सिविल सेवा परीक्षार्थी में कौन कौन से गुण होने चाहिए ?
उन विशेषताओं एवं गुणों के बारे में पता करने का प्रयास करे, जिसकी आशा बोर्ड उम्मीदवारों से रखता है।
1 . मानसिक सतर्कता/सचेतनता (Mental Alertness)
बोर्ड से बार बार प्रश्नों को दोहराने की मांग करना इस बात का प्रतीक है कि आप में इस गुण की कमी
है। आपको न केवल पूछे गए प्रश्नों के प्रति मानसिक रूप से सतर्क रहना है बल्कि अपने आस पास
की पूरी स्थिति के प्रति भी सचेत रहना है।
2 .आत्मसात्करण करने की क्षमता (Power of Assimilation)
इसका अर्थ यह है कि आप किसी परिस्थिति को किस हद तक, कितनी सरलता से तथा कितनी शीघ्रता से समझ पाते है। यह अधिकारी का सबसे अपेक्षित गुण है। अतः आप किसी भी प्रश्न का उत्तर देने से पहले, उसके प्रत्येक संभावित पहलू का विश्लेषण करें ताकि आप बोर्ड पर यह प्रभाव छोड़ सके कि आप में परिस्थिति को आत्मसात् करने की क्षमता मौजूद है।
3 .तार्किक क्षमता (Reasoning Ability)
किसी विषय पर तथ्य तथा तर्क पर आधारित वैचारिक क्षमता, जो तर्कसंगत तथा तर्कसिध्द हो और जिसकी सहायता से निष्कर्ष तक पहुंचा जा सके, तार्किक क्षमता कहलाती है। यह क्षमता अधिकारी में होनी चाहिए जिससे कि वह स्थिति का निष्पक्ष भाव से विश्लेषण कर उसका सर्वोत्तम हल निकाल सके।
4.रचनात्मक / सकारात्मक दृष्टिकोण (Constructive Approach)
किसी समस्या के समाधान के दो रास्ते होते है रचनात्मक तरीका तथा संहारक या विनाशकारी तरीका। मैं इसे एक के माध्यम से समझाना चाहता हू। मान लीजिए, आप पूरी तन्मयता से एक महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने में लगे हुए है और उसी कक्ष में एक बच्चा लगातार शोर मचा रहा है। यदि आपका का दृष्टिकोण विनाशकारी (नकारात्मक) है तो आप उस बच्चे का थप्पड लगाकर उसे कमरें से बाहर निकाल सकते है। ठीक इसके बिल्कुल विपरीत रचनात्मक सोच (सकारात्मक) आप से यह उम्मीद करती है कि आप बच्चे की बात सुनें तथा यह पता लगाएं कि उसके इस व्यवहार का कारण क्या है तथा इसकी जड़ तक जाकर उसे हल करें।
5. नेतृत्व क्षमता (Leadership)
सिविल सेवाओं के संसार में जिस प्रतिष्ठित पद पर आप आसीन होने जा रहें है वहां आपको ऊर्जावान, दूरदर्शी तथा नेतृत्व के गुणों से परिपूर्ण होना आवश्यक है। मैं यहां यह बताना चाहता हूं कि इस महत्वपूर्ण विशेषता के बिना कई विभिन्न सकारात्मक गुणों वाला व्यक्ति भी दक्ष तथा प्रभावी लोक सेवक नहीं बन सकता।
6 .निर्णय लेने की क्षमता (Decision Making)
नौकरशाही व्यवस्था पर अक्सर निर्णय लेने से विमुख रहने के आरोप लगते रहते है। आप में बोर्ड को
इस बात का अहसास करवाना है कि आप उस श्रेणी में नहीं आते है। आपको शीघ्र ही नहीं बल्कि सही
निर्णय करने की भी क्षमता है। इतना ही नहीं, आप अपने निर्णयों के साथ सदैव खड़े रहने का साहस भी रखते है। और यदि आप गलत निर्णय भी लेते है तो आप उस निर्णय में सुधार करने में भी सक्षम है। अतः यदि कोई ऐसा प्रश्न पूछा जाए जहा आप से आपके मत/निर्णय के बारे में पूछा जाए तो कभी पीछे न हटें और एक कूटनीतिज्ञ की तरह “तटस्थ बनें रहने के सूत्र पर अमल न करें।
7 .कूटनीति से स्थिति पर नियंत्रण करने की क्षमता (Ability to handle things diplomatically)
कूटनीतिज्ञ शब्द को अक्सर नकारात्मक समझा जाता है। यह माना जाता है कि यदि कोई कूटनीतिज्ञ है तो. वह या तो टालमटोल करने की कोशिश कर रहा है अथवा वह ‘ज्यादा होशियार बनने की कोशिश में है या वह कुटिल है। हालांकि इस शब्द का यह अर्थ गलत नहीं है परन्तु इसके केवल इसी रूप में ही उपयोग में नहीं लिया जाता है। इस शब्द के कई सकारात्मक पहलू भी है।
आइये सर्वप्रथम, शब्दकोष के अनुसार इस शब्द की परिभाषा को देखते है। आक्सफोर्ड शब्दकोष के अनुसार, कूटनीतिज्ञ शब्द का अर्थ व्यक्तियों से संवेदनशीलता तथा चतुराई से पेश आना है। यह परिभाषा सकारात्मक अर्थ दर्शाती है। इस परिभाषा के दो आयाम है पहला संवेदनशीलता तथा दूसरा चतुराई भरी समझबूझ।
अतः कूटनीतिज्ञ होने का अर्थ इस प्रकार से है जब आप किसी व्यक्ति को कुछ सुझाव देते है त आपको उस संदर्भ की संवेदशीलता का ज्ञान होना चाहिए आपको जनभावना के प्रति संवदेनशील होना चाहिए तथा साथ ही आपको इस बात के प्रति भी संवेदनशील होना चाहिए कि आपका सुझाव देशकसंवैधानिक, राजनैतिक तथा विधि के अनुकूल है अथवा नहीं। दूसरा शब्द बतुराई मरी समझबूझ है।
यह बहुत महत्वपूर्ण शब्द है क्योंकि हमारे दैनिक कामकाज के दौरान, कई बार ऐसी स्थितिमा है। हो जाती है जब आपके सामने खड़ा व्यक्ति कठोर वास्तविकता को जानते हुए भी कुछ सुतिया उत्पन्न नहीं होता लेकिन आपको अपना कार्य निष्पादित करवाना होता है। चतुर होने का अर्थ, यहां व्यक्ति में नमनबूझ की विशेषता से है जिससे कि आपका कार्य भी पूरा हो जाए तथा उस व्यक्ति को यह नी आभास हो जाए कि उसकी कही बात भी रखी गई है।
चूंकि यह एक महत्वपूर्ण विशेषता है जो सेवाकाल में अक्सर उपयोग में आती रहेगी अतः बोर्ड को इस विशेषता की गभीरता से तलाश रहती है। अतः अपने कूटनीतिज्ञ कौशल का पूर्णतः प्रदर्शन करें।
ध्यान देने योग्य बात : बोर्ड के साथ किसी प्रकार की चालाकी करने का प्रयास न करें। बोर्ड को यह दिखाना कि आप के पास स्थितियों को कूटनीति से संभालने की क्षमता है तथा बोर्ड सदस्यों के साथ कूटनीति, चालबाजी दो बिल्कुल अलग बातें है। जिसमे दूसरी अवस्था का अर्थ है कि आप उन्हें मूर्ख बनाने का प्रयास कर रहें है तथा निश्चित ही आपको ऐसा कदापि नहीं करना चाहिए।
8 .विकट परिस्थितियों से निपटने की क्षमता (Ability to handle difficult
situations)
एक बार एक उम्मीदवार लगातार 11 प्रश्नों के उत्तर नहीं दे पाया। बोर्ड के एक सदस्य ने उससे पूछा * ऐसा लगता है कि आप कुछ नहीं जानते ऐसा क्यों है।” उम्मीदवार निश्चित ही अब विकट स्थिति का सामना कर रहा था। किन्तु फिर भी उसने शांति एवं विनम्रता से जवाब दिया, “महोदय, मुझे दुख है कि मैं आपके पूछे गए प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाया परन्तु मुझे अन्य विषयों की जानकारी है”। कठिन परिस्थितियों में यह बड़ा ही सूझ-बूझ एवं समझदारी भरा उत्तर है।
9. समस्या निवारण की क्षमता (Problem solving skills)
निश्चित ही, बोर्ड यह परखना चाहता है कि आप समस्या का समाधान कर सकते है अथवा नहीं। लेकिन वे केवल इसी गुण की तलाश में है. यह सही नहीं है। वे यह भी देखना चाहते हैं कि आप किसी समस्या का हल कैसे करते है तथा इसके हल हेतु आपके पास क्या कला एवं कौशल है। यह इस लिए आवश्यक है क्योंकि यदि समस्या निवारण की तकनीक कुशल तथा प्रभावी होगी तो समस्या को पूरी कुशलता एवं प्रभावी ढंग से हल किया जा सकेगा जो सरकारी तंत्र में आज के समय की सबसे बड़ी मांग है। इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि आपका यह कौशल तथा तकनीक देश के संवैधानिक तथा वैधानिक संरचना के अनुरूप होना चाहिए।
10 दृष्टिकोण / नजरिया (Attitude)
हमेशा यह प्रयास कीजिए कि आपके शब्दों तथा हाव-भाव की भाषा से आपकी सकारात्मक सोच का प्रतिबिम्ब झलकता रहे। सकारात्मक सोच से अधिकांश समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाती हैं।
11 . जैसे हैं, वैसे दिखें (दिखावा मत कीजिए) [Be yourself (Don’t try to fake)]
यदि आप समझते है कि बोर्ड के साथ हेर फेर या किसी प्रकार की चालाकी की जा सकती है तो यह बोर्ड के लिए एक संकेत है कि आप उन्हें मूर्ख बनाने का प्रयास कर रहें है। ऐसा करना किसी भी प्रकार से उचित नहीं। आपके निर्णायक मंडल की आयु शायद आपकी आयु से दुगुनी होगी तथा उन्हें आपकी आयु जितना ही कार्य अनुभव प्राप्त होगा। उन्हें यह पता करने में बिल्कुल समय नहीं लगेगा कि आप झूठ बोल रहें है तथा यह पल आप पर सबसे बड़ी विपदा बनकर टूटेगा।
12 जैसे हैं, वैसे दिखें (किसी की नकल न करें) [Be yourself (Don’t imitate)]
आप अपनी अनोखी क्षमताओं तथा कमियों की वजह से ही अपनी पहचान स्थापित करते है। दूसरे व्यक्ति की पहचान, उसकी अपनी क्षमता तथा कमिया है। जब आप किसी और को स्वयं में ढालने का प्रयास करते है तो आप उसके बाहरी विशेषताओं तथा गुणों की तो नकल कर लेते है परन्तु उसके भीतर की क्षमताओं तथा कमियों की जानकारी आप को पता नहीं होती है। यह बेमेल परिस्थिति बन जाएगी और बोर्ड को इसका पता लग जाएगा। आप अपने विचारों पर खरे नहीं उतर पाएगें तथा आपकी भाषा और आपकी हाव भाव की भाषा में गहरा मतभेद रहेगा। अतः प्रिय मित्रों, कृपया ऐसा प्रयास कभी न करें।
13 आत्म विश्वास (Self Belief)
यदि आप स्वयं पर ही विश्वास नहीं रखेंगें तो आप ऐसी आशा नहीं कर सकते कि दूसरा भी आप पर तथा आपकी क्षमताओं पर भरोसा करे। अत दोस्तों, इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कि आप बोर्ड का विश्वास तथा भरोसा जीत सकते हैं, आपको यह दृढ विश्वास रखना होगा कि आप में वह सभी विशेषताए है जो एक अधिकारी बनने के लिए आवश्यक है।
आत्म विश्वास का यह अर्थ नहीं है कि आप दूसरे के विचारों के प्रति पूरी तरह से विमुख बनें रहें। इसका अर्थ दृढ निश्चय है, अभिमान नहीं है। इसका अर्थ यह है कि आप किसी कार्य को पूरा करने का दृढ़ विश्वास तो रखते है परन्तु साथ ही, आप यह भी जानते है कि इस कार्य को, केवल आप ही नहीं कर सकते, दूसरे में भी ऐसा करने की क्षमता है। इस सूक्ष्म भेद को सदैव मन में रखना आवश्यक है।
14 .निरन्तर प्रयत्नशीलता (Perseverance)
आपको बोर्ड को इस तरह से प्रभावित करना है कि आप उन व्यक्तियों में से नहीं है, जो जल्दी हार स्वीकार कर लेते हैं। अक्सर सेवाकाल के दौरान, ऐसा तनावपूर्ण समय आता है जब व्यक्ति किसी कार्य को छोड़ने का मन बना लेता है। लेकिन एक कुशल अधिकारी से ऐसी अपेक्षा नहीं की जाती है।
15 .विनम्रता (Politeness)
विनम्र व्यक्ति को सभी पसद करते है। अतः यदि आप विनम्र है तो सभी व्यक्ति आपको पसंद करेंगे। विनम्रशील होकर आप उस नकारात्मकता को भी मिटा सकते है, जो किसी कारणवश बोर्ड के मन में आपके लिए बन गई हो। विनम्रशीलता, अक्सर आपके औसत उत्तर पर भी पर्दा डाल देती है।
16 .नई तथा अनुपम सोच (Fresh and Unique ideas)
नवीन तथा अलग सोच रखने वाले व्यक्तियों की सभी को आवश्यकता होती है तथा वे सभी की प्रशंसा के पात्र होते है। इसकी नौकरशाही में बहुत आवश्यकता होती है, जिस पर अक्सर यथापूर्व स्थिति बनाएं रखने तथा पुरानी सोच रखने के आरोप लगते रहते है। अतः बोर्ड को दर्शाइये कि आप वह अधिकारी है जो नौकरशाही की ऐसी छवि को बदल सकता है।
ध्यान देने योग्य बात: बहुधा यह देखा जाता है कि नया विचार रखने के प्रयासों में अभ्यर्थी ऐसे सुझाव देने लगता है जो या तो मूर्खता से भरे होते है अथवा असवैधानिक होते हैं या कल्पनालोक में ले जाते है। ऐसे विचार आपके लिए महगे सिध्द हो सकते है क्योंकि सिविल सेवाओं में ऐसे व्यक्ति के लिए कोई स्थान नहीं होता है।
17 .बौध्दिक गुण (Intellectual Traits)
जब कभी भी आप किसी विषय विशेष पर अपने विचार प्रकट करें तो चेतन मन से प्रयासशील रहें कि आपके विचार बुध्दिमता का निर्वाह कर रहें हों। आपकी चर्चा में सामान्य औपचारिक बातचीत के भाव नहीं होनी चाहिए।
18 .सामाजिक गुण (Social Traits)
आपके पास केवल बौध्दिक गुणों की सम्पदा ही नहीं बल्कि सामाजिक गुणों का होना भी अपेक्षित है। इसका अर्थ यह है कि आप एक अच्छे सामाजिक प्राणी है।
19 . लोक सेवा हेतु उपयुक्तता (Suitability To Public Career)
लोक सेवा में आपका कैरियर एक निजी कम्पनी में नौकरी से कहीं अलग होता है। दोनों के मध्य में सबसे बड़ा अंतर यह है कि जहा पहले को एक सेवा के रूप में श्रेणीबध्द किया जाता है तो दूसरा सिर्फ एक नौकरी मात्र है। अतः बोर्ड इस बात की परख अवश्य करना चाहेगा कि लोक सेवा हेतु आवश्यक गुण आप के पास है अथवा नहीं।
20 . सामाजिक एकता (Social Cohesion)
आपका ऐसा व्यक्ति होना आवश्यक है जिसमें सामाजिक एकता का सामांजस्य हो। भारत भूमि विविधताओं का महासागर है तथा कई अलग अलग कारणों से यह विश्व की सबसे अधिक विविधता से भरी सभ्यता है। अतः लोकसेवक हेतु ऐसा व्यक्तित्व आवश्यक है जो इन विभिन्नताओं में एकता की भावना बनाए रखें।
21 .संवेदनशीलता (Sensitivity)
अक्सर मैंने यह सुना है कि अभ्यर्थी मन में यह भावना रखते है कि भावी अधिकारी को बहुत सख्त एव कठोरता का परिचय देना चाहिए। ये दोनों गुण अपेक्षित तथा आवश्यक है और आप प्रयास करें कि यह आप में मौजूद हो। लेकिन अक्सर व्यक्ति अपने मन में यह गलत धारणा बना लेते है कि सख्त होने का अर्थ आप में संवेदना का न होना है। यह सही नहीं है। आपको सख्त होने के साथ संवेदनशील भी होना चाहिए। संवेदनशीलता, आप में दूसरों के प्रति तथा उनकी मुसीबतों के प्रति सहानुभूति तथा समानुभूति की भावना लाती है तथा उनके विषय में किसी भी प्रकार का निर्णय करने से पूर्व, आप उनके दृष्टिकोण को समझने के लिए स्वयं को उनके स्थान पर रखकर देखते है।
22. निष्पक्षता (Unbiased)
ऐसा व्यक्ति जो निष्पक्ष नहीं, सिविल सेवाओं हेतु पूर्णतयः अनुपयुक्त है। जैसा कि पहले कहा गया है कि भारत विविधताओं का देश है। आप के अधीनस्थ, सहकर्मी, वरिष्ठ, राजनेता कार्यपालक तथा जनसामान्य अलग अलग सामाजिक-आर्थिक श्रेणी के होंगे, और उनके साथ काम करने के लिए यह आवश्यक है कि आप हर तरह से निष्पक्ष हों। आपको इन लोगों को, अपनी इस निष्पक्षता का विश्वास भी दिलाना होगा तभी वे आपके समक्ष खुल कर अपनी बात कह सकेंगें।
23 .चरित्र (Character)
यह उन गुणों तथा विशेषताओं का जोड़ है, जिससे दो अलग अलग व्यक्तियों की पहचान स्थापित होती है। अतः उन विभिन्न गुणों की जिनकी यहां चर्चा की जा रही है, सभी को यदि आपके अपने अनुपात में लिया जाए, तो वह आपका व्यक्तित्व बन जाता है।
अतः हमें न केवल अच्छे तथा सकारात्मक गुणों का ग्रहण करने का प्रयास करना है बल्कि अपने इस अनुपात के प्रति भी सजग रहना है। मैं अपने इस ‘अनुपात’ वाले कथन को विस्तारपूर्वक कहना चाहता हूं। लोक सेवक के लिए कार्यकुशलता’ (Efficiency) तथा ‘ईमानदारी (Honesty) दोनों गुण अपेक्षित है। लेकिन एक अभ्यर्थी जो कम कार्यकुशल’ हो परन्तु पूरी तरह से ईमानदार (ईमानदारी का अनुपात अधिक) हो को उस अभ्यर्थी से अधिक प्राथमिकता दी जाएगी जो ‘थोड़ा बेईमान किन्तु ‘अधिक कार्यकुशल का अनुपात अधिक) है। अतः गुणों के अनुपात को सदैव ध्यान में रखें।
24 सत्यनिष्ठा (Integrity)
यह शब्द लैटिन भाषा से लिया गया एक विशेषण है जिसका अर्थ है ‘सम्पूर्ण’ अथवा ‘पूरी तरह से। इस रूप में, सत्यनिष्ठा का अर्थ, मन में सम्पूर्णता का भाव है जो ईमानदारी तथा चरित्र की अडिगता जैसे गुणों से उत्पन्न होता है। यह व्यक्ति के विचारों में सच्चाई तथा ईमानदारी की उपस्थिति है। साथ ही. इसका अर्थ यह भी है कि व्यक्ति की सोच दृढ़ तथा मजबूत है तथा वह हवा के साथ अपना रूख नहीं बदलता। यह ढोंगी / मिथ्या चरित्र के बिल्कुल विपरीत है। सत्यनिष्ठा का गुण एक अधिकारी की पहचान होता है तथा इस के साथ कभी भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
25 . नैतिक मूल्य (Values)
आपको बोर्ड को प्रभावित करना है कि आपकी परवरिश तथा सामाजिक परिवेश दोनों ने आपको जीवन में नैतिक मूल्यों के प्रति आस्थावान बनाया है तथा आप इन पर भरोसा रखते है।
26. ईमानदारी (Honesty)
मैं सीधे शब्दों में यह कहना चाहूंगा कि प्रसिध्द कहावत “ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है” (Honesty is the best policy) यहां पर पूर्णतय लागू होती है। आप ईमानदारी के लिए जितने अधिक अंक प्राप्त करेंगें, उतने ही आपके सफल होने के अवसर अधिक होंगे।
27 .नम्रता (Humility)
अपने सद्गुणों का गुणगान कभी न करें। यदि बोर्ड आपकी प्रशंसा करें तो विनम्रता से बोर्ड को धन्यवाद दें तथा अपने व्यवहार में परिवर्तन न आने दें।
28. कर्त्तव्यनिष्ठा (Sincerity Of Purpose)
नौकरशाही में कार्य के प्रति निष्ठा की कमी पर अक्सर आरोप लगते रहते है। आपको बोर्ड को आश्वस्त करना है कि आप अपने प्रत्येक कर्तव्य के प्रति निष्ठावान रहते है तथा आप पूरी तरह से कार्यनिष्ठ है
29 .आशावादी दृष्टिकोण (Optimistic Approach)
इसका अर्थ है कि आप उस गिलास को आधा भरा देखते है, जो दूसरे के लिए आधा खाली है। दोस्त एक बात को सदैव याद रखें कि कोई भी परिस्थिति इतनी बुरी नहीं होती है कि आप उसमें कुछ अच्छ न तलाश कर सकें तथा कोई भी स्थिति इतनी बेकाबू नहीं होती है कि उसे नियंत्रित न किया जा सके एक भावी लोक सेवक को बोर्ड को यह विश्वास दिलाना ही होगा कि वह आशावादी है और हालात कै भी हो वह उन्हें सामान्य बना सकता है क्योंकि उसकी सोच सकारात्मक है।
आपको “इसका कुछ नहीं हो सकता” अथवा “अब कार्रवाई के लिए देर हो गई है” जैसे वाक्यों उपयोग से परहेज रखना चाहिए।
30.वैचारिक स्पष्टता (Clarity Of Thought)
यह उत्तर को युक्तिसंगत तथा तार्किक बनाने में सहायक होता है। इसका अर्थ यह है कि किसी विषय पर अपने विचार तथा मत की हमें पूर्ण जानकारी है तथा हमारे मन में कोई विरोधाभास की स्थिति नहीं है।
मैं इसे एक उदाहरण देकर समझाना चाहता हूं। मेरे एक मित्र ने मुझे, संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की महत्ता को समझाते हुए कहा कि भ्रष्ट लोगों को तुरंत उनके पदों से निष्कासित किया जाना चाहिए। अब यहीं विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो जाती है क्योंकि, एक ओर तो वह, संवैधानिक मूल्यों की रक्षा जैसे बड़े उध्देश्य की बात कहता है तो वहीं दूसरी ओर, वह उस व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित वैधानिक / कानूनी प्रक्रिया से वंचित करना तथा नौकरी से निकालना चाहता है, जिसकी पात्रता उसे स्वयं संविधान
31. अभिव्यक्ति की स्पष्टता (Clarity Of Expression)
इसका अर्थ यह है कि आप अपने मन के भाव बिल्कुल स्पष्टता से बोर्ड के सामने प्रकट करने की क्षमता रखते है। यह बहुत महत्वपूर्ण गुण होता है क्योंकि अक्सर बहुत अच्छे तथा नए विचारों को, हम वैचारिक स्पष्टता के अभाव में, सही ढंग से अभिव्यक्त नहीं कर पाने के कारण हम कुछ गलत अर्थ समझा बैठते है।
34 .संतुलित निर्णय शक्ति (Balance Of Judgement)
यह सबसे आवश्यक विशेषताओं में से एक होती है। मैंने पहले भी कई बार इस बात पर बल दिया है। कि किसी विषय विशेष पर निर्णय लेते समय कभी भी उस पर कड़ा फैसला न करें। सदैव एक उचित संतुलन बनाकर रखें। एक स्वाभाविक प्रश्न यह है कि इस संतुलन को कैसे प्राप्त किया जाए ? तो इसका उत्तर यह है कि ऐसा करते समय उसके वैधानिक, संवैधानिक, नैतिकता, सामाजिक स्वीकार्यत तथा राष्ट्रीय हित सभी पक्षों को ध्यान में रखें।