राष्ट्रपति नियक्ति एवं उसकी शक्तियां
राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च न्यायिक और कार्यकारी पद होता है और उनकी नियुक्ति भारतीय संविधान के अनुसार होती है। राष्ट्रपति को विशेष शक्तियां प्राप्त होती हैं, जो उन्हें देश के प्रशासनिक, न्यायिक, और कार्यकारी पहलुओं का प्रभारी बनाती हैं।
निम्नलिखित हैं कुछ राष्ट्रपति की प्रमुख शक्तियां:
वाणिज्यिक बिलों को कानून बनाना: राष्ट्रपति को वाणिज्यिक बिलों को कानून बनाने की शक्ति होती है। जब संसद वाणिज्यिक बिलों को पारित करती है, राष्ट्रपति को इन विधानों को मंजूरी देनी होती है और उन्हें कानून बनाने की शक्ति होती है।
न्यायिक संघ की नियुक्ति: राष्ट्रपति को न्यायिक संघ के जजों की नियुक्ति की शक्ति होती है। उन्हें उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के जजों की नियुक्ति करने का अधिकार होता है।
मार्शल लॉ लागू करना: राष्ट्रपति को मार्शल लॉ लागू करने की शक्ति होती है। इसका अर्थ है कि वे आपातकाल की स्थिति में देश में आपातकाल घोषित कर सकते हैं और अपाराधिक या अस्थायी जनतांत्रिक अवस्था में सरकारी शक्ति को बढ़ा सकते हैं।
विद्युत् धारा 356 के तहत राज्यों को विलय करना: राष्ट्रपति को विद्युत् धारा 356 के तहत राज्यों को विलय करने और प्रशासनिक अधिकार निगहान करने की शक्ति होती है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब राज्य सरकार का कार्यकाल विफल हो जाता है और राज्य की सामरिक अवस्था, सार्वजनिक क्रियाएं या न्यायिक प्रणाली ख़तरे में होती है।
ये शक्तियां राष्ट्रपति की केवल उदाहरण हैं और भारतीय संविधान के अनुसार उनकी अन्य शक्तियां भी हो सकती हैं।