उत्तर प्रदेश में जीआई टंग
परिचयःभौगोलिक संकेत (जीआई) टैग, एक ऐसा नाम या चिह्न है जिसका उपयोग उन कुछ उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबंधित होते हैं।
उदाहरण के लिये दार्जिलिंग चाय, कांचीपुरम सिल्क आदि।जीआई टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति है।यह उत्पाद दूसरों द्वारा नकल या अनुकरण किये जाने से भी बचाता है।एक पंजीकृत जीआई टैग 10 वर्षों के लिये वैध होता है।
कानूनी ढाँचा और दायित्वः वस्तुओं का भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण अधिनियम, 1999 भारत में वस्तुओं से संबंधित भौगोलिक संकेतों के पंजीकरण के साथ उच्च सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
यह बौद्धिक संपदा अधिकार (TRIPS) के व्यापार संबंधित पहलुओं पर WTO के रामझौते द्वारा शासित और निर्देशित है।
जीआई टैग प्रदान किये गए 7 उत्पादः
अमरोहा ढोलकःअमरोहा ढोलक प्राकृतिक लकड़ी से बना एक वाद्ययंत्र है।इसे गढ़ने के लिये पशुओं की खाल, आमतौर पर बकरी की खाल का उपयोग किया जाता है। in
बागपत होम फर्निशिंग /घरेलू-सज्जाः
बागपत और मेरठ अपने विशिष्ट हथकरघा घरेलू साज-सज्जा उत्पादों के लिये सुप्रसिद्ध हैं।बुनाई प्रक्रिया में सूती धागे का उपयोग किया जाता है, यह कार्य मुख्य रूप से करघे पर किया जाता है। Ostit
बाराबंकी हथकरघा उत्पादःबाराबंकी और इसके आसपास के क्षेत्रों में 50,000 से अधिक बुनकर और 20,000 करघे हैं।बाराबंकी क्लस्टर का वार्षिक राजस्व 150 करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
मैनपुरी तारकशीःमैनपुरी तारकशी एक लोकप्रिय कला है तथा इसमें लकड़ी पर पीतल का तार जड़ा जाता है।मैनपुरी तारकशी घरेलू आवश्यकता रही है जिसका परंपरागत रूप से खड़ाऊ (लकड़ी के सैंडल) को सजाने में उपयोग किया जाता है।स्वच्छता के संबंध में सांस्कृतिक विचारों के कारण चमड़े के विकल्प तलाशे गए हैं।
संभल हार्न क्राफ्टःसंभल हॉर्न क्राफ्ट में मृत पशुओं से प्राप्त कच्चे माल का उपयोग किया जाता है तथा यह शिल्प पूरी तरह से हस्तनिर्मित है।
कालपी हस्तनिर्मित कागजः कालपी हस्तनिर्मित कागज निर्माण के लिये पहचाना जाता है।इस शिल्प को पहली बार 1940 के दशक में गांधीवादी मुन्नालाल ‘खद्दरी द्वारा पेश किया गया था, जबकि इसकी जड़ें कालपी के इतिहास में बहुत पुरानी हो सकती हैं।
महोबा गौरा पत्थर हस्तशिल्पः
महोबा गौरा पत्थर हस्तशिल्प महोबा के अद्वितीय पत्थर शिल्प का प्रतिनिधित्व करता है।इसमें इस्तेमाल किया गया पत्थर, जिसे वैज्ञानिक रूप से पाइरा फ्लाइट स्टोन के नाम से जाना जाता है, एक नरम और चमकदार सफेद रंग का पत्थर है जो मुख्य रूप से इस क्षेत्र में पाया जाता है।