कारगिल युद्ध 1999
कारगिल युद्ध भारत के इतिहास में एक अपनी अलग पहचान रखता है। यह युद्ध भारतीय सेना एवं वायु सेना द्वारा जम्मू कश्मीर राज्य में नियंत्रण रेखा के समीप 1999 में मई से लेकर जुलाई तक लड़ा गया। भारतीय सेना एवं वायु सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों और अर्ध सैनिक बलों को भारतीय सीमा से बाहर खदेड़ खरीद दिया। भारत सरकार द्वारा सफेद सागर ऑपरेशन नाम दिया गया।
कारगिल युद्ध का प्रारंभ
कारगिल युद्ध का प्रारंभ पाकिस्तान द्वारा घुसपैठ मई 1999 से प्रारंभ हुआ कश्मीर में आतंकवादियों के रूप में नियंत्रण रेखा के समीप पाकिस्तानी घुसपैठियों ने अपना अड्डा जमाना प्रारंभ किया। भारतीय सेना और वायु सेना ने मई ,जून और जुलाई तीन माह अथक प्रयास और बलिदान के बाद 26 जुलाई 1999 अंतिम रूप से पाकिस्तानी सेना एवं आतंकवादियों को भारतीय सीमा से बाहर खदेड़ दिया।
कारगिल का युद्ध भारतीय इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह युद्ध पहाड़ी इलाकों में उच्च ऊंचाइयों वाले स्थान पर लड़ा गया। यह पाकिस्तान की एक रणनीति का हिस्सा था। पाकिस्तान हमेशा से ही जम्मू कश्मीर में हस्तक्षेप करता रहा , सही माने तो पाकिस्तान की अपनी अंदरूनी राजनीति कश्मीर मुद्दे पर टिकी है। पाकिस्तान को इसके लिए पड़ोसी देशों से भी सहयोग मिलता है जिनमे चीन प्रमुख भूमिका निभाता है। चीन पाकिस्तान को भूराजनीति के रूप में प्रयोग करता है।
कारगिल युद्ध का परिणाम
युद्ध चाहे कोई भी हो हमेशा नकारात्मक होता है इस युद्ध में भी यही हुआ भारतीय जवान भी शहीद हुए पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गए। 26 जुलाई 1999 को अंतिम रूप से भारतीय सीमा से पाकिस्तानी आतंकवादियों को पाकिस्तानी घुसपैठियों को पाकिस्तानी सैनिकों एवं अर्ध सैनिक बलों को सीमा से बाहर कर दिया गया और इसी उपलक्ष्य में 26 जुलाई को प्रतिवर्ष कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह महत्वपूर्ण दिन उन भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देता है जिन्होंने पाकिस्तान सुना द्वारा घुसपैठ किए गए क्षेत्र को पुनः प्राप्त किया और अपनी जान की परवाह किए बगैर भारत की मातृभूमि पर बलिदान हो गए
कारगिल युद्ध से पहले पाकिस्तान भारत के मध्य 1971 में भी युद्ध हुआ इस युद्ध में भी पाकिस्तान की हार हुई और पाकिस्तान दो देशों में विभाजित हो गया पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश के रूप में बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान के रूप में बना।
भारत और पाकिस्तान के मध्य विवाद का विषय जम्मू कश्मीर हमेशा से रहा है क्योंकि 1947 में स्वतंत्रता के समय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 में यह प्रावधान था कि भारतीय रियासतें या तो भारत में शामिल हो सकती है या पाकिस्तान में या वह अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रख सकते हैं।
अधिकांश रियासतें भारत में शामिल हो गई या कुछ रियासतें पाकिस्तान में शामिल हो गई केवल तीन ऐसी रियासतें सी जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू कश्मीर जूनागढ़ और हैदराबाद को भी भारत में शामिल कर लिया गया। जम्मू कश्मीर रियासत ने खुद को स्वतंत्र रखने की घोषणा की
जम्मू कश्मीर रियासत की सबसे बड़ी समस्या यह थी कि वहां का जो शासक थे वह हिंदू महाराजा हरि सिंह थे और जबकि वहां के अधिकांश जनसंख्या मुस्लिम थी और इसी जनसंख्या का फायदा उठाकर पाकिस्तान की सेवा ने या पाकिस्तान की सरकार ने जम्मू कश्मीर के लोगों को गुमराह करना शुरू किया और उन्हें अपने साथमिलाने के लिए लालच देना प्रारंभ किया।
इस तरह से भारत – पाकिस्तान के मध्य जम्मू कश्मीर को लेकर आए दिन विवाद होता रहता है। जम्मू कश्मीर पर एक बहुत बड़ा भाग जिसे अधिकृत कश्मीर कहते हैं पाकिस्तान के अवैध रूप से कब्जे में है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर एवं भारत के मध्य ही एल ओ सी सीमा निर्धारित की गई है।