डेली करंट अफेयर्स 17-06-2024
डेली करंट अफेयर्स 17-06-2024
गर्मी के मौसम में इमारत में आग लगना
गर्मी के मौसम में इमारत में आग लगना
गर्मी के मौसम में कई कारणों से इमारतों में आग लगना आम बात है। तेज़ गर्मी के कारण बिजली के तार ज़्यादा गर्म हो सकते हैं और खराब हो सकते हैं, और शुष्क मौसम के कारण आग ज़्यादा आसानी से फैल सकती है।
गर्मी के मौसम में इमारत में आग लगने के कारण
💥 ज़्यादा गर्मी बिजली के सिस्टम पर दबाव डालती है। लोग एयर कंडीशनर, पंखे और रेफ्रिजरेटर पर ज़्यादा निर्भर रहते हैं, जिससे सर्किट ओवरलोड हो सकते हैं और ज़्यादा गर्म होने और संभावित आग लगने की संभावना हो सकती है। खराब वायरिंग, ख़ास तौर पर पुरानी वायरिंग जिसे अपडेट नहीं किया गया है, गर्मियों में बिजली की बढ़ती माँग के कारण खराब होने की संभावना ज़्यादा होती है।
💥 गर्मी के मौसम में ज़्यादा इस्तेमाल से एक्सटेंशन कॉर्ड ओवरलोड हो जाते हैं या क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। ज्वलनशील पदार्थों के बहुत पास रखे गए उपकरण ज़्यादा गर्म हो सकते हैं और आस-पास की चीज़ों को जला सकते हैं। जब इस्तेमाल में न हों तो उपकरणों को अनप्लग करना न भूलें और आउटलेट को ओवरलोड करने से बचें।
💥 गर्मी के मौसम में बाहर ग्रिलिंग करना ज़्यादा प्रचलित हो जाता है। ग्रिल का ठीक से रख-रखाव न किया जाना, बिना देखरेख के खाना पकाना और ग्रिल के पास रखे ज्वलनशील तरल पदार्थ सभी आग के जोखिम को बढ़ाते हैं। गर्मियों में रसोई के चूल्हे का उपयोग भी बढ़ जाता है, जिससे घर के अंदर खाना पकाने की आग में वृद्धि होती है।
💥 गर्मियों की गर्मी वनस्पतियों और निर्माण सामग्री को सुखा देती है, जिससे उनमें आग लगने और तेजी से जलने की संभावना बढ़ जाती है। यह किसी भी आकस्मिक चिंगारी के लिए खतरनाक वातावरण बनाता है।
💥 गर्मियों में आंधी के दौरान बिजली गिरना आम बात है। बिजली गिरने से छत या आस-पास के पेड़ों पर सूखी सामग्री जल सकती है, जिससे इमारत में आग फैल सकती है।
💥 गर्मियों में लोग ज़्यादा समय बाहर बिताते हैं, जिससे लापरवाही से फेंकी गई सिगरेट या सिगार की मात्रा बढ़ सकती है। ये आसानी से सूखी पत्तियों या अन्य ज्वलनशील पदार्थों को जला सकती हैं।
गर्मियों के मौसम में इमारत में आग लगने से कैसे बचें
गर्मियों में इमारत में आग लगने से रोकना आग पर काबू पाने की कोशिश करने से कहीं बेहतर है।
💥 अपने इलेक्ट्रिकल सिस्टम का नियमित रूप से किसी योग्य इलेक्ट्रीशियन से निरीक्षण करवाएं, खासकर अगर आपकी इमारत में पुरानी वायरिंग है।
💥 बहुत सारे उपकरणों से सर्किट को ओवरलोड करने से बचें। उपयोग में न होने पर उपकरणों को अनप्लग करें।
💥 किसी भी क्षतिग्रस्त या घिसे हुए इलेक्ट्रिकल कॉर्ड का निरीक्षण करें और उसे बदलें।
अपनी इमारत के आस-पास पत्तियों, मलबे और सूखी वनस्पतियों से मुक्त एक साफ क्षेत्र बनाए रखें।
💥 अगर आप ग्रिल करते हैं, तो उसे अपनी बिल्डिंग और किसी भी ज्वलनशील पदार्थ से सुरक्षित दूरी पर रखें। अपनी ग्रिल को नियमित रूप से साफ करें और उसका रख-रखाव करें।
💥 सिगरेट को सही तरीके से बुझाएँ और उन्हें सुरक्षित, गैर-ज्वलनशील कंटेनर में डालें।
💥 बिल्डिंग में मौजूद सभी लोगों के साथ मिलकर आग से बचने की योजना बनाएँ और उसका अभ्यास करें। सुनिश्चित करें कि सभी को सभी निकासों का स्थान पता हो।
उत्तराखंड के जंगलों में आग
उत्तराखंड में जंगलों में आग लगने की घटनाएं कोई नई बात नहीं है। हर साल, खासकर गर्मियों के महीनों में, राज्य में कई जगहों पर आग लगने की खबरें आती हैं। 2024 में भी, उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की कई घटनाएं हो चुकी हैं।
16 जून, 2024 तक, उत्तराखंड में 2024 में जंगलों में आग लगने की 1,225 घटनाएं हो चुकी हैं। इन आग में 10 लोगों की मौत हो चुकी है और 10 वनकर्मी घायल हो गए हैं। इन आगों से 12,683.81 हेक्टेयर वन क्षेत्र जलकर खाक हो गया है।
जंगलों में आग के कारण क्या हैं ?
जंगलों में आग लगने के मुख्य दो कारण हो सकते हैं, जिनमें प्राकृतिक और मानवीय दोनों कारण शामिल हैं।
प्राकृतिक कारण:
💥 बिजली गिरना- यह जंगलों में आग लगने का एक प्रमुख प्राकृतिक कारण है।
💥 सूखा-गर्मी और कम बारिश के कारण जमीन सूख जाती है, जिससे जंगलों में आग लगने का खतरा बढ़ जाता है।
💥 तेज हवाएं-तेज हवाएं पहले से लगी आग को फैला सकती हैं और नई आग को जन्म दे सकती हैं। आपस में पेड़ों के टकराने से भी आग लग सकती है।
💥 ज्वालामुखी विस्फोट – कभी कभी जवालामुखी विस्फोट से भी आग लग सकती है।
मानवीय कारण
💥 लोग अक्सर खाना बनाते समय, सिगरेट फेंकते समय या मशीनों का उपयोग करते समय लापरवाही बरतते हैं, जिससे जंगलों में आग लग सकती है।
💥 जंगलों की कटाई से सूखी लकड़ी और पत्तियां जमा हो जाती हैं, जो जंगलों में आग लगने का खतरा बढ़ा देती हैं।
💥 कुछ लोग जानवरों को बाहर निकालने के लिए जंगलों में आग लगाते हैं, जिससे अनियंत्रित आग लग सकती है।
💥 जंगलों में अवैध खनन और अतिक्रमण जैसी गतिविधियों से भी आग लग सकती है।
जंगलों में आग लगने से होने वाले नुकसान
💥 जंगलों में आग से पेड़-पौधे, जानवर और पक्षी जलकर खाक हो जाते हैं।
💥 जंगलों में आग मिट्टी को कमजोर कर देती है, जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है।
💥 जंगलों में आग से निकलने वाला धुआं हवा को प्रदूषित करता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
💥 जंगलों में आग से ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित होती हैं, जो जलवायु परिवर्तन में योगदान करती हैं।
जंगलों में आग को कैसे रोका जाये ?
💥 लोगों को जंगलों में आग न लगाने के बारे में जागरूक करना।
💥 जंगलों में आग लगाने वालों के लिए कड़ी कानून बनाना और उनका कड़ाई से पालन करना।
💥 जंगलों का बेहतर प्रबंधन करना और सूखे पेड़ों और पत्तियों को हटाना।
💥 जंगलों में आग का जल्द पता लगाने और उन पर काबू पाने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करना।
💥 समुदाय की भागीदारी: जंगलों में आग को रोकने और उन पर काबू पाने में स्थानीय समुदाय को शामिल करना।
NOTE-
उत्तराखंड, जिसे “देवभूमि” के नाम से भी जाना जाता है, न केवल धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह वन्यजीवों और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर राष्ट्रीय उद्यानों का भी घर है। उत्तराखंड में कुल मिलाकर छह राष्ट्रीय उद्यान हैं
1.गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड के सबसे बड़े राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है, जो पश्चिमी हिमालय में स्थित है।
2.नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
3.गिरिदौर राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित है। यह पार्क अपने घने जंगलों, घास के मैदानों और ऊंचे शिखरों के लिए जाना जाता है।
4.वैली ऑफ फ्लावरर्स राष्ट्रीय उद्यान अपनी अल्पाइन घास के मैदानों और रंगीन फूलों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह पार्क बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरा हुआ है और जुलाई से सितंबर के महीनों में विभिन्न प्रकार के फूलों से भर जाता है।
5.राजाजी राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड के दक्षिण में स्थित है। यह पार्क शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है और हाथियों, तेंदुओं, चीतलों और विभिन्न प्रकार के पक्षियों का आवास है।
6.कैंपटी फॉल राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है। यह पार्क अपने घने जंगलों, उंचे पहाड़ों और कैम्पटी फॉल के लिए जाना जाता है।
मफांग
माफांग एक कुवैत का नगर है , जहाँ हाल ही एक बड़ी इमारत में भीषण आग लगी थी जिसमे 45 भारतीय मजदूरों की मृत्यु हो गयी थी।
कुवैत
कुवैत एक पश्चिम एशिया का देश है , जिसकी सीमायें इराक़ ,साउदी अरब और समुद्री सीमा ईरान से स्पर्श करती हैं। पूरब में इसके फारस की खाड़ी है। कुवैत की राजधानी कुवैत सिटी है। कुवैत एक इस्लामिक देश है यहां मुस्लिम जनसंख्या अधिक निवास करती है
नोट– हॉर्मुज जलसंधि फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी को आपस में जोड़ती है।
राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी NTA
राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन स्थापित एक स्वायत्त संगठन है। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी की स्थापना 2017 में परीक्षा आयोजन में सुधार, पारदर्शिता लाने और राष्ट्रीय स्तर पर समान अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। यह भारत में परीक्षा आयोजित करवाने वाली बड़ी संस्था है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। वर्तमान में इसके चेयरमैन प्रदीप कुमार जोशी हैं
राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) विभिन्न प्रकार की उच्च शिक्षा और भर्ती परीक्षाएं आयोजित करती है, जिनमें प्रमुख हैं-
💥 जेईई (मुख्य) और जेईई (एडवांस्ड): इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा
💥 NEET (UG): मेडिकल प्रवेश परीक्षा
💥 CUET (केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा): विभिन्न स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा
💥 एनसीएटी (राष्ट्रीय व्यापार प्रमाणपत्र परीक्षा): व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा
💥 JIPMER (जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान): चिकित्सा प्रवेश परीक्षा
💥 IGNOU (इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय): स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा
राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित करवाने परीक्षाओं की मुख्य विशेषताएं-
💥 ऑनलाइन आवेदन: NTA परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया अपनाई जाती है।
💥 कंप्यूटर आधारित परीक्षा (CBT): NTA परीक्षाएं कंप्यूटर आधारित होती हैं।
💥 सभी NTA परीक्षाओं का मूल्यांकन केंद्र द्वारा किया जाता है।
💥 NTA परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कड़े उपाय किए जाते हैं।
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