सुख और दुःख
एक बार एक सम्राट एक गरीब स्त्री के प्रेम में पड़ गया। सम्राट था! स्त्री तो इतनी गरीब थी कि खरीदी जा सकती थी, कोई दिक्कत न थी। उसने स्त्री को बुलाया और उसके बाप को बुलाया और कहा : जो तुझे चाहिए ले—ले खजाने से, लेकिन यह लड़की मुझे दे—दे। मैं इसके प्रेम में पड़ गया हूं।कल मैं घोडे पर सवार निकलता था, मैंने इसे कुएं पर पानी भरते देखा बस तब से मैं सो नहीं सका हूं।
बाप तो बहुत प्रसन्न हुआ, लेकिन बेटी एकदम उदास हो गयी। उसने कहा, मुझे क्षमा करें! आप कहेंगे तो आपके राजमहल में आ जाऊंगी, लेकिन मेरा किसी से प्रेम है। मैं आपकी पत्नी भी हो जाऊंगी, लेकिन यह प्रेम बाधा रहेगा। मैं आपको प्रेम न कर पाऊंगी। सम्राट विचारशील व्यक्ति था। उसने सोचा कि यह तो कुछ सार न होगा। कैसे प्रेम हो मुझसे इसका? किससे इसका प्रेम है, पता लगवाया गया।
एक साधारण आदमी। सम्राट बड़ा हैरान हुआ कि मुझे छोड्कर उससे इसका प्रेम है! लेकिन प्रेम तो हमेशा बेबूझ होता है। उसने अपने वजीरों को पूछा कि मैं क्या करूं कि यह प्रेम टूट जाए? तुम चकित होओगे, वजीरों ने जो सलाह दी, वह बड़ी अद्भुत थी। तुम मान ही न सकोगे कि यह सलाह कभी दी गयी होगी। क्योंकि यह सलाह… यह कहानी पुरानी है, फ्रायड से कोई हजार साल पुरानी।
सलाह वजीरों ने यह दी कि इन दोनों को नग्न करके एक खंभे से बांध दिया जाए, दोनों को एक—दूसरे से बांध दिया जाए और खंभे से बांध दिया जाए।
सम्राट ने कहा : इससे क्या होगा? यही तो उनकी आकांक्षा है कि एक — दूसरे की बांहों में ……बध जाए।
उन्होंने कहा : आप फिक्र न करें। बस फिर उनको छोड़ा न जाए, बंधे रहने दिया जाए। उनको अलिंगन में बांधकर नग्न एक खंभे से बांध दिया गया।
अब तुम जरा सोचो, जिस स्त्री से तुम्हारा प्रेम है, फिर वह कोई भी क्यों न हो, वह इस जगत की सबसे सुंदरी क्यों न हो; या किसी पुरुष से तुम्हारा प्रेम है, वह मिस्टर युनिवर्स क्यों न हों, इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता —— कितनी देर आलिंगन कर सकोगे? पहले तो दोनों बड़े खुश हुए, क्योंकि समाज की बाधाओं के कारण मिल भी नहीं पाते थे। जातियां अलग थीं, धर्म अलग थे, चोरी — छिपे कभी यहां — वहां थोड़ी देर को गुफ्तगू कर लेते थे थोड़ी — बहुत। एक — दूसरे के आलिंगन में नग्न! पहले तो बड़े आनंदित हुए, दौड़कर एक — दूसरे के आलिंगन में बंध गए। लेकिन जब रस्सियों से उन्हें एक खंभे से बांध दिया गया तो कितनी देर सुख सुख रहता है! कुछ ही मिनट बीते होंगे कि वे घबड़ाने लगे कि अब अलग कैसे हों, अब भिन्न कैसे हों, अब छूटें कैसे? मगर वे बंधे ही रहे।
कुछ घंटे बीते और तब और उपद्रव शु रू हो गया। मलमूत्र का विसर्जन भी हो गया। गंदगी फैल गयी। एक — दूसरे के मुंह से बदबू भी आने लगी। एक — दूसरे का पसीना भी। ऐसी घबड़ाहट हो गयी। और चौबीस घंटे बंधै रहना पड़ा। फिर जैसे ही उनको छोड़ा, कहानी कहती है फिर वे ऐसे भागे एक — दूसरे से, फिर दुबारा कभी एक — दूसरे का दर्शन नहीं किया। वह युवक तो वह गांव ही छोड्कर चला गया। यह प्रेम का अंत करने का बड़ा अहत उपाय हुआ, लेकिन बड़ा मनोवैज्ञानिक।
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