सामान्यतयः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रिय आकांक्षी अधिकारियों, इस अध्याय के माध्यम से, मैंने व्यक्तित्व परीक्षा के विभिन्न पहलुओं से जुड़े लगभग ऐसे 100 सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नों पर चर्चा की है, जो उम्मीद्वार जानने के इच्छुक होते है। इससे पहले की हम आगे बढ़ें, मैं आपके ध्यान में यह बात लाना चाहता हूं कि आप यह अवश्य जान लें कि यह इन प्रश्नों के संभावित उत्तर है परंतु केवल यही उत्तर नहीं है। अलग परिस्थितियों के दौरान, आप इन उत्तरों में आवश्यक परिवर्तन कर सकते है।
प्रश्न: क्या व्यक्तित्व परीक्षा हेतु मुझे किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता है?
उत्तर : निश्चित ही इसका उत्तर हां है। कई बार, मैं यह देखकर हैरान होता हूं कि क्यों यह अनेक आकाक्षी अधिकारियों द्वारा सामान्यतयः पूछे गए प्रश्नों की सूची में सबसे ऊपर शामिल प्रश्नों में से एक होता है। यदि परीक्षा का यह चरण इतना ही महत्वहीन अथवा अनुपयोगी होता तो देश का सर्वोच्च नियोक्ता अभिकरण, संघ लोक सेवा आयोग द्वारा पहले तो इसे रखा ही क्यों जाता। यह वास्तव में, एक महत्वपूर्ण चरण है तथा यह ऐसे मापदंडों की परीक्षा लेता है, जिन्हें वास्तव में, पहले दो चरणों के दौरान परखा नहीं गया है। यह मापदंड है आपके व्यक्तित्व की परीक्षा। अतः इसमें कोई संदेह नहीं है कि व्यक्तित्व परीक्षा जिसे आम बोलचाल की भाषा में साक्षात्कार कहा जाता है, की तैयारी आपको पूरी लगन एवं समर्पण के साथ करनी चाहिए।
प्रश्न: इस तैयारी को प्रारंभ करने का उचित समय क्या है ?
उत्तर: कृपया पृष्ठ सख्या पर “तैयारी कब प्रारभ करें शीर्षक को संदर्भित करें।
प्रश्न: क्या व्यक्तित्व परीक्षा की तैयारी करने हेतु मुझे अपनी नौकरी/संस्थान से छुट्टी लेने की आवश्यकता है अथवा मैं अपनी तैयारी साथ साथ जारी रख सकता हूं ?
उत्तर : प्रारंभिक (Preliminary) तथा मुख्य (Mains) परीक्षा में जहां गहन तथा दीर्घ अध्ययन की आवश्यकता होती है, वही इसके ठीक विपरीत व्यक्तित्व परीक्षा की प्रकृति तथा आवश्यकताएं बिल्कुल अलग होती है। पहला, यहां आपको पिछली परीक्षा की तुलना में कम समय समर्पित करना होता है तथा दूसरा इसमें लम्बी देर तक बैठकर तैयारी करने की आवश्यकता नहीं होती। व्यक्तित्व परीक्षा की तैयारी हेतु आवश्यक है कि आप अपनी इन्द्रियों को सीखने के प्रत्येक अवसर हेतु जागृत रखें।
आपको केवल ज्ञान के प्रति ही अपना ध्यान केन्द्रित नहीं करना है बल्कि कुछ ऐसे पहलू भी है जिनकी तको केवल अपने कार्यालय समय के दौरान तथा वहां आते जाते परिवहन साधनों में भी कर सकते है। हालांकि, यदि आपके लिए संभव हो तो आप छुट्टी ले भी सकते है। लेकिन यह बात ध्यान में रखिए कि परीक्षा के अंतिम कुछ दिन पहले आपके लिए छुट्टी लेना अनिवार्य है। यह उस स्थिति में और भी अधिक महत्वपूर्ण है, यदि आप किसी दूसरे शहर से दिल्ली आते है। अतः आपको तद्नुसार ही योजना तैयार करनी चाहिए।
प्रश्न: मैं कार्यालय में बहुत व्यस्त रहता हूं। जिसके कारण मुझे तैयारी हेतु बहुत कम समय मिल पाता है। मैं छुट्टी के लिए आवेदन भी नहीं दे सकता हूं। मैं अपनी तैयारी कैसे करूं?
उत्तर: आप इस बात का सदैव ध्यान रखे कि तैयारी करने के दो पहलू होते है आपके पास उपलब्ध समय की मात्रा तथा आपके द्वारा तैयारी हेतु दिए गए समय की गुणवत्ता। आइये, पहले उपलब्ध समय पर चर्चा करें। जैसा कि आपने पहले कहा कि आपके पास समय की अधिकता परन्तु दोस्तों, मैंने यह अनुभव किया है कि समय का वास्तविक अभाव उतना होता नहीं जितना हमें लगता है। कृपया पृष्ठ संख्या पर अध्याय “समय बचाने के सूत्र” को संदर्भित करें।। यह आपके लिए काफी मददगार सिध्द होगा।
दूसरा पहलू, समय की गुणवत्ता से संबंधित है। इसके दो आयाम है। पहला ध्यान लगाकर तथा एकाग्रता से पढ़े। दूसरा, तैयारी के चरणों को लेकर अपनी प्राथमिकताएं तय करें।। साथ ही जब आप पृष्ठ सख्या के अनुसार अपनी तैयारी की योजना बना लें तो सबसे आवश्यक चीजों को सबसे पहले पूरा करें तथा धीरे धीरे कम आवश्यक विषयों की ओर अग्रसर हों। इस प्रकार से आप कम समय में अधिक अध्ययन सुनिश्चित कर सकेंगें।
प्रश्न: इसे व्यक्तित्व परीक्षा कहा जाता है। मैंने कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों से यह सुना है कि व्यक्तित्व का विकास अथवा इसमें परिवर्तन एक लम्बी प्रक्रिया है तथा यह कुछ दिनों में संभव नहीं है। अतः इसका अर्थ यह है कि परीक्षा से कुछ माह पूर्व की तैयारी से कोई लाभ नहीं है। कृपया इस विरोधाभास को समझाएं।
उत्तर : आपका यह कथन बिल्कुल ठीक है कि व्यक्तित्व निर्माण एक लम्बी प्रक्रिया का हिस्सा है तथा कुछ दिनों के भीतर इसका विकास संभव नहीं है। लेकिन मेरे एक प्रश्न का उत्तर दें। आपका “समय की लम्बी प्रक्रिया” से क्या अर्थ है ?” यह “समयावधि” कई महीनों में है तथा इन महीनो में आगे कई दिन शामिल होते है। अतः, यह कहा जा सकता है कि आपके व्यक्तित्व के निर्माण में इन दिनों का ही योगदान है। आपकी व्यक्तित्व परीक्षा से पूर्व भी आपके पास कई दिनों का समय है. अतः आप यह विचार क्यों नहीं करते है कि यद्यपि थोड़ी ही मात्रा में ही सही परन्तु इन दिनों के दौरान भी आप अपने व्यक्तित्व में परिवर्तन ला सकते है।
दोस्तों, आपको यह समझना होगा कि आपके व्यक्तित्व के कुछ पहलू आपके स्वभाव में पूर्णतः घर कर चुके है तथा इन में संभवतयः परिवर्तन नहीं किया जा सकता अथवा इनमें अथक प्रयासों से ही परिवर्तन
संभव है, जो इस अल्पावधि के दौरान नहीं किया जा सकता है। लेकिन इसके इलावा भी आपके व्यक्तित्व के कुछ ऐसे छोटे छोटे पहलू है, जिन पर आपने कभी चेतन मन से ध्यान नहीं दिया है. जिन में सरलतापूर्वक परिवर्तन करना संभव है। दूसरा, आपके व्यक्तित्व में नई विशेषताओं तथा गुणों को कमी भी जोड़ा जा सकता है। अतः मैं यह समझता हूं कि यह प्रश्न अब सुलझ चुका है तथा यह कुछ थोडे से महीने भी आपके व्यक्तित्व के निखार तथा विकास में सार्थक सिध्द हो सकते हैं।
प्रश्न: मैं किस किस क्षेत्र तथ विषयों की तैयारी करूं?
उत्तर : कृपया पृष्ठ संख्या पर तैयारी के स्त्रोत” अध्याय को संदर्भित करें।
प्रश्न: बोर्ड एक अभ्यर्थी में क्या गुण एवं विशेषताओं की तलाश करता है।
उत्तर: कृपया पृष्ठ संख्या पर अध्याय “अभ्यर्थी में आवश्यक गुण” को संदर्भित करें।
प्रश्न: कृपया मुझे कुछ सख्ती से अनुपालन हेतु यह करें, यह न करें से अवगत करवाएं
उत्तर: कृपया पृष्ठ संख्या पर अध्याय” क्या करें, क्या न करें”” को संदर्भित करें।
प्रश्न: व्यक्तित्व परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए मैं यातायात के किस साधन का उपयोग करू ?
उत्तर: यदि आपके पास अपना व्यक्तिगत वाहन है, तो यह सबसे बढ़िया विकल्प है। लेकिन दिल्ली में बहुत से आकाक्षी अधिकारियों के लिए ऐसा करना संभव नहीं हो सकता। अतः आप एक कैब अथवा आटो से जा सकते है. इन दोनों में से कैब को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। आपको सार्वजनिक यातायात, विशेषकर बस से नहीं जाना चाहिए।
प्रश्न: क्या हम अपने व्यक्तित्व परीक्षा बोर्ड में किसी भी प्रकार का परिवर्तन कर सकते है ?
उत्तर: अपने बोर्ड के सबंध में आप कुछ भी कर पाने में पूर्णतः अक्षम होते है। इसकी जानकारी आपको
वास्तविक परीक्षा प्रारंभ होने के कुछ मिनट पहले ही दी जाती है। अत इस विषय पर अपनी ऊर्जा व्यर्थ न गवाए।
प्रश्न: यह अक्सर कहा जाता है कि कुछ बोर्ड बहुत सख्त प्रकृति के होते है तथा वे सरलता से अंक नहीं देते। क्या यह सही है ?
उत्तर : यदि मुझे इसका उत्तर खुले मन से देना है तो मैं हां कहूंगा क्योंकि यहां निश्चित तौर पर व्यक्तिपरकता का सिध्दान्त लागू होता है तथा इस तर्क के कारण यह हो सकता है कि विभिन्न बोर्ड अंक देने हेतु अलग अलग पध्दति अपनाएं। इसका तार्किक निष्कर्ष यह निकाला जा सकता है कि कुछ बोर्ड सख्त लग सकते है परन्तु यह तथाकथित सख्त बोर्ड “आपको नुकसान पंहुचाने अथवा आपको असफल बनाने के उध्देश्य से नहीं बैठते हैं। इसका अर्थ सिर्फ इतना ही कि उनका आपको परखने के मापदंड जरा ज्यादा सख्त हो सकते हैं।
लेकिन जैसा कि मैंने पहले कहा है कि हम इसके बारे में कुछ भी कर पाने में अक्षम होते है अतः इस चर्चा पर समय क्यों व्यर्थ गंवाया जाए। हालांकि, यह बहुत जरूरी है कि आपको विभिन्न सदस्यों की
इन तथा व्यक्तित्व की जानकारी हो। आपको यह भी पता करने का प्रयास करना चाहिए कि कौन कित विषय तथा क्षेत्र से संबंधित प्रश्न पूछता है। इससे आपकी तैयारी को थोड़ी ही सही वस्तु कुहु सहायता अवश्य मिल सकती है।
जान क्या हम अलग अलग बोर्ड के अनुसार अपनी तैयारी कर सकते हैं
मातरः जी हा कुछ सीमा तक यह संभव है। बोर्ड सदस्यों की प्रोफाइल को ध्यान में रखकर ऐसा किया जा सकता है। आप सफल उम्मीद्वारों तथा अपने अध्यापकों से चर्चा कर उनके प्रश्न पूछने की पादति का पता लगा सकते है।
प्रश्न: क्या बोर्ड के सामने ईमानदारी बनाए रखना सर्वोत्तम नीति है ?
उत्तर: जी हां, ऐसा करना वास्तव में उचित रहेगा। बोर्ड के सदस्य बहुत ही अनुभवी तथा बुध्दिमान होते है तथा ऐसी संभावना बहुत होती है कि वे आप के किसी भी झूठ को पकड़ लें।
प्रश्न: क्या हमें साक्षात्कार के दौरान हर प्रश्न का सच्चाई से उत्तर देना चाहिए ?
उत्तर: जी हा. आपके 99 प्रतिशत प्रश्नों के उत्त्रों में सच्चाई को ध्यान में रखकर ही उत्तर दिया जाना चाहिए। कुछ प्रश्नों के उत्तरों में सच को थोड़ा सा छुपाया जा सकता है लेकिन ऐसे प्रश्नों के दौरान पूरा झूठ कभी नहीं बोला जाना चाहिए।
आईये. इसे एक उदाहरण के माध्यम से समझने का प्रयास करते है। अक्सर आईएएस तथा आईपीएस के लिए स्टेट कैडर की प्राथमिकता अलग अलग होती है तथा आईपीएस की प्राथमिकता सूची में खराब कानून व्यवस्था वाले राज्य नीचे रखे जाते है। आप से प्रश्न स्वाभाविक रूप से पूछा जा सकता है कि क्या आप चुनौतियों को स्वीकार करने से तथा सैन्य बल तथा विद्रोह जैसी कठिन परिस्थितियों से घबराते है।
दोस्तो, यहा आप काफी हद तक अपने वास्तविक विचारों को छुपा सकते है। यहां आप बोर्ड से यह कह सकते है कि आपने खराब कानून व्यवस्था वाले राज्यों को नीचे इसलिए रखा है क्योंकि आप पुलिस द्वारा जाने वाले कार्यों में जांच पड़ताल के कार्य को अधिक पसद करते है। याद रखिए कि जांच पड़ताल, कानून व्यवस्था, विद्रोह दमन, आतक विरोधी आपरेशन पुलिस द्वारा निष्पादित किए जाने वाले कुछ अलग किन्तु महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है और यह सामान्य सी बात है कि आप पुलिस विभाग के किसी एक आयाम की ओर ज्यादा रूचि रखते है। अतः थोड़ा सी चतुराई से आप अपनी बात को ढक सकते है परन्तु इसे ध्यानपूर्वक किया जाए।
प्रश्न: क्या मैं साक्षात्कार के दौरान बोर्ड को किसी प्रकार से धोखा / झांसा दे सकता हूं?
उत्तर : यदि आप स्वयं अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना चाहते हों तो आप ऐसा कर सकते है। इस पूरी पुस्तक में मैंने इस बात पर विशेष बल दिया है कि आप कभी भी बोर्ड को मूर्ख बनाने अथवा उसके साथ किसी भी प्रकार की चालाकी करने का प्रयास न करें। आपकी साक्षात्कार की यात्रा वहीं समाप्त हो सकती है।
प्रश्न : क्या यह सही है कि विस्तृत आवेदन पत्र (DAF) में भरी गई जानकारी ही ि प्रश्नों का आधार बनती है ?
उत्तर : जी हां, यह बिल्कुल ठीक है। इस विषय पर अधिक जानकारी हेतु कृपया पृष्ठसं अध्याय विस्तृत आवेदन पत्र (DAF) कैसे भरें” को संदर्भित करें।
प्रश्न: क्या अपनी रूचियों की जानकारी भरना आवश्यक है ?
उत्तर : आपको इस कॉलम में कुछ न कुछ जानकारी भरने के भरसक प्रयत्न करने चाहिए। लेकिन ध्यान रखें की भरी गई जानकारी वास्तविक हो। यदि आप इस कॉलम को नहीं भरते है तो इससे गलत प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न: मेरे पास इस कॉलम में भरने हेतु कोई रुचि नहीं है। मुझे क्या करना चाहिए ?
उत्तर : किसी रूचि को अपनाना मुश्किल कार्य नहीं है। मैं आपको इसका उपाय बताता हूं। आप स्वयं से पूछे कि आप खाली समय के दौरान क्या करना पसंद करते है, यही बात आप अपनी सवि डं रूप में लिख सकते है। उदाहरण के लिए, हो सकता है कि खाली समय के दौरान आप टीवी देखना या इंटरनेट पर सर्फिग करना अथवा दोस्तो के साथ घूमना पसंद करते हो। आप इन में से कुछ नी लिख सकते है। सिर्फ लिखने की भाषा प्रबुध्दता होनी चाहिए तथा इसे थोड़ा व्यवस्थित होना चाहिए। उदाहरणार्थ, यदि आप टीवी देखना पसंद करते है तो आप “टीवी देखना” लिख सकते है साथ ही बैंकं में लिखें पर्यावरण तथा जैव विविधता संबंधी चैनल अथवा संगीत के चैनल। हो सकता है कि बोर्ड इन पर कोई प्रश्न न पूछे क्योंकि यह बहुत सामान्य सी बात है। लेकिन इस कॉलम को खाली छोड़ने से इसमें कुछ लिखना ही हर प्रकार से बेहतर रहेगा।
प्रश्न: क्या मैं अपनी किसी एक ऐसी रूचि के बारे में लिख सकता हूं जिसे अब मैं छोड़ चुका हूं?
उत्तर : यदि आपकी पहले कोई रुचि रही हो परन्तु अब आप इसे जारी नहीं रख रहे है, तो भी इसे लिखने में कोई नुकसान नहीं। आप तर्क दे सकते है कि परीक्षा की तैयारी के कारणवश अथवा किसी अन्य कारण से आप इस ओर सक्रियता से ध्यान नहीं दे पा रहें है।
प्रश्न: क्या मैं अपनी किसी बहुत सामान्य सी रूचि का उल्लेख कर सकता हूं उदाहरण के लिए पढ़ना, अथवा गीत गायन अथवा टीवी देखना इत्यादि
उत्तर: यदि आपके पास लिखने के लिए कुछ भी नहीं है तथा वास्तव में, यह सामान्य रूचि ही आपकी वास्तविक रूचि है तो आप इसका उल्लेख कर सकते है। सिर्फ यह ध्यान रहे कि आपकी लिखने की भाषा में प्रबुध्दता होनी चाहिए तथा इसे थोड़ा व्यवस्थित रूप में लिखा जाना चाहिए। ऐसा करने हेतु आपको अपनी इस रूचि का थोड़ा सा अधिक विवरण देना चाहिए।
प्रश्न: चूंकि, मेरे पास अपनी रूचि को दर्शाने हेतु कुछ विशेष गतिविधि नहीं है, क्या मैं यहां झूठ बोल सकता हूं ?
उत्तर: अपनी रूचि के संबंध में झूठ बोलना, गलत वर्णन देना इत्यादि कार्य स्वय के लिए खतरा मोल
देते जैसे होगा। आपको ऐसा करने से बचना चाहिए। गलत जानकारी देने से बेहतर है कि कॉलम को बाली छोड़ दिया जाए।
प्रशन: क्या मैं अपनी किसी अलग तथा अनोखी रूचि के उल्लेख का प्रयास कर सकता हूं?
मात्तर: जी हां, यदि यह आपकी वास्तविक रूचि है तो आप इस अलग तथा अनोखी रुचि का उल्लेख कर सकते है। वास्तव में, दूसरों से कुछ अलग लिखना सदैव बेहतर होता है। सिर्फ एक बात का ध्यान रखें कि आपको व्यक्तित्व परीक्षा के दौरान, अपनी इस रूचि के बारे में प्रश्नों को उत्तर देते हुए, इसकी प्रमाणिकता को सिध्द करना होगा।
प्रश्न: क्या साक्षात्कार हेतु किसी अच्छी रूचि को अपनाया जा सकता है ?
उत्तर : मेरे विचारानुसार, इस अल्पावधि के दौरान ऐसा करना कठिन होगा। लेकिन यदि आप समझते है कि आप इस दौरान किसी गतिविधि के बारे में रूचि जागृत कर उसकी पूरी तैयारी कर सकते है तो यह ठीक रहेगा। लेकिन ऐसा करते समय बहुत अधिक सावधानी रखी जाए।
प्रश्न: क्या भारतीय प्रशासनिक सेवा को अपने प्रथम विकल्प के तौर पर दर्शाना आवश्यक है ?
उत्तर: जी नहीं, भारतीय प्रशासनिक सेवा को ही अपनी पहली पसंद के रूप में दर्शाना अनिवार्य नहीं है। वास्तव में, अब अभ्यर्थियों द्वारा अन्य सेवाओं को अपनी पहली पसद के रूप में लिखे जाने में वृध्दि हुई है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि जिस भी सेवा को आप अपनी पहली सेवा के रूप में लिखें, साक्षात्कार के दौरान आप उसके लिए पूरा स्पष्टीकरण दे पाने में समर्थ हों।
प्रश्न: क्या मैं आईपीएस/आईएफएस / आईआरएस सेवा को पहले विकल्प के रूप में लिख सकता हूं ?
उत्तर: जी हा आप ऐसा कर सकते है लेकिन पुनः आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिस भी सेवा को आप अपनी पहली सेवा के रूप में लिखें साक्षात्कार के दौरान आप उसके लिए पूरा स्पष्टीकरण दे पाने में समर्थ हों।
प्रश्न: अक्सर लोग यह कहते है कि यदि मैं आईआरएस सेवा को पहले विकल्प के रूप में लिखता हूं तो बोर्ड को यह संदेश जाएगा कि मैं पैसे के लिए ऐसा कर रहा हूं। क्या यह सही है ?
उत्तर : संभावना यह है कि जिस भी किसी व्यक्ति ने आपको ऐसा सुझाव दिया है. वह स्वयं ऐसी भावना रखता हो। यह पूर्णतयः गलत है। अक्सर ऐसी भावना इस लिए उत्पन्न होती है, क्योंकि इस सेवा का संबंध, कर/टैक्स तथा बहुत अधिक रूपयों संबंधी पहलुओं से जुड़ा होता है। दूसरे एक भ्रष्ट अधिकारी के लिए यहा भ्रष्टाचार के अधिक अवसर होते है। दूसरे शब्दों में, भ्रष्टाचार में लिप्त होने के लिए यहां बहुत बड़ा क्षेत्र उपलब्ध होता है। अतः ऐसे व्यक्ति ही इस सबंध में चिन्ता करते है। यदि आपने आईआरएस को पहला विकल्प चुना है तो इसके पीछे कोई कारण अवश्य होगा। आपको सिर्फ उन कारणों का उल्लेख करना है। उदाहरण के लिए, आपकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि अथवा इसी सेवा से जुड़ा आपको प्रेरणा प्रदान करने वाला कोई व्यक्ति।
मैंने आईपीएस / आईएफएस / आईआरएस को वरीयता क्रम में काफी नीचे रखा है। क्या यह
गलत है ?
उत्तर : नहीं यह गलत नहीं है परन्तु आपको अपने लिए गए निर्णय के कारणों की जानकारी होनी चाहिए।
प्रश्न: क्या विकल्प सूची में सभी सेवाओं का उल्लेख न करना, उचित रहेगा ?
उत्तर : यद्यपि, संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ऐसा करने पर कोई रोक नहीं होती है। लेकिन, मैं आपको यह सलाह दूंगा कि आप किसी भी सेवा को सूची में रखने से वंचित न करें। यदि आप किसी सेवा में नहीं जाना चाहते, तो आप बाद में कभी भी इसे छोड़ सकते है। लेकिन किसी भी सेवा को अपनी सूची से निकालिए मत क्योंकि हो सकता है कि कोई बोर्ड सदस्य इस सेवा से जुड़ा हो अथवा इस सेवा के प्रति मन में कोई विशेष स्थान रखता हो। अतः इस प्रकार, आप अनावश्यक रूप से बोर्ड को गलत संदेश प्रसारित कर सकते है।
प्रश्न: क्या विकल्प सूची में भरी गई प्रत्येक सेवा की मुझे जानकारी होनी चाहिए ?
उत्तर: जी हां, भले ही आप प्रत्येक सेवा के विषय में गहन जानकारी न रखें परन्तु फिर भी आपको प्रत्येक सेवा के बारे में कम से कम मौलिक जानकारी होना बेहतर रहेगा।
प्रश्न : मैं पिछले तीन वर्षों से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहा हूं परन्तु एक बार भी मैं इस परीक्षा को पास नहीं कर पाया हूं। मैं कोई नौकरी अथवा उच्च शिक्षा नहीं कर रहा हूं। इस प्रश्न का मैं क्या दूं ?
उत्तर : मैं आपको यह सुझाव दूंगा कि इस विचार से मन में अधिक हलचल उत्पन्न न होने दें। इस परीक्षा की तैयारी सबंधी कई उदाहरण है, जहा अभ्यर्थी सफल होने से पूर्व, कई बार किसी रूप में असफल रहें है। अतः आप कोई अपवाद नहीं है।
मेरे विचार में, आपको इस प्रश्न पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है कि “आपके विचार से, अब तक आपकी असफलता के क्या कारण है”? यदि आप इस प्रश्न का सतोषजनक उत्तर दे पाते है तो इसका अर्थ है कि आप अपनी कमियों के प्रति जागरूक है तथा उन्हें दूर करने के प्रयास में अविरल लगेंगे हुए है।
प्रश्न: मैं अपने पहले ही प्रयास में व्यक्तित्व परीक्षा में उपस्थित हो रहा हूं। क्या मुझे इस का कोई अतिरिक्त लाभ प्राप्त होगा ?
उत्तर : नियमों के अनुसार, ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। यहा तक कि बोर्ड सदस्य भी इसे कोई विशेष महत्व नहीं देंगें। लेकिन, निश्चित ही, इससे बोर्ड पर, आपका पहला प्रभाव काफी अच्छा पड़ता है।
प्रश्न: क्या बोर्ड सदस्यों के मन में स्त्री-पुरुष को लेकर कोई पक्षपात की भावना होती है।
उत्तर : जी नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं होता।
प्रश्न: मुझे किस प्रकार के समाचार पत्र तथा पत्रिकाएं पढ़नी चाहिए?
जात्तर। आपको कम से कम 02 राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्र अवश्य पढ़ने चाहिए। द हिन्दु समाचार (The Hindu) पत्र अवश्य पढ़े। साथ ही, आप चाहें तो द टाइम्स आफ इंडिया (The Times of India), अथवा हिन्दुस्तान टाइम्स (Hindustan times) या इंडियन एक्सप्रेस (Indnes Express) भी पढ़ सकते है। यदि आपकी पृष्ठभूमि वाणिज्य विषयों की है तो आप प्रतिदिन कम से कम एक बिजनेस समाचारपत्र भी अवश्य पढ़ने का प्रयास करें।
पत्रिकाए भी समाचार पत्रों जितनी ही महत्वपूर्ण होती है। मैं आपका ध्यान एक आवश्यक पहलू की ओर दिलाना चाहता हूं कि व्यक्तित्व परीक्षा की तैयारी करते समय आपको अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु उपलब्ध वर्तमान घटनाक्रमों की सामान्य ज्ञान आधारित पत्रिकाओं पर अधिक ध्यान नहीं देना चाहिए।
यह आपकी प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा में तो आपकी सहायता कर सकती है किन्तु व्यक्तित्व परीक्षा के दौरान नहीं क्योंकि इनमें तथ्य अधिक तथा विश्लेषण की मात्रा बहुत कम होती है। साथ ही, इसमें प्रस्तुत लेख विश्लेषकों द्वारा नहीं लिखे जाते। अतः मैं आपको राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाएं जैसे द आउटलुक (The outlook), द इंडिया टुडे (The India Today), द वीक (The Week), द संडे इंडियन (The Sunday Indian), फ्रंटलाइन (Frontline), गर्वनेन्स नॉउ (Governance Now)
इत्यादि पढ़ने की सलाह दूंगा।
प्रश्न: समाचार पत्रों को कितनी अवधि के लिए पढ़ा जाना चाहिए ?
उत्तर : आपको अपनी तैयारी को समाचार पत्रों के अध्ययन से प्रारभ करते हुए इस आदत को, व्यक्तित्व परीक्षा की सुबह तक जारी रखना चाहिए।
प्रश्न: क्या सामान्य प्रतियोगी परीक्षा हेतु उपलब्ध पत्रिकाएं, जिन्हें हम लम्बे अर्से से पढ़ते आ रहें है, इस तैयारी हेतु काफी नहीं है ?
उत्तर: जी नहीं, ऐसा करना पर्याप्त नही है तथा इस बात का उत्तर पिछले प्रश्न के माध्यम से दिया जा चुका है ?
प्रश्न: क्या तैयारी के लिए टीवी देखना आवश्यक है ?
उत्तर : व्यक्तित्व परीक्षा की तैयारी में टेलीविजन का बहुत महत्व है। हो सकता है कि इसका महत्व प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा के दौरान न हो परन्तु व्यक्तित्व परीक्षा के दौरान टेलीविजन न केवल महत्वपूर्ण है बल्कि मैं यह कहना चाहूंगा कि यह कई बार समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं से भी महत्वपूर्ण होता है।
प्रश्न : मुझे टीवी में किस प्रकार के कार्यक्रम देखने चाहिए ?
उत्तर: कृपया पृष्ठ संख्या पर अध्याय ‘टेलीविजन” को संदर्भित करें।
प्रश्न: मैंने अक्सर लोगों को यह कहते सुना है कि समाचार पत्र, पत्रिकाओं तथा टेलीविजन के समाचारों के प्रति हमें सतक्रता रखनी चाहिए क्योंकि इसमें गुप्त कार्यसूची छुपी होती है। क्या यह बात सही है? उत्तर: यह एक खुला रहस्य है कि लगभग सभी मीडिया हाउस किसी न किसी रूप में कुछ झुकाव /
उन्मुखता रखते है। जब मैं इस उन्मुखता की बात करता हूं तो मेरा अर्थ अनिवार्यतः किसी नकारात्मक झुकाव से नहीं ना ही मेरा कहने का उध्देश्य यह है कि वे इच्छापूर्वक ऐसा करते है अथवा वे अपने गुस उब्देश्यों की पूर्ति हेतु ऐसी उन्मुखता / झुकाव रखते तो आपके ध्यान में सिर्फ यह बात लाना चाहता हूं कि प्रत्येक मनुष्य के मन में ऐसी प्रत्येक समाचार का वर्णन करते समय इस उन्मुखता का आग होना अनिवार्यता है, जिसकी मात्रा कम या अधिक हो सकती है। सोच में इस उन्मुखता की उपस्थिति उन मूल्यों को मानना है जिनके प्रति वे विश्वास रखते है अतः इसे किसी भी प्रकार से गलत नहीं कहा जा सकता।
अतः आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि कौन सा मीडिया हाउस अथवा पत्रकार किस विचारधारा में विश्वास करता है तथा उसके विश्लेषण को उसी परिप्रेक्ष्य में रखकर समझा जाना चाहिए। उदाहरणस्वरूप, यदि आप एक ऐसा समाचार पत्र पढ़ते है, जिसके संपादक मंडल समाजवादी विचारधारा में विश्वास रखते है तो आपको उनके द्वारा उदारीकरण, खुदरा में निवेश इत्यादि विषयों पर लिखे गए लेख में उन्मुखता के इस प्रभाव को देख सकते है। इससे आपको सही, निष्पक्ष तथा पक्षपात रहित सोच कायम करने में सहायता प्राप्त होगी।
प्रश्न : क्या आप मुझे अपनी तैयारी हेतु कुछ अन्य स्त्रोत बताना चाहेंगें ?
उत्तर : इंटरनेट, सामान्य पुस्तकें, सफल उम्मीद्वारों तथा विषय विशेषज्ञों से चर्चा आपकी तैयारी के कुछ अन्य विविध स्त्रोत हो सकते है। कृपया विस्तृत जानकारी प्राप्त करने हेतु पृष्ठ संख्या पर अध्याय
“आपकी तैयारी के विभिन्न स्त्रोत” को संदर्भित करें।
प्रश्न: क्या मुझे समाचार पत्रों से नोट लिखने ?
उत्तर : यद्यपि, मैं आपको व्यक्तित्व परीक्षा की तैयारी हेतु परम्परागत रूप से नोट लिखने का सुझाव नहीं देता हूं परन्तु फिर भी मैं यह कहना चाहूंगा कि आप जो भी पढ़े, उसके विशेष बिन्दुओं को मुख्य तथ्यों तथा आकड़ों को क्रमानुसार अपनी “डायरी दोस्त” में सजों लें।
प्रश्न: क्या तैयारी के दौरान इंटरनेट का कोई विशेष महत्व है ?
उत्तर : इंटरनेट का दायरा असीम तथा अनंत है। एक ऐसे आकाक्षी अधिकारी, जो तकनीक प्रेमी हो तथा इंटरनेट के उपयोग में दक्ष तथा अभ्यस्त हो, उनके लिए तो इंटरनेट वास्तव में, प्रत्येक दूसरे साधन जैसे समाचारपत्र, पत्रिकाओं तथा टेलीविजन का स्थान ले सकता है। अन्य ऐसे आकाक्षी अधिकारी, जो तकनीक के उपयोग में ज्यादा कुशल नहीं है वे मी चाहे तो इंटरनेट का उपयोग अपनी वांछित जानकारी को प्राप्त करने हेतु कर सकते हैं। यह विशेषकर आपके विस्तृत आवेदन पत्र (DAF) में भरे जाने वाले व्यक्तिगत जीवन वृत्त को तैयार करने हेतु अति उपयोगी है।
इसके अतिरिक्त, कई ऐसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स है जहां देश के दूसरे राज्यों से कई दूसरे आकाक्षी अधिकारी अपने अपने अनुभव साझा करते है। आप भी ऐसे समूह का हिस्सा बनने का प्रयास कर सकते है।