हुमायूँ

हुमायूँ

हुमायूँ, मुग़ल साम्राज्य के दूसरे सम्राट बाबर के पुत्र और अकबर के पिता थे। उनका जन्म 1508 ई. में हुआ था। हुमायूँ ने 1530 ई. में अपने पिता के मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य के ताजपोशी की।

हुमायूँ का शासनकाल बहुत परेशानियों और चुनौतियों से भरा था। उन्हें अपने शासनकाल में बाहरी दुश्मनों, विभिन्न राज्यों के बागी शासकों और अपने ही बेटे अकबर के द्वारा विपरीत प्रतिस्पर्धाओं का सामना करना पड़ा।

हुमायूँ की प्रमुख विजय उनकी गुजरात में जीती गई युद्ध थी, जिसमें उन्होंने 1535 ई. में सुल्तान बहादुर शाह को पराजित किया। उन्होंने भी चौंबल के युद्ध में अपने रक्षक राणा सांगा के साथ मेवाड़ के राजा राणा प्रताप से युद्ध किया, लेकिन यह युद्ध उनके लिए असफल रहा।

बाबर की मृत्यु के बाद उसका पुत्र हुमायूँ भारत का शासक बना। हुमायूँ के सौतेले भाई कामरान मिर्ज़ा ने काबुल और लाहौर पर कब्ज़ा कर लिया। बाबर ने राज्य को इस तरह से विभाजित किया था कि दोनों भाइयों के बीच किसी भी लड़ाई को रोका जा सके। लेकिन कामरान अंततः हुमायूँ का प्रबल प्रतिद्वंद्वी बन गया। हुमायूँ ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों पर दो अलग-अलग समयावधियों तक शासन किया, 1530 से 1540 तक और फिर 1555 से 1556 तक।

भारत में शेरशाह सूरी नाम के एक व्यक्ति ने उन्हें लड़ाई में पीटा और उन्हें वहां से जाना पड़ा। वह काबुल और सिंध अमरकोट जैसे विभिन्न स्थानों पर गए, लेकिन अंततः उन्हें ईरान में एक शासक के साथ सुरक्षा मिली। शासक की सहायता से उसने मध्य एशिया के कुछ भागों पर अधिकार कर लिया। बाद में, 1555 में, उसने शेरशाह के लोगों को हरा दिया और दिल्ली और आगरा पर फिर से कब्ज़ा कर लिया। दुर्भाग्यवश, 1556 में कुछ सीढ़ियों से गिरने के बाद दिल्ली में उनकी मृत्यु हो गई। इसी समय, मुगल दरबार ने ईरानी संस्कृति का अधिक पालन करना शुरू कर दिया।


हुमायूँनामा


हुमायूँ की जीवनी का नाम हुमायूँनामा है जो उनकी बहन गुलबदन बेग़म ने लिखी है। इसमें हुमायूँ को काफी विनम्र स्वभाव का बताया गया है और इस जीवनी के तरीके से उन्होंने हुमायूँ को क्रोधित और उकसाने की कोशिश भी की Read ALSO

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