यहां लगता है सर्पों का मेला।
हम सभी सांप का नाम लेते ही दर जाते है। सांप एक जहरीला जंगली जानवर है। ऐसे पालतू नहीं बनाया जा सकता है।सर्पो को लेकर हमारे संस्कृति में भिन्न भिन्न मान्यताएं हैं। हमारे देश में साँपों को भगवान शिव से जोड़कर पूजा की जाती है।
इसी तरह बिहार के समस्तीपुर जिले में सर्पों की ना केवल पूजा होती है बल्कि इनके साथ मिलकर एक समरोह मनाया जाता है इनकी पूजा की जाती। यहाँ के लोग नागपंचमी के दिन सर्पों का मेले का आयोजन करते हैं। यहां के लोग सर्पों को अपने गले में डालकर नृत्य करते हैं और विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं। इस अद्भुत मेले को देखने के लिए आस पास के राज्यों से भी लोग आते हैं।
सर्पों के मेले में किसकी पूजा की जाती है ?
इस अद्भुत मेले में विषहरी माता और माँ भगवती की पूजा की जाती है। इस मेले के आयोजन के लिए सर्पों के पकड़ने का सिलसिला एक माह पहले ही प्रारम्भ हो जाता है। मेले के बाद इन सर्पों को दुबारा वन में छोड़ दिया जाता है।
लोगों की ऐसी मान्यता है माता विषहरी भगवान् शिव की पुत्री हैं उनकी पूजा के बाद किसी को सांप के काटने का असर नहीं होता है। इस में मेले में बच्चे , जवान और बुजर्ग भाग लेते हैं। . मेले में लोग साँपों के साथ बूढ़ी गण्डक में डुबकी लगते हैं।
एक बात हम आपको बता दें हम सभी मान्यताओं एवं संस्कृति का सम्मान करते हैं लेकिन इस तरह सर्पों के साथ खेल सापों के लिए और इंसानों दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है।