है।
. ▶ लाल मिट्टी में गेहूं, चना एवं दलहन आदि फसलें उगाई जाती हैं।
▶ ऊसर एवं रेह मिट्टी उ.प्र. के अलीगढ़, मैनपुरी, कानपुर, सीतापुर, उन्नाय, एटा, इटावा, रायबरेली एवं लखनऊ जिलों में पाई जाती है तथा ये लवण से प्रभावित हैं।
▶ रेहयुक्त क्षारीय ऊसर भूमि का उत्तर प्रदेश में अधिक विस्तार है।
उत्तर प्रदेश ‘एक ज़िला, एक उत्पाद’ योजना
एक जिला, एक उत्पाद’ (ODOP: One District, One Product) की अवधारणा मूल रूप से जापान सरकार द्वारा वर्ष 1979 में प्रारंभ की गई थी।इसके उपरांत इस योजना को थाईलैंड सरकार द्वारा भी प्रचारित-प्रसारित किया गया। इसके अतिरिक्त इस तरह की योजना का मॉडल इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया और चीन द्वारा भी अपनाया गया।
24 जनवरी, 2018 को ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ के अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक जिला, एक उत्पाद’ योजना का शुभारंभ किया गया। इस योजना के माध्यम से जिले के छोटे, मध्यम और परंपरागत उद्योगों का विकास संभव हो पाएगा।
एक जिला, एक उत्पाद योजना के क्रियान्वयन से प्रदेश की अर्थव्यवस्था के विकास में न कंवल केवल महत्वपूर्ण महत्त्वपूर्ण सहयोग प्राप्त होगा, अपितु प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख नए रोजगार के अवसर भी प्राप्त होने की संभावना है।एक जिला, एक उत्पाद योजनांतर्गत प्रदेश के प्रत्येक जनपद से एक उत्पाद विशेष का चिह्नांकन संबंधित उत्पाद की विशिष्टता, विपणन सामर्थ्य, विकास संभाव्यता तथा रोजगार सृजनशीलता के आधार पर किया गया है।
जनपद चिन्हित उत्पाद
अमरोहा – ढोलक
बस्ती – कष्ट शिल्प
अलीगढ़– ताले हार्डवेयर
बहराइच – गेहूं डंठल हस्तशिल्प
अंबेडकर नगर – वस्त्र उत्पाद
बागपत – घरेलु सजावटी सामान
आगरा – चमड़े के उत्पाद
बिजनौर– काष्ठ शिल्प
आजमगढ़ – काली मिटटी
बुलंदशहर – चीनी मिटटी के वर्त्तन
इटावा – वस्त्र उद्दोग
मऊ – वस्त्र उद्दोग
प्रयागराज – मूंज उत्पाद
मथुरा -स्वक्षता संबंधी उपकरण
एटा– घुंगरू , घंटी पीतल उत्पाद
महराजगंज – फर्नीचर
औरैया – दुग्ध प्रसंस्करण
कन्नौज -इत्र
मिर्जापुर –कालीन
कानपुर देहात – एलुमिनियम के वर्तन
मुजफ्फरनगर – गुड़
मुरादाबाद -धातु शिल्प
मेरठ – खेल का सामान
कुशीनगर -केले के रेशे से वने उत्पाद
कानपुर नगर – चमड़े के उत्पाद
उत्तर प्रदेश से संबंधित महत्त्वपूर्ण वन लाइनर
✴ राज्य में केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय है – 1 (झांसी में)
✴ राज्य में राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय है – अमेठी में
✴ उत्तर प्रदेश में परंपरागत भूमि मापन इकाई है – बीघा
✴ वह जनजाति, जो बहुविवाह व्यवस्था को आचरित करती है – जौनसारी
✴ काशी विद्यापीठ के संस्थापक है – बाबू शिव प्रसाद गुप्त 23%
✴ नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का निर्माण किया जा रहा है – जेवर (गौतमबुद्ध नगर) में
✴ उत्तर प्रदेश में कुल केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की संख्या है -6
✴ उत्तर प्रदेश में सामान्य केन्द्रीय विश्वविद्यालय हैं – लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अंबेडकर नगर, आजमगढ़, मऊ तथा गाजीपुर(प्रयागराज, अलीगढ़ और लखनऊ में) वाराणसी
✴ उत्तर प्रदेश में मूल्यवर्धित कर (वैट) लागू हुआ – 1 जनवरी, 2008 में
✴ उत्तर प्रदेश में एक रेल (मॉडर्न) कोच फैक्ट्री की स्थापना की जा रही है – लाल गंज रायबरेली में
✴ जनगणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश का यह जिला सबसे अधिक जनसंख्या का घनत्व धारण करता है – गाजियाबाद
✴ उत्तर प्रदेश में क्षेत्रफल सर्वाधिक है – लखीमपुर खीरी
✴ मुड़िया पूर्णिमा मेला का आयोजन किया जाता है जिले का गोवर्धन- (मथुरा) में
✴ प्रथम समाजवादी अभिनव विद्यालय खोला गया – प्रयागराज में
✴ उत्तर प्रदेश की सर्वाधिक लंबी नहर है – शारदा नहर
✴ आगरा स्थित दयाल बाग संबंधित है – राधा स्वामी पंथ
✴ उत्तर-मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र स्थित है – प्रयागराज
✴ गोविंद बल्ल पंत सागर अवस्थित है – सोनभद्र में
✴ जनगणना 2011 के अनुसार, उत्तर प्रदेश के किस जिले की साक्षरता दर सबसे कम है – श्रावस्ती
✴ जिस धार्मिक समुदाय का उत्तर प्रदेश में तीसरा प्रमुख स्थान है – सिख
✴ उत्तर प्रदेश का आगरा, प्रयागराज, कानपुर एवं लखनऊ में से वह नगर, जो पुराने राष्ट्रीय महामार्ग 2 (पुनर्संख्यांकन के बाद अब राष्ट्रीय राजमार्ग 19) द्वारा नहीं जोड़ा जाता लखनऊ
✴ जौनपुर, कौशांबी, प्रतापगढ़ एवं सोनभद्र में से वह जनपद, जो प्रयागराज जनपद के साथ सीमा नहीं बनाता – सोनभद्र
✴ कृषि श्रम उत्पादकता सर्वाधिक है – पश्चिमी उत्तर प्रदेश में
✴ गंगा, यमुना, गोमती एवं झेलम नदियों में से एक उत्तर प्रदेश से नहीं गुजरती है – झेलम
✴ ग्राम पंचायतों द्वारा लगाया जाने वाला कर है – स्थानीय मेलों पर कर
✴ भारत में चावल कृषित क्षेत्र तिमंद्ध में उत्तर प्रदेश की कोटि है
✴ उत्तर प्रदेश में सिंचाई के मुख्य साधनों का अवरोही क्रम है – नलकूप , नहरें , तालाब
✴ रोजगार की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा उद्योग है – हथकरधा
✴ उत्तर प्रदेश की प्रमुख नकदी फसल है – गन्ना
✴ प्रथम विकलांग (दिव्यांग) विश्वविद्यालय स्थापित किया गया – चित्रकूट
✴ गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज की स्थापना की गई –लखनऊ
✴ भारतेंदु नाट्य अकादमी की स्थापना हुई -19 75
✴ उत्तर प्रदेश में मार नाम की मृदा – बुंदेलखण्ड (झांसी, हमीरपुर आदि) में
✴ उत्तर प्रदेश में कम्प्यूटर एडेड डिजाइनिंग परियोजना का केन्द्र स्थित – लखनऊ
✴ उत्तर प्रदेश का एकमात्र मुक्त विश्वविद्यालय जाना जाता है, नाम से है – राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय
✴ केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान अवस्थित है – लखनऊ
✴ शस्य वानिकी का राष्ट्रीय शोध केन्द्र अवस्थित है – झाँसी
✴ भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान अवस्थित है – कानपुर
✴ शीला घर मृदा विज्ञान संस्थान स्थित है – प्रयागराज
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