व्यक्तित्व परीक्षा आपकी तैयारी कैसी हो ?
सर्वप्रथम, संघ लोक सेवा आयोग व्यक्तित्व परीक्षा संबंधी अधिसूचना पर ध्यान दें तथा यह समझने का प्रयास करें कि संघ लोक सेवा आयोग इस व्यक्तित्व परीक्षा के माध्यम से अभ्यर्थी से क्या आशा रखता है।
1 साक्षात्कार लिए जाने वाले अभ्यर्थी का पूरा जीवनवृत्त, बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत होता है। अभ्यर्थी से सामान्य अभिरुचि के प्रश्न पूछे जाते है। सक्षम तथा निष्पक्ष पर्यवेक्षकों के बोर्ड की अध्यक्षता में लिए जाने वाले इस साक्षात्कार का उध्देश्य उम्मीद्वार की लोक सेवा में कैरियर बनाने हेतु, उसकी व्यक्तिगत उपयुक्तता की जांच करना होता है। साथ ही, इससे उम्मीद्वार की मानसिक क्षमता को भी परखा जाता है। स्पष्टत रूप से इस प्रकार उसके बौध्दिक गुणों के साथ साथ उसके सामाजिक विशेषताओं तथा नवीन घटनाक्रम के प्रति रूचि का भी आंकलन किया जाता है।
इस दौरान जिन गुणों का मूल्यांकन किया जाता है वे इस प्रकार से है मानसिक चेतना, आत्मसात करने कीक्षमता. स्पष्ट तथा ताक्रिक वैचारिक अभिव्यक्ति, संतुलित निर्णायक क्षमता रूचियों में विविधता तथा गहरापन, सामाजिक सामंजस्यता तथा नेतृत्व क्षमता, बुध्दिमता तथा नैतिक सत्यनिष्ठा।
- इस साक्षात्कार की तकनीक, कठोर सवाल जवाब न होकर, स्वाभाविक, सीधी तथा उददेश्यपूर्ण बातचीत होती है, जिसका लक्ष्य अभ्यर्थी की बौध्दिक क्षमताओं का पता लगाना होता है।
- साक्षात्कार का उध्देश्य न तो अभ्यर्थी के विशिष्ट और न ही सामान्य ज्ञान की जाच करना होता है क्योंकि ऐसा तो पहले ही लिखित परीक्षा के दौरान किया जा चुका होता है। उम्मीदवारों से यह आशा कि जाती है कि उन्हें न केवल अपने शैक्षणिक सबधी विशेष विषयों की गहन जानकारी हो बल्कि वे अपने तथा अपने आस पास के राज्यों तथा राष्ट्रों में हो रहे घटनाक्रम के प्रति भी अवगत रहें। इसके अतिरिक्त उन्हें आधुनिक विचारधारा तथा पढ़े लिखे नवयुवक नवयुवतियों की जिज्ञासा को जागृत करने वाले नवीन अन्वेषणों तथा आविष्कारों के बारे में भी जानकारी हो ।
इससे पूर्व कि आप व्यक्तित्व परीक्षा की तैयारी प्रारंभ करें आपको इस बात कि पूरी जानकारी होनी चाहिए कि यह क्या है, इसके रूपरेखा क्या है तथा इसके लिए क्या आवश्यकताएं है।
व्यक्तित्व परीक्षा आपके व्यक्तित्व की परख है:
आपके ज्ञान को पहले ही प्रारंभिक तथा प्रधान परीक्षा के माध्यम से जाचा, परखा जा चुका है। व्यक्तित्व परीक्षा का उध्देश्य आपके व्यक्तित्व को परखना है अतः यह प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है कि व्यक्तित्व का अर्थ क्या है। विभिन्न शैक्षणिक पुस्तकों में उपलब्ध व्यक्तित्व की परिभाषा में हमें कोई रूचि नहीं है। हमारे लिए तो व्यक्तित्व के संबंध में केवल इसकी कार्यमूलक जानकारी रखना ही पर्याप्त है।
किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व उसकी सभी विशेषताओं जैसे बौध्दिक, भावनात्मक, सामाजिक, सांस्कृतिक, व्यवहारिक, अध्यात्मिक, नैतिक, भाषाई ज्ञान इत्यादि का मिश्रण होता है। अर्थात व्यक्तित्व के यह प्रमुख अवयव होते है। आपका व्यक्तित्व आपकी पहचान होता है और कभी कभी यह आपकी अपने आप से पहचान स्थापित करने में भी सहायता करता है। इसी के कारण आप अपनी पसंद तथा नापंसद को जान पाते है तथा इसके कारणों का भी पता लगा पाते है। चूंकि, हम सभी एक ही प्रजाति होमो सेपियन्स से संबंध रखते है अतः हम सभी एक ही है। मानव जाति के इस विशाल सागर में आपको अपनी अद्वि तीय तथा अलग पहचान दिलवाने वाला शब्द ही व्यक्तित्व है।
अतः जबकि अब आप इस शब्द व्यक्तित्व को अच्छी तरह से जान चुके है तथा यह भी समझ चुके है कि यह आपके ज्ञान की परीक्षा नहीं बल्कि आपके व्यक्तित्व की परीक्षा है. तो आइये अपने व्यक्तित्व के विकास की यात्रा को प्रारंभ करें।
ध्यान देने योग्य बिन्दु सघ लोक सेवा आयोग द्वारा उपयोग किए गए शब्द ‘व्यक्तित्व परीक्षा पर विचार करें। उन्होंने इसे ‘साक्षात्कार का नाम नहीं दिया है। इसलिए इस पुस्तक में मैंने भी इसी शब्द को उपयोग के लिए चुना है क्योंकि लगातार पढने के कारण यह विचार आपक अवचेतन मन (Sub-concsious Mind) में पूरी तरह से घर कर लेगा कि यह आपके व्यक्तित्व की परीक्षा है तथा तब आपका प्रत्येक कार्य एवं प्रयास सही तथा वांछित दिशा की ओर अग्रसर होगा।
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