मॉक इंटरव्यू
मॉक इंटरव्यू (Mock Interview) का अर्थ है वास्तविक साक्षात्कार के परिदृश्य का अनुकरण। इस दौरान आप वास्तविक साक्षात्कार की परिस्थितियों के सबसे समीप होते हैं। इस कल्पित साक्षात्कार का मूल उध्देश्य स्वयं को साक्षात्कार तथा इस दौरान की परिस्थितियों से परिचित करवाना होता है। यह आपकी तैयारी को और बेहतर बनाने तथा यह पता करने हेतु होता है कि वास्तविक साक्षात्कार की स्थिति में किस प्रकार की प्रतिक्रिया देंगें। इस दौरान आप अपनी गलतियों में सुधार कर सकते है। यह आपके विश्वास को बल देने तथा आपके मन को इस साक्षात्कार के भय से मुक्त करने में सहायता करता है।
इस प्रकार के काल्पनिक साक्षात्कार हमेशा ही लाभदायक होते है। यह उन आकांक्षी अधिकारियों के लिए तो और भी हितकर होते है जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित किसी साक्षात्कार का सामना नहीं किया होता। इन कल्पित साक्षात्कारों से जुड़े हुए कुछ पहलुओं पर मैं विस्तारपूर्वक चर्चा कर रहा हूं।
कब प्रारंभ करें?
यह एक बहुत ही आवश्यक प्रश्न है तथा इसको लेकर मन में बहुत सा संदेह रहता है। इस प्रश्न का कोई बिल्कुल सही उत्तर उपलब्ध नहीं है। अतः मैं वही सुझाव दूंगा जिसे मैं सबसे उपयुक्त मानता हूं तथा इसके लिए मेरे पास तर्क भी उपलब्ध है। दोस्तो, मैं मानता हूं कि आपको कल्पित साक्षात्कार की तैयारी की प्रक्रिया यथाशीघ्र प्रारंभ कर देनी चाहिए। यथाशीघ्र से मेरा भाव है वास्तविक व्यक्तित्व परीक्षा से लगभग दो माह पहले इसे प्रारंभ किया जाना चाहिए।
पहला कारण यह है कि कल्पित साक्षात्कार का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह आपके स्तर, स्थिति, सामर्थ्य तथा कमियों को उनके मूल रूप में उस समय उजागर करता है जबकि आपने अभी व्यक्तित्व परीक्षा हेतु किसी शिक्षण सस्थान (Coaching institute) में प्रवेश नहीं लिया होता। इससे प्राप्त पहले प्रतिक्रिया के आधार पर आप अपनी कार्ययोजना तैयार कर सकते हैं तथा यह आपका पहला कल्पित साक्षात्कार होगा जो आपको यह निर्धारित करने में सहायता करेगा कि आपको ऐसे कितने और साक्षात्कारों की आवश्यकता है।
संख्या
आपके पहले कल्पित साक्षात्कार तथा इसके पश्चात तय की गई कार्ययोजना के आधार पर आपको इसकी संख्या तय करनी होगी। यह संख्या प्रत्येक अभ्यर्थी के लिए अलग अलग होगी लेकिन मेरा सुझाव है कि प्रत्येक अभ्यर्थी को ऐसे कम से कम 2 से 3 कल्पित साक्षात्कार देने चाहिए। साथ ही, आपको एक
बोर्ड के समक्ष, दो बार नहीं तो कम से कम एक बार पुनः प्रस्तुत होना चाहिए। इस प्रकार आपको एक ही बोर्ड से दो बार प्रत्युत्तर प्राप्त होगा जो आपको यह निर्धारित करने में सहायता करेगा कि आपकी तैयारी सही दिशा में बढ़ रही है अथवा नहीं।
किस शिक्षण संस्थान की सहायता लें।
केवल किसी प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान में प्रवेश लेना है। ऐसे संस्थान जो आपको निःशुल्क कल्पित / छदम् साक्षात्कार के माध्यम से फांसने का प्रयत्न करें उन बचकर रहिए। याद रखिए, इस संसार में ‘बिना प्रयोजन’ कोई कुछ नहीं देता। निशुल्क प्रचारित हर वस्तु में उसकी एक कीमत छुपी रहती है। आपको ऐसे प्रलोभनों से दूर रहना होगा। आपको कल्पित / छदम् साक्षात्कार के बोर्ड की सरचना को भी ध्यान में रखना चाहिए। आपको ऐसे ही सस्थान में प्रवेश लेना चाहिए जहा अनुभवी तथ्था विशेषज्ञ व्यक्तियों की उपलब्धता हो।
आपका दृष्टिकोण कैसा हो
आपको यह सदैव याद रखना चाहिए कि यह एक कल्पित / छदम् साक्षात्कार है. वास्तविक नहीं। मैं इस बात पर इस लिए बल देना चाहता हू क्योंकि मैंने देखा है कि कई अभ्यर्थी इस स्थिति में भूलवश लक्ष्यों का विस्थापन (displacement of goals) कर देते है। वे राह को ही मंजिल मान बैठते है। कल्पित /छदम् साक्षात्कार तो व्यक्तित्व परीक्षा रूपी मंजिल तक पहुंचाने की राह मात्र ही है। कल्पित / छदम् साक्षात्कार के माध्यम से सीखने के बजाय वे इसे ही वास्तविक साक्षात्कार मानने लगते है। इस सोच के फलस्वरूप वे प्राप्त प्रत्युत्तर से सीख नहीं पाते हैं तथा इस दौरान की गई गलतियों से कुछ सबक हासिल नहीं कर पाते है। आपको ऐसा कदापि नहीं करना है।
प्रत्येक कल्पित / छदम् साक्षात्कार में आपको मिले प्रत्युत्तर के हर पहलू को आपको अपनी व्यक्तित्व परीक्षा की सखा आपकी डायरी में स्पष्ट तौर पर अवश्य लिखना चाहिए। अब आपको अपनी कमियों को कैसे दूर किया जाए तथा किस प्रकार अपने सामर्थ्य गुणों को दृढ़ता प्रदान की जाए, इसकी तैयारी करनी चाहिए। अब आपको यह ध्यान रखना है कि अगले कल्पित / छदम् साक्षात्कार के दौरान आप इस योजना के अनुरूप कार्य करते है तथा इसके पश्चात आपको यह विश्लेषण करना चाहिए कि आप अपनी बनाई गई योजना के अनुरूप किस हद तक कार्य करने में सफल रहे है।
कल्पित साक्षात्कार बोर्ड का प्रत्युतर
सामान्यतयः यह देखा गया है कि कल्पित छदम् साक्षात्कार बोर्ड के 1 अथवा 2 सदस्य ही इस विधा में कुछ विशेषज्ञता रखते हैं बाकी व्यक्ति अधिक जानकार नहीं होते। कई बार तो पूरा बोर्ड ही ऐसे व्यक्तियों का समूह होता है। अतः आपको ऐसे कल्पित छदम् साक्षात्कार के दौरान मिले प्रत्युत्तर के चयन के प्रति काफी ध्यान रखना है। जब मैं चयन की बात कहता हूं, तो मेरा भाव यह नहीं है कि आप केवल सकारात्मक प्रत्युत्तर का ही चुनाव करें अथवा उस नकारात्मक प्रत्युत्तर को चुनें, जिससे आप आश्वस्त हो पाएं। चयन’ शब्द से मेरा भाव है कि आप यह ध्यान दें कि कौन से सदस्य किस प्रकार का प्रत्युत्तर आपको दे रहें है। उदाहरणस्वरूप, एक ऐसा व्यक्ति जिसका स्वयं माषा पर अधिकार नहीं है, आपकी आलोचना करता है अथवा आपके भाषा विज्ञान की सराहना करता है तो यह प्राकृतर उचित नहीं है।
दूसरा, नकारात्मक प्रत्युत्तर से कभी भी बहुत अधिक तनावग्रस्त न हों। हतोत्साहित होने की भी जरूरत नहीं बल्कि आपको तो प्रसन्न होना चाहिए कि आपके व्यक्तित्व के एक नकारात्मक हिस्से को ध्यान में लाया गया है तथा इसमें सुधार किया जा सकता है जिससे वास्तविक साक्षात्कार के समय इसकी पुनरावृत्ति नही होगी। यह बात सकारात्मक प्रत्युत्तर पर भी उतनी ही लागू होती है। अक्सर यह देखा गया है कि सकारात्मक प्रत्युत्तर अभ्यर्थी में संतुष्टि का भाव लाने लगता है। आप ऐसा न होंने दें।
अभ्यास हेतु कल्पित साक्षात्कार
शिक्षण संस्थानों तथा गैर सरकारी संगठनों द्वारा लिए जाने वाले इन कल्पित/छदम् साक्षात्कार के अतिरिक्त भी आप अपनी तैयारी जिन्हें मैं” अभ्यास हेतु आयोजित कल्पित / छदम् साक्षात्कार जपता दोस्तो के साथ कल्पित साक्षात्कार कहता हूं के माध्यम से भी कर सकते है।। यह साक्षात्कार आप स्वयं अथवा अपने सहयोगियों की सहायता से आयोजित कर सकते है। इसमें तनिक भी संदेह नहीं है कि आपके द्वारा आयोजित ऐसे साक्षात्कारों का स्तर उन कल्पित छदम् साक्षात्कारों के बराबर नहीं हो सकता क्योंकि इसके सभी सदस्य स्वय आकाक्षी अधिकारी होंगें परन्तु फिर भी इसके अपने कुछ लाभ है।
पहला तो यह कि आपका साक्षात्कार अब आपके मित्रगण ले रहें है जो आपके कमजोर क्षेत्रों से पूर्णतयः परिचित है, अतः वे आपको और अच्छी तरह से इन विषयों पर घेर सकते है। दूसरे, इस प्रकार बारी बारी से साक्षात्कार की प्रक्रिया में कई बार आप बोर्ड सदस्य रहेंगें अर्थात अपने दोस्तों का साक्षात्कार लेंगें। अब प्रश्न पूछते समय आप बोर्ड सदस्यों के मन तथा नजरियों को और भली भांति समझ सकेंगे। इस प्रकार से आपको उन प्रश्नों की बेहतर जानकारी प्राप्त होगी जो बोर्ड पूछ सकता है अतः इसलिए अब आप बेहतर तैयारी कर सकते है।
ध्यान देने बातः चूंकि यहां सभी आपके मित्र है अत ऐसी सभावना है कि आपके समूह में किसी प्रकार की गंभीरता में कमी आ सकती है तथा लापरवाही का दृष्टिकोण उत्पन्न हो सकता है। इसे हर कीमत पर रोका जाना चाहिए। इन चर्चाओं के दौरान आपको पूरी गभीरता बनाए रखनी है। इन कल्पित साक्षात्कारों का दिन तथा समय भली भांति से सभी सदस्यों की सहूलियत से पूर्व निर्धारित किया जाना चाहिए तथा प्रत्येक को ठीक समय पर उपस्थित होना चाहिए।
ध्यान देने योग्य बातः कल्पित / छदम् साक्षात्कारों की अधिकता आपके उत्तरों में कुछ यात्रिकता का आभास करवा सकते है। इस बात का विशेष ध्यान रखें। साथ ही, कुछ मानक प्रश्नों का अत्यधिक अभ्यास न करें क्योंकि ऐसा होने पर बोर्ड को पता लग जाएगा कि यह आपका पूर्वाभ्यास है अथवा इन्हें किसी शिक्षण संस्थान ने आपको ऐसा उत्तर लिखवाया है।