भारत में ब्रिटिश शक्ति का उदय
भारत आने वाले यूरोपीय शक्तियों में ब्रिटिश एक प्रमुख शक्ति है,यूरोपियों में पुर्तगाली ,डच ,फ्रेंच और डेनिस हैं।
यूरोपीय शक्तियों का भारत आने का कारण क्या था ?
भारत एवं यूरोप के साथ व्यापार प्राचीन काल से चल रहे थे, लेकिन मध्यकाल में यूरोप में कुछ राजनीतिक हलचल के कारण यूरोप एवं भारत के मध्य व्यापारिक मार्ग अवरुद्ध हो गया जिसके कारण उन्हें वैकल्पिक मार्ग खोजने के लिए समुद्री मार्ग का सहारा लेना पड़ा। भारत आने वाला सबसे पहले यूरोपीय व्यापारिक समूह पुर्तगाल का था उसके बाद अन्य यूरोपीय समुद्री मार्ग से भारत एवं दक्षिण एशिया एवं दक्षिण पूर्व एशिया पहुंचे। भारत आने का प्रमुख कारण था भारत से यूरोपीय मार्ग अवरुद्ध हो जाने के बाद व्यापार को फिर से प्रारंभ करना।यूरोप से भारत आने वाले सबसे पहला पुर्तगाली हैं।
यूरोपीय शक्तियों का भारत आगमन एवं विस्तार
पुर्तगाली
वास्कोडिगामा ने यूरोप से भारत के लिए केप ऑफ गुड होप होकर समुद्र मार्ग की खोज की। उसे कालीकट आने में अब्दुल मजीद नामक गुजराती ने मदद की।वास्कोडिगामा 1498 में कालीकट के बन्दरगाह पर पहुँचा जहाँ कालीकट के हिन्दू राजा जो ‘जेमोरीन’ की उपाधि से जाना जाता था, ने उसकी आगवानी की।वास्कोडिगामा ने इस यात्रा से जितना धन कमाया, वह इस पूरी यात्रा पर आए खर्च का 60 गुना था।1502 ई० में वास्कोडिगामा ने भारत की दूसरी यात्रा की।1502 ई० में वास्कोडिगामा ने जेमोरीन द्वारा मुस्लिम व्यापारियों को निष्कासित करने से इंकार करने के बाद कालीकट पर बमबारी की।
पुर्तगालियों की पहली फैक्ट्री कालीकट में 1500 ई० में स्थापित हुई, जिसे 1525 ई० में जेमोरीन के दबाव के कारण बन्द कर दिया गया।भारत में पुर्तगालियों की प्रारंभिक राजधानी कोचीन थी, किन्तु बाद में गोवा हो गई।भारत में प्रथम पुर्तगाली गर्वनर, ‘फ्रांसिस्को डी अल्मेडा’ था (1505-09)1
दूसरा पुर्तगाली गर्वनर अल्फांसो डी अलब्यूकर्क (1509- 15) था।1510 ई० में पुर्तगालियों ने बीजापुर के शासक से गोवा जीता।अलब्यूकर्क ने अपने देशवासियों को भारतीय महिलाओं से शादी करने के लिए उत्साहित किया।पुर्तगालियों का एक अन्य महत्वपूर्ण गवर्नर नीनो डी कुन्हा (1529-38) था, जिसके समय में राजधानी कोचीन से गोवा स्थानांतरित की गई तथा गुजरात के बहादुरशाह से दीव और बसीन जीते गए।पुर्तगाली गर्वनर माटीनि अल्फांसों डिसूजा के साथ प्रसिद्ध कैथोलिक संत फ्रांसिस्को जेवियर भारत आया।
पुर्तगाल के राजा ने बम्बई (मुम्बई) को अपनी बहन कैथरीन बरगन्डाजा की शादी में दहेज स्वरूप इंग्लैण्ड के चार्ल्स द्वितीय को 1662 में दिया।
1739 ई० में मराठों ने पुर्तगालियों से सालसेतू और बेसीन जीत लिया था। अब पुर्तगालियों के पास केवल गोवा, दीव और दमन बचा जो उनके पास 1961 तक रहा।पुर्तगालियों ने मसाले, मुख्यतः काली मिर्च के व्यापार पर एकाधिकार स्थापित किया।उन्होंने हिन्द महासागर में सामरिक महत्व की जगहों को अधिकार में ले लिया ताकि एशियाई तृतीय व्यापार पर उनका अधिकार हो सके।वे हिन्द महासागर में कैप्टन एवं कस्टम कलक्टरों के कार्यालयों की ब्रिकी करते थे।
पश्चिमी तट पर पुर्तगाली बस्तियाँ थीं-कार्लीकट (1500), कोचीन (1501), कन्नौर (1503), क्वीलोन (1503), चेलीयम (1531), राहोल (1535), क्रेन्नगान्नौर (1536), मंगलोर (1568), हानावेर (1568), दोड (1569), सूरत (1599), दमन (1599) भावनगर।पूर्वीतट पर प्रमुख पुर्तगाली बस्तियाँ-मेलीयापुर (सैनथोम), चंद्रट्टगाँव (1536), हुगली (1579-80), व बन्देल थी।
इन्होंने बंगाल के शासक महमूदशाह से चट्टगाँव और सतगाँव में फैक्ट्री स्थापित करने की 1536 ई० में अनुमति प्राप्त की।1579-80 में उन्हें दूसरी बस्ती हुगली, अकबर द्वारा दी गई। 1633 ई० में शाहजहाँ के फरमान के द्वारा बन्देल में तीसरी बस्ती स्थापित की गई।
यदि कोई व्यक्ति अपने जहाज को भारत के दूसरे हिस्से में या एशियाई देशों में भेजना चाहता था तो उसे पुर्तगालियों से ‘कार्टेज’ लेना पड़ता था जिसके लिए एक निर्धारित शुल्क वसूला जाता था।
कार्टेज पहली बार 1502 ई० में जारी किया गया।1506 ई० में डोम मैनुअल ने लिस्बन के मसालों के व्यापार को शाही एकाधिकार के अन्तर्गत ले लिया।
कुछ भारतीय शासक जैसे अकबर और उनके उत्तराधिकारी, अहमदनगर के निजामशाह, बीजापुर के आदिल शाह, कोचीन का राजा, कालीकट का जेमोरीन तथा कैनूर के शासक ने अपने जहाजों को विभिन्न जगहों पर भेजने के लिए पुर्तगालियों से कार्टेज लिया था।पुर्तगाली व्यापार की महत्वपूर्ण वस्तुओं जो लायी जाती थी-काली मिर्च, अदरक, सफेद ए चन्दन, नील, कपड़े, हाथी दाँत, दालचीनी, रेशम, मोती आदि।
भारत में पुर्तगाली शक्ति की नींव डालने अलब्यूकर्क को जाता है।1515 ई० में गोआ में अलब्यूकर्क की मृत्यु हो गयी। 1556 ई० में पुर्तगालियों को श्रीलंका में अपनाक एकाधिकार स्थापित करने में सफलता प्राप्त की
1492 ई० में पोप अलेक्जेण्डर षष्ठ ने एक अ द्वारा पूर्वी समुद्रों में पुर्तगालियों को व्यापार व एकाधिकार प्रदान किया था। की सफलता से प्रोत्साहित होकर प ने 1500 ई० में पीड्रो एल्वारेज कैब्रल को भारत भेजा।