व्यक्तित्व परीक्षा का स्वरूप क्या होता है ?
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित व्यक्तित्व परीक्षा एक विशेष प्रकार की परीक्षा है जिसकी कुछ महत्वपूर्ण विशेषताए है। आईये व्यक्तित्व परीक्षा के स्वरूप का पता लगाने के लिए इसकी विशेषताओं के बारे में और अधिक जानकारी लें
व्यक्तित्व परीक्षा का स्वरूप उन परम्परागत साक्षात्कारों जैसा नहीं होता जो निजी संगठनों अथवा अन्य तकनीकी सस्थानों द्वारा आयोजित की जाती है। इसका विषय क्षेत्र दूसरे साक्षात्कारों की तुलना में काफी विस्तृत होता है।
इसमें सवाल-जवाबों के वह सत्र नहीं होते है जिससे अभ्यर्थी के ज्ञान की परख की जानी हो। इसके बिल्कुल विपरीत व्यक्तित्व परीक्षा, अधिकाशत, चर्चा और सवाद पर आधारित होती है।
असंरचित साक्षात्कार : साक्षात्कार तीन प्रकार के होते है सरचित साक्षात्कार, अर्घ्य सरचित साक्षात्कार तथा असंरचित साक्षात्कार। व्यक्तित्व परीक्षा को अंतिम श्रेणी में रखा गया है जिसमें साक्षात्कार को कोई पूर्व नियोजित अथवा पूर्व आरेखित नहीं होता है। बोर्ड सदस्य किसी भी प्रकार के. कितने भी और किसी भी विधा/विधि के प्रश्न पूछने के लिए स्वतत्र होते है और वे अपनी मर्जी से एक क्षेत्र के प्रश्न से दूसरी विधा/क्षेत्र के प्रश्न पर जा सकते है तथा कठिन से कठिन प्रश्न पूछ सकते है।
परिवर्तनशील स्वरूप : इस प्रकार के साक्षात्कार उतार चढ़ाव से भरे होते है। अक्सर अभ्यर्थी को ऐसा अनुभव होता है. जो सही या गलत हो सकता है कि वह बोर्ड सदस्यों के सामने अपना अच्छा प्रभाव छोड़ने में सफल रहा है तथा बोर्ड सदस्य उससे संतुष्ट है। लेकिन उसी साक्षात्कार के दौरान कुछ समय बाद ही परिस्थितियों में परिवर्तन हो सकता है अब उसे लगता है कि वह भारी मुसीबत में है तथा वह बोर्ड सदस्यों का विश्वास खो चुका है।
यह सब उसके द्वारा साक्षात्कार के दौरान दिए गए उत्तरों, उसके द्वारा उपयोग में लाई गई भाषा तथा उसके शारीरिक हाव-भावों की भाषा पर निर्भर करता है। दूसरे शब्दों में, जब परिस्थितिया अनुकूल हो. तब भी व्यक्ति को अधिक सुसंतुष्ट नहीं होना चाहिए तथा साथ ही जब कुछ प्रश्नों के उत्तर उचित रूप से न दिए जा सके, इस स्थिति में भी उसे बैचेन तथा हतोत्साहित नही होना चाहिए।
विभिन्न लब्धियों / बौध्दिक स्तरों की परीक्षा : सदैव स्मरण रहे कि व्यक्तित्व आपके बुध्दिमता की परीक्षा नहीं है बल्कि इसके साथ आपके भावनात्मक, सामाजिक, आध्यात्मिक, समझबूझ, जूनून, साहस, धैर्य, सम्प्रेषण कला, सहानुभूति के विभिन्न स्तरों की भी परीक्षा है। अतः अपने जवाबों के माध्यम से आपको बोर्ड सदस्यों को इस प्रकार प्रभावित करना है कि वे जान लें कि आप बौध्दिक तौर पर ही नहीं बल्कि अन्य सभी तौर-तरीकों पर खरे उतरे है।
व्यक्तित्व परीक्षा एक दिवसीय क्रिकेट की तरह है। जैसा कि एक दिवसीय मैचों में होता है कि प्रारंभ में, तेजी से रन बनते है, मध्य के ओवरों में यह गति धीमी पड़ जाती है तथा अंत में, एक बार फिर रनों की गति बढ़ जाती है। कुछ इसी प्रकार व्यक्तित्व परीक्षा के दौरान भी होता है। पहली बात जो मैं यहां बताना चाहता हूं, वह यह है कि क्रिकेट की तरह ही, साक्षात्कार के समय भी अंक बटोरने की गति एक जैसी नहीं हो सकती।
दूसरा, यदि आप अच्छी शुरूआत करते है तथा बीच में यदि कुछ गलतियां भी कर देते है तो भी अतिम कुछ उत्तर सकारात्मक तथा सही ढंग से देकर आप काफी हद तक अपनी गलतियों के कारण पड़े गलत प्रभाव को समाप्त कर सकते है तथा एक बार फिर मैदान पर अपनी पकड़ मजबूत कर सकते है। साथ ही, क्रिकेट के खेल की तरह जहां हर बल्लेबाज का अपना अलग अंदाज होता है तथा एक गेंदबाज का गेंद फेंकने का अंदाज निराला होता है, व्यक्तित्व परीक्षा में भी सफलता का कोई एक इकलौता मंत्र नहीं है। आपको अपने एवं कमियों दोनों का ज्ञान पूरी तरह होना चाहिए और उसी पर आपकी रणनीति आधारित होनी चाहिए।