उत्तर प्रदेश में कृषि
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्त्वपूर्ण योगदान है।जनगणना 2011 के अंतिम आंकड़ों के अनुसार उ.प्र. राज्य के कुल कर्मकारों में कृषि कर्मकारों का योगदान 59.3 प्रतिशत है।उ.प्र. में कृषि को अर्थव्यवस्था का मेरुदंड कहा जाता है।
▶ देश के कुल खाद्यान्न (Total Food Grains) उत्पादन में सभी राज्यों में उत्तर प्रदेश का स्थान प्रथम है।
▶ कृषि निवेश पर देय अनुदान को DBT के माध्यम से भुगतान करने वाला देश में उत्तर प्रदेश पहला राज्य है।
▶ कृषि गणना 2015-16 के अनुसार प्रदेश में औसत क्रियाशील जोत आकार 0.73 हेक्टेयर है, जबकि भारत में 1.08 हेक्टेयर है।
प्रदेश को 9 कृषि जलवायु प्रदेशों में बाँटा गया है।
▶ कृषि जलवायु प्रदेशों के वर्गीकरण के आधार मृदा, वर्षा, तापमान, जल एवं मानव संसाधन है।
▶ देश की कुल कृषि योग्य भूमि का लगभग 10.34 प्रतिशत भाग उत्तर प्रदेश के अंतर्गत आता है।
▶ 2019-20 में प्रदेश में शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल 183.68 लाख हैक्टेयर था।
▶ चीनी की सर्वाधिक उत्पादकता – गाजीपुर
▶ सर्वाधिक अरहर उत्पादक जिला –फतेहपुर
▶ मक्का की सर्वाधिक उत्पादकता – हरदोई
▶ सर्वाधिक जौ उत्पादक जिला – एटा
▶ सर्वाधिक मक्का उत्पादन वाला जिला –बहराइच
▶ गेहूँ का सर्वाधिक उत्पादक जिला –हरदोई
▶ गेहूँ की सर्वाधिक उत्पादकता – बागपत
▶ सर्वाधिक बाजरा उत्पादक जिला- आगरा
▶ बाजरा की सर्वाधिक उत्पादकता- मैनपुरी
▶ सर्वाधिक चावल उत्पादक जिला – शाहजहाँपुर
▶ चावल की सर्वाधिक उत्पादकता –महोवा
.▶ चावल का सर्वाधिक क्षेत्र –आज़मगढ़
. ▶ सर्वाधिक ज्वार उत्पादक – ज़िला बाँदा
▶ ज्वार की सर्वाधिक उत्पादकता – सोनभद्र
. ▶ बाजरा की सर्वाधिक उत्पादकता – मैनपुरी
कृषि से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य
▶ आम के उत्पादन में प्रमुख – लखनऊ, सहारनपुर, बुलंदशहर
. ▶ गन्ने के उत्पादन में प्रमुख तराई क्षेत्र
▶ हल्दी- बुंदेलखण्ड क्षेत्र
▶ अमरूद के लिये प्रशिक्षण एवं प्रयोग केन्द्र – प्रयागराज (इलाहाबाद)
▶ अमरूद (शाहजहाँपुर एवं फरुखाबाद जिले में उत्पादन)
▶ गाजीपुर में राज्य की एकमात्र अफीम फैक्ट्री
▶ आम के लिये प्रशिक्षण एवं प्रयोग केन्द्र सखनऊ में स्थित है।
▶ प्रदेश में फूलों की खेती वाराणसी लखनऊ कन्नौज, प्रयागराज मिर्जापुर और जौनपुर जिले में की जाती है।
▶ उत्तर प्रदेश के दक्षिणी पठार की मिट्टियों को बुंदेलखण्डीय मिट्टी कहते हैं।
▶ इस क्षेत्र में भोंटा, माड (मार), कावड, पडवा (परवा), राकड़ आदि मिटिटयां पाई जाती हैं।
▶ इस क्षेत्र की काली मृदा को केरल, कपास अथवा रेगुर आदि नामों से भी जाना जाता है।
▶ प्रदेश के जालौन, झांसी, ललितपुर और हमीरपुर जिलों में काली मृदा का विस्तार होने के कारण बना, गेहूँ, अरहर एवं तिलहन प्रमुख उपजें हैं।
मोंटा मिट्टी विंध्य पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
माड (मार) मिट्टी, काली मिट्टी या रेगुर मिट्टी के समान चिकनी होती है।
▶ माड (मार) मिट्टी में सिलिकेट, लोहा एवं एल्युमीनियम खनिज पदार्थ पाए जाते हैं।
▶ मांट मिट्टी उ.प्र. के पूर्वी क्षेत्रों में पाई जाती है। इस मिट्टी में चूना अधिक होता है।
▶ पड़वा मिट्टी उ.प्र. के हमीरपुर, जालीन और यमुना नदी के ऊपरी जिलों में पाई जाती है।
▶ पड़वा मिट्टी हल्के लाल रंग की होती है।
▶ राकड़ मिटटी उ.प्र. के दक्षिण पर्वतीय एवं पठारी ढलानों पर पाई जाने वाली मिट्टी है।
▶ लाल मिट्टी उ.प्र. के मिर्जापुर, सोनभद्र जिलों एवं झांसी में पाई जाती है।
▶ लाल मिट्टी का निर्माण बालूमय लाल शैलों के अपक्षय से हुआ है।
▶ लाल मिट्टी का विस्तार चेतवा एवं घसान नदियों के जलप्लावित क्षेत्रों में भी पाया जाता है।
. ▶ लाल मिट्टी में नाइट्रोजन, जीवांश, फॉस्फोरस एवं धूना खनिजों की कमी पाई जाती है।
. ▶ लाल मिट्टी में गेहूं, चना एवं दलहन आदि फसलें उगाई जाती हैं।
▶ ऊसर एवं रेह मिट्टी उ.प्र. के अलीगढ़, मैनपुरी, कानपुर, सीतापुर, उन्नाय, एटा, इटावा, रायबरेली एवं लखनऊ जिलों में पाई जाती है तथा ये लवण से प्रभावित हैं।
▶ रेहयुक्त क्षारीय ऊसर भूमि का उत्तर प्रदेश में अधिक विस्तार है।