भारत का चुनाव आयोग
भारत का चुनाव आयोग भारत का एक स्वायत्त और अर्ध-न्यायिक निकाय है जिसका गठन भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से भारत के विभिन्न प्रतिनिधि संस्थानों के प्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए किया गया था। भारत का चुनाव आयोग 25 जनवरी 1950 को स्थापित किया गया था।
भारत के चुनाव आयोग में वर्तमान में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं। जब इसे पहली बार 1950 में बनाया गया था और 15 अक्टूबर 1989 तक यह एक एकल सदस्यीय निकाय था जिसमें केवल मुख्य चुनाव आयुक्त शामिल थे। 1 अक्टूबर 1993 से यह तीन सदस्यीय निकाय बन गया।
भारत का चुनाव आयोग मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है, जबकि अन्य चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल 6 वर्ष या 62 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है। चुनाव आयुक्त का सम्मान और वेतन भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर होता है। भारत के चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग के माध्यम से ही हटाया जा सकता है।
भारत के चुनाव आयोग के पास विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति आदि के चुनाव से संबंधित शक्तियाँ हैं, जबकि ग्राम पंचायत, नगर पालिका, महानगर परिषद और तहसील और जिला परिषद के चुनाव की शक्तियाँ संबंधित राज्य चुनाव आयोग के पास हैं।
भारत के चुनाव आयोग के कार्य
1.चुनावों की निगरानी,निर्देशन और आयोजन की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है। यह राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद, राज्य विधानसभा के चुनाव कराता है।
2.मतदाता सूची तैयार करवाना
3.राजनीतिक दलों का पंजीकरण करवाना
4.राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय दलों के रूप में वर्गीकृत करना, मान्यता देना, दलों-निर्दलीय को चुनाव चिह्न प्रदान करना
5.एमपी/एमएलए की अयोग्यता पर राष्ट्रपति/राज्यपाल को सलाह देना
6.गलत चुनावी तरीकों का इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों को चुनाव के लिए अयोग्य घोषित करवाना
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