उत्तर प्रदेश की सामान्य भौतिक संरचना
- उत्तर प्रदेश की सामान्य भौतिक संरचना की बात करें तो उत्तर प्रदेश प्राचीन गोंडवाना भूखंड का भाग है।
- उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश का विकास प्राचीन में टेथिस सागर के अवसाद से हुआ है उत्तर प्रदेश का दक्षिणी भाग प्रायद्वीपीय भारत का विस्तार है। उत्तर प्रदेश के मैदान का विकास हिमालय से निकलने वाली नदियों द्वारा ले गए अवसादों से एवं प्रायद्वीप से बहने वाली प्रदीप भारत से निकलने वाली नदियों के द्वारा अवसाद से हुआ है।
- उत्तर प्रदेश में उत्तराखंड बनने से पहले उत्तर प्रदेश का विभाजन तीन भागों में किया जाता था उत्तर प्रदेश पर्वतीय भाग एवं उत्तर प्रदेश का मध्य मैदानीय भाग एवं उत्तर प्रदेश का दक्षिणी पठारी भाग शामिल था।
- उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग भाबर प्रदेश है जो शिवालिक का भाग है एवं मध्य भाग मैदानी भाग है जो नदियों द्वारा ले गए अवसादों से निर्मित है।
- उत्तर प्रदेश को तीन प्रमुख क्षेत्र में विभाजित किया जाता है उत्तरी भाग भाबर प्रदेश एवं मध्य भाग मैदानी प्रदेश एवं दक्षिणी भाग पठारी प्रदेश .
- भावर प्रदेश
- भावर प्रदेश वह प्रदेश होता है जिसमें नदियां दिखाई नहीं देती अर्थात बड़े-बड़े पत्थर होते हैं और जिसमें नदियां अदृश्य हो जाती हैं यह उत्तर प्रदेश का सबसे उत्तरी भाग एक पट्टी के रूप में फैला हुआ है भाबर प्रदेश का विस्तार पश्चिम में सहारनपुर से लेकर पूर्व में कुशीनगर तक है।
- तराई प्रदेश
- भाबर प्रदेश के दक्षिण में एक पतली सी पट्टी के रूप में तराई प्रदेश है जहां पर नदियां स्पष्ट रूप से बहती हैं। यहां पर जनसंख्या बहुत कम निवास करती है यह एक दलदलीय भूमि है इस क्षेत्र में साल हल्दु, सेमल, सकू, आदि वृक्ष तथा घासें पाई जाती हैं वर्ष की अधिकता और भूमि उर्वरक होने के कारण पानी चाहने वाले धान की खेती की जाती है।
- बांगर एवं खादर प्रदेश
- नदियों द्वारा लाई पुरानी मिट्टी को बांगर कहा जाता है यह वह भाग होता है जहां पर नदियों का बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाता है यह प्रदेश बहुत अधिक उपजाऊ नहीं है।
- खादर ऐसे प्रदेश को कहते हैं जहां नदियां प्रतिवर्ष अपना जमाव करती हैं और खादर की मृदा अत्यंत उपजाऊ होती है खादर क्षेत्र में नदियों द्वारा ले गए अधिक पत्थर से बीहड़ों का भी निर्माण होता है जैसे यमुना और चंबल के तटवर्ती बीहड़।
- उत्तर प्रदेश का दक्षिणी पठारी भाग
- उत्तर प्रदेश का दक्षिणी पठारी भाग सोनभद्र से लेकर पश्चिम में ललितपुर तक विस्तारित है यह भाग प्रायद्वीपीय का ही भाग्य क्योंकि इसका निर्माण कैंब्रियन युग में रकम विंध्य कम की सालों से हुआ है। पश्चिमी भाग को बुंदेलखंड एवं पूर्वी भाग को बघेलखंड कहा जाता है।
- दक्षिणी उत्तर प्रदेश का भाग गंगा जमुना तथा दक्षिणी सीमा पर बिंदु श्रेणियां है जिसमें पश्चिमी सीमा पर बेतवा नदी प्रभावित प्रभावित होती है।
- उत्तर प्रदेश के दक्षिणी पठार काढ़ाल दक्षिण से उत्तर की ओर है अर्थात जो नदियां मध्य प्रदेश से निकलती है वह उत्तर की ओर प्रवाहित होती हैं। इस क्षेत्र के अंतर्गत ललितपुर, झांसी, जालौन, हमीरपुर, महोबा ,चित्रकूट ,प्रयागराज का दक्षिणी और दक्षिणी पूर्वी भाग शामिल है।
- उत्तर प्रदेश की दक्षिणी पठारी भाग की प्रमुख नदियां चंबल , बेतवा केन ,सोन और टोंस हैं जिनमें चंबल बेतवा और केन पत्थर को काटती हुई यमुना में और सोन और टोंस गंगा में मिलती हैं।
- उत्तर प्रदेश के दक्षिणी पठारी भाग का पूर्वी भाग कम उपजाऊ वाला क्षेत्र एवं पश्चिमी भाग में कुछ फासले होती हैं जिनमें चना अरहर,सरसों ,ज्वार और गेहूं शामिल है क्योंकि इस क्षेत्र में अधिकांश लाल मृदा पाई जाती है।
- उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड पठार
- यह पत्थर आर्कियन चट्टानों से निर्मित है इसमें बुंदेलखंड नीस नाम से जाना जाता है और किन कम की चट्टानों में जीवाश्म नहीं पाए जाते हैं। इसलिए इसमें कुछ खनिज पाए जाते हैं।
- उत्तर प्रदेश का बघेलखंड पत्थर
- बघेलखंड पत्थर सोनभद्र रामगढ़ एवं सोन नदी का क्षेत्र शामिल है। विंध्यांचल पर्वत की सबसे पूर्वी श्रेणी कैमूर पर्वत भी इसी क्षेत्र का भाग है कैमूर पर्वत पूरे मध्य प्रदेश को पार करते हुए सोनभद्र तक है इस क्रम में की चट्टानों में चूने के पत्थर डोलोमाइट बलुआ पत्थर आदि शैली पाई जाती हैं। विंध्य क्रम की चट्टानों में कहीं कहीं पर जीवाश्म भी पाए जाते हैं इसलिए इस क्षेत्र में जीवाश्म ईंधन की भी प्राप्ति होती है।
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