व्यक्तित्व परीक्षा की तैयारी हेतु रणनीति
प्यारे आंकाक्षी अधिकारियों, मैं आपको एक प्रसिध्द कथा सुनाना चाहता हूं। मोहित तथा रोहित दो दोस्त थे। उन्हें जंगल के दो अलग अलग किन्तु बराबर हिस्सों में। पेड काटने को कहा गया तथा उन्हें इस हेतु पांच दिनों का समय दिया गया। मोहित ने पहले दिन कार्य प्रारंभ कर दिया परन्तु उस दिन रोहित काम पर नहीं आया। दूसरे दिन भी, मोहित ने अपना काम जारी रखा परन्तु रोहित का अब भी कोई अता पता नहीं था। तीसरे दिन रोहित वृक्षों की कटाई हेतु पहुंचा तथा उसके पश्चात चौथे तथा पांचवे दिन तक दोनों वृक्षों की कटाई के कार्य में लगे रहे। पांचवें तथा अंतिम दिन, सभी यह देखकर हैरान थे कि यद्यपि रोहित ने कटाई का कार्य देरी से प्रारंभ किया था परन्तु फिर भी उसके द्वारा काटे गए वृक्षों की संख्या मोहित से अधिक थी।
जब इस के कारणों की तलाश की गई तो पता चला कि रोहित पहले दो दिनों तक अपनी रणनीति बना रहा था। इस दौरान उसने अपने काम के पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण किया और पता लगाया कि किस क्षेत्र में पेड कच्ची लकडी के है तथा किस क्षेत्र में मजबूत। साथ ही, उसने अपने औजारों की धार बढ़ाने में भी पर्याप्त समय लगाने के उपरात ही. तीसरे दिन कटाई प्रारंभ की।
यह एक अजेय रणनीति की महत्ता है। अतः इस संक्षिप्त कहानी से मिलने वाली शिक्षा के आधार पर ही हमें अपनी व्यक्तित्व परीक्षा हेतु अच्छी रणनीति तैयार करनी चाहिए।
- तैयारी कब प्रारंभ करें
व्यक्तित्व परीक्षा की तैयारी की रणनीति से जुड़ा अहम् प्रश्न है. इसे प्रारभ करने का सही समय।प्रधान/मुख्य परीक्षा के समाप्त होने के पश्चात, शारीरिक तथा मानसिक दोनों ही तरह की थकान एवं तनाव होता है। अतः मेरे विचार से कम से कम 10 से 15 दिनों तक आपको एक विराम लेना चाहिए। इसके पश्चात ही आपको पूरी गंभीरता से तैयारी प्रारंभ करनी चाहिए।
बहुत से लोग, यह तर्क देंगे कि इतनी जल्दी तैयारी क्यों प्रारंभ की जाए। पहले प्रधान परीक्षा के परिणाम आने तक इंतजार किया जाए और फिर इसके बाद भी तो अच्छी तरह से तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय मिलता है। मैं इस विचार से सहमत नहीं हूं क्योंकि पहले तो यह परीक्षा इतनी सरल नहीं है। आप इस बात की पुष्टि उन व्यक्तियों से कर सकते है, जिन्होंने पहले यह परीक्षा दी है। इस परीक्षा के आयाम दो परीक्षाओं से अधिक अलग तथा जटिल है।
दूसरी बात यह है कि, आपकी परीक्षा का यह अंतिम चरण है तथा अब आपकी प्रतियोगिता, उन उम्मीदवारों से है जो देश के सबसे उच्च नियोक्ता अभिकरण – सघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा की कसौटी से दो बार गुजर चुके है। अतः इस प्रतियोगिता तथा प्रतियोगियों दोनों को आप नजरअंदाज नहीं कर सकते। जब दांव पर इतना कुछ लगा हो मंजिल इतने करीब हो तथा लक्ष्य इतना बड़ा हो तो. आप किस्मत के सहारे नहीं बैठ सकते है। प्रयास में कोई कमी न आने दें। कहीं आप को इस बात का पछतावा न करना पड़े कि काश मैंने कुछ दिन पहले तैयारी प्रारभ की होती तो शायद आज हालात कुछ और होते।
प्रारंभिक कुछ दिनों के दौरान, कुछ घंटे ही तैयारी कीजिए। इसकी शुरूआत आप प्रतिदिन समाचार पत्र. पत्रिकाएं पढ़कर तथा टेलीविजन में समाचारों के प्रसारण को देखते हुए कर सकते हैं। यह आपके लिए अधिक थकान भरा कार्य नहीं होगा। अगले कुछ दिनों के दौरान आप गति बढाकर योजनाबध्द तथा गहन तैयारी में जुट सकते है।
2 . आत्म विश्लेषण (Self Analysis):
इससे पूर्व की आप तैयारी आरंभ करें मैं आपको बलपूर्वक यह सलाह दूंगा कि आप अपने सामर्थ्य तथा कमियों का आत्म विश्लेषण करें। इस समय तक आप काफी कुछ सीख चुके होगें। आप प्रारंभिक तथा प्रधान परीक्षा दे चुके होगें तथा भली भांति यह जान चुके होंगे कि परीक्षा हेतु कैसी तैयारी आवश्यक होती है। आप किन विषयों के अच्छे ज्ञाता है तथा कहां आपको अभी और मेहनत की आवश्यकता है।
आप दो सूचियां बनाए पहली सूची उन गुणों की हो जिनकी परख व्यक्तित्व परीक्षा के दौरान की जानी है तथा दूसरी आपके भीतर के सामर्थ्य तथा कमियों के बारे में हो, जो पहली सूची के अनुसार अपेक्षित है। अब आपका लक्ष्य अपने भीतर के सामर्थ्य में वृध्दि तथा कमियों से मुक्ति पाना है। आप के भीतर दो तरह की कमिया हो सकती है पहली वे जिन्हें आप तैयारी के दौरान दूर कर सकते है तथा दूसरी वे जिन्हें आप मानते कि दूर करना लगभग पूरी तरह से असभव है अथवा इन थोड़े से महीनों की अल्पावधि में उन पर नियंत्रण करना कठिन है।
पहले प्रकार की कमियों हेतु आप सही व्यक्तियों से सलाह लें तथा “अपनी कमियों पर विजय अथवा WOW (winning over weakness) plan तैयार करें। दूसरे प्रकार हेतु आप प्रारंभ से यह रणनीति तैयार करें कि व्यक्तित्व परीक्षा के दौरान आप इन्हें कैसे छुपाए रख सकते है तथा इस दौरान आप इन कमियों के क्षेत्र में प्रवेश करने से बोर्ड को कैसे रोक सकते हैं।
इसी को आधार बनाकर आपको अपनी तैयारी की एक योजना बनानी होगी। इस योजना में आपका लक्ष्य तथा उसका प्रत्येक उप लक्ष्य समयसीमा में बंधा होना चाहिए। वास्तव में, मैं आपको यह सुझाव देना चाहता हू कि आपकी यह पूरी योजना दिनों के अनुसार बंधी होनी चाहिए। इसका अर्थ यह है कि आपके पास प्रत्येक दिन हेतु पूर्व-निर्धारित लक्ष्य होने चाहिए। इस योजना के पूरी तरह तैयार होने के पश्चात आप ईश्वर से, अपने माता पिता से, अध्यापकों से तथा अग्रजों से आशीर्वाद लें तथा आशावादी दृष्टिकोण अपनाते हुए अपनी तैयारी प्रारभ करें।
व्यक्तित्व परीक्षा की तैयारी हेतु रणनीति
- “डायरी दोस्त”
प्रिय दोस्तों, व्यक्तित्व विकास के क्षेत्र में अपने दस वर्षों के लम्बे अनुभव से मैं आपको एक बात पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि किसी लक्ष्य को प्राप्त करने अथवा किसी विषय को समझने हेतु कागज पर लिखने से उसे प्राप्त करने अथवा समझने की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है। अपने इसी विचार के आधार पर ही मैं आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहा हूं इस तैयारी के दौरान आपके सबसे प्रिय रहने वाले मित्र को जिसका नाम है “डायरी दोस्त” सरल शब्दों में यह होगी एक छोटी सी डायरी। इस डायरी में आप नवीन घटनाओं / मुद्दों को किसी ऐसे अच्छे विश्लेषण का, जिसे आपने कहीं पढ़ा अथवा सुना हो, अपनी शंकाओं को, अच्छे वाक्यांशों अथवा शब्दों को, मन में चल रहें किसी विचार को अथवा किसी भी ऐसी घटना जिसे आप ठीक समझते हो, लिखेंगें। मैंने इसे मित्र इसलिए कहा है क्योंकि एक सच्चे दोस्त की भांति पूरी तैयारी के दौरान आपके साथ रहेगी, हर समय आपकी सहायता करेगी तथा आपकी कार्यकुशलता में आशातीत वृध्दि करेगी।
- द वॉर एप्रोच
पढे ही नहीं, आत्मसात् भी करें सिर्फ समझिए नहीं अपितु प्रतिबिम्बित करना भी सीखिए सिर्फ देखिए नहीं अपितु ध्यानपूर्वक देखिए
यहा मैं इस विषय पर और चर्चा करूंगा क्योंकि मैं इस मंत्र की कार्यक्षमता पर पूर्ण विश्वास करता हूँ। आईये इस वॉर एप्रोच को तथा इसे यह नाम देने के तर्क को समझे।
अक्सर यह देखा जाता है कि व्यक्तित्व परीक्षा की तैयारी के दौरान अभ्यर्थी में एक प्रकार की निश्चिंतता तथा सतुष्टि की भावना आ जाती है। वे सोचते है कि प्रारंभिक तथा प्रधान परीक्षा की तरह अब गहन एवं ध्यानपूर्वक अध्ययन की आवश्यकता नहीं है। वे पुस्तकों, समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं को ‘केवल’ पढते है उनमें लिखे हुए को आत्मसात् (absorb) नहीं करते। प्रश्न उठता है कि इन दोनों पढ़ने और आत्मसात (to read and to absorb) में क्या अंतर है? जब कोई केवल कुछ पढ़ता है तो वह उन्हें स्मृति में रखने का चेतन मन से प्रयास नहीं करता है जबकि यह बहुत आवश्यक है। परिण तामस्वरूप, कुछ दिनों अथवा सप्ताह के पश्चात यह पढे गए विषय उसके मस्तिष्क से लुप्त होने लगते है।
अतः आप जो भी पढे, उसे अपने मन में आत्मसात् करने का प्रयास करें। इसके दो लाभ है पहला. व्यक्तित्व परीक्षा के दौरान किसी विषय पर अपने मत रखते समय आपके पास विचारों की कमी नहीं रहेगी तथा दूसरा इन विषयों पर आप अपने विचार, उनकी प्राथमिकता के आधार पर योजनाबध्द तथा संगठित रूप में व्यक्त कर पाएगें।
अब मैं वॉर एप्रोच (War approach) के समझने (understanding) वाले हिस्से पर चर्चा करूंगा। हम पहले ही यह बात कह चुके है कि आप केवल पढ़े ही नहीं, आत्मसात् भी करें। ऐसा करने
गंवा दिया। अगले दिन के लिए स्वयं से वादा कि व्यर्थ किए गए समय में कटौती होगी। समय प्रबंधन को लेकर आपको स्वय से प्रतियोगिता रखनी होगी।
6 .समय निचोडने का गुण (Squeezing The Time Out):
यदि आप अपने व्यक्तिगत अथवा व्यावसायिक कारणों के चलते व्यक्तित्व परीक्षा की तैयारी में पूरा समय नहीं दे पा रहें है तो मेरी यह चर्चा, पूरी तरह से आपके लिए उपयुक्त है। आपके पास ‘समय के बड़े बड़े अंतराल (Big time slots) नहीं होंगे की स्थिति नहीं है कि आप व्यक्तित्व परीक्षा की गहन तैयारी कर सकें। अतः मेरे प्रिय आकाक्षी अधिकारियों, आपको अपने व्यस्त तथा भागदौड़ की दिनचां में से, समय की अमूल्य बूदे अपने लिए निचोड़ लेने का प्रयास करना होगा।
अपने साथ सदैव एक हैंडबैग रखिए जिसमें आपकी डायरी दोस्त” (साक्षात्कार डायरी) साथ कुछ पुस्तकें, पत्रिकाएं, समाचार पत्र इत्यादि के साथ पैन तथा पेन्सिल भी रखे गए हों। जब भी आपको समय मिलें, पुस्तक का एक अध्याय पढिए पत्रिका पढ़िए या केवल अपनी डायरी में लिखे गए विभिन्न बिन्दुओं/विषयों को दोहराईये। रात को समय का विश्लेषण (Time Analysis) करते समय आप हैरान हो जाएगे कि आपने अपनी दिनचर्या में बिना किसी परिवर्तन के अतिरिक्त समय चुरा लिया है।
यदि आप तकनीक के प्रति प्रेम रखते है तो आपको अपना लैपटॉप, टैब या स्मार्टफोन, जो भी आप रखते हों, को हमेशा पास में रखना चाहिए और इससे पढ़ते समय आपको सबंधित बिन्दुओं/विषयों को अपने इलेक्ट्रॉनिक नोट्स में सहेज लेना चाहिए।
- तनाव प्रबंधन (Stress Management):
तनाव एव बैचेनी किसी भी परीक्षा के अभिन्न अंग है। इस चरण के दौरान वे अपनी चरमसीमा पर होते
सिविल सेवा इंटरव्यूहैं क्योंकि अब दाव पर बहुत कुछ लगा हुआ है। अब हम इन्हें नजरअंदाज करने की स्थिति में नहीं है। अत आपके पास तनाव दूर करने का तथा इससे बचे रहने की कुशल योजना उपलब्ध होनी चाहिए । आईये पहले यह पता करने का प्रयास करें कि हम तनाव क्यों महसूस करते है।
तनाव दो प्रकार का होता है आंतरिक तथा बाहरी। बाहरी तनाव की वजह बाहरी कारक होते है जैसे व्यक्ति (नकारात्मक सोच वाले तथा निराशावादी व्यक्ति, वे व्यक्ति तथा दोस्त जो आपके प्रति ईर्ष्या के भाव रखते है तथा जानबूझकर आपकी तैयारी में विघ्न डालना चाहते है तथा पराजित लोग) तथा परिस्थितियां (अचानक हुई दुर्घटना, पारिवारिक अथवा वित्तीय समस्या इत्यादि)
अब जहां तक कि व्यक्तियों से प्राप्त होने वाले तनाव का सबंध है. इससे बचने का सरल उपाय है परीक्षा होने तक ऐसे व्यक्तियों से दूरी बनाए रखना तथा बातचीत बंद रखना। लेकिन आपके आस पास कुछ ऐसे नकारात्मक सोच के व्यक्ति भी हो सकते है जिन के साथ आप ऐसा नहीं कर सकते। अब उनका क्या करें? यह कार्य भी उतना ही सरल है। एक बार आपको यह पता लग जाए कि किसी व्यक्ति की सोच में नकारात्मकता है और जैसे ही वह नकारात्मक बातें प्रारंभ करें उसकी बातें सुनना बंद कर दें। मेरा अर्थ यह है कि आप उसकी बातों को मन से नहीं सुनें और उसकी नकारात्मक बातों से अपनी मानसिकता को प्रभावित न होंने दें।। आपको उसकी बातों को गभीरता से नहीं लेना है।
जहा तक परिस्थितियों का प्रश्न है, हर विषय को उसके परिप्रेक्ष्य में रखकर देखें। आपने सब कुछ नहीं खो दिया है। अपने खराब स्वास्थ्य को देखते हुए मिलने वाले समय का अधिकतम उपयोग करें। स्थितियों को दोष देने अथवा अपनी किस्मत को बुरा कहने से आप कुछ हासिल नहीं कर सकते है। अत अपने ससाधनों का यथासंभव रूप से उपयोग करना ही बेहतर होगा। हमेशा याद रखें कि स्थितियां जितनी भी बुरी हो. उनसे ज्यादा बदतर भी हो सकती है। अतः परमपिता परमेश्वर को धन्यवाद दें तथा आगे बढ़ते जाए। धीरे-धीरे स्थितिया सामान्य होती जाएगी।
आपके आंतरिक तनाव का जन्म आपके मन के भीतर होता है। यह ‘आप’ से तथा केवल आप’ से ही जुडा हुआ है। इस तनाव का सबसे विशाल कारण है भय असफलता का भय। यह विचार कि “क्या होगा यदि में असफल हो जाऊगा ?” जो हर आकांक्षी अधिकारी के मन को सबसे अधिक भयभीत करता रहता है। दोस्तों, मन में एक समय के दौरान केवल एक विचार चल सकता है। अतः हर वह क्षण, जब आपके मन में इस विचार का वास रहता है तो कोई दूसरा विचार आपके मन में प्रवेश नहीं कर सकता अर्थात आप अपनी तैयारी नहीं कर सकते। भावार्थ यह है कि आप स्वयं असफल होने की राह पर अग्रसर हो रहें है। अतः यदि आप सही मार्ग पर चल रहे है और सफलता प्राप्त भी कर सकते हो लेकिन फिर भी यह मूर्खतापूर्ण विचार यह सुनिश्चित कर देगा कि आपको ठीक इसके विपरीत का परिणाम प्राप्त हो। अतः कभी भी इस विचार कि “क्या होगा यदि मैं असफल हो जाऊगा को अपने मन में स्थान न दें।
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