1.पृथ्वी :हमाराआवास

                                                              

                                                                  6th class NCERT

                                                                 1.पृथ्वी :हमारा आवास 

1.सौरमण्डल में पृथ्वी 
2.ग्लोब : अक्षांश एवं देशांतर 
3.पृथ्वी की गतियां 
4.मानचित्र 
5.पृथ्वी के परिमण्डल 
6.हमारा देश :भारत 

 पृथ्वी :हमारा आवास

दिन के समय हमें केवल आसमान में सूर्य ही दिखाई देता है जैसे जैसे सूर्य अस्त होता है वैसे वैसे आसमान स्वच्छ एवं साफ दिखाई देने लगता है।  आसमान में जैसे जैसे अंधेरा बढ़ता है वैसे वैसे आसमान में तारों की संख्या बढ़ने लगती है धीरे-धीरे संपूर्ण आसमान तारों से भर जाता है। 

अंधेरा बढ़ने पर तारों की संख्या में इसलिए वृद्धि होती है क्योंकि कार्य दिन में दिखाई नहीं देते जैसे जैसे अंधेरा बढ़ता है वैसे वैसे तारे दिखाई देने लगते हैं वैसे वास्तव में तारे हमेशा आसमान में होते हैं लेकिन सूर्य के प्रकाश के कारण यह हमें दिखाई नहीं देते हैं। 

खगोलीय पिंड क्या है ? 

संपूर्ण अंतरिक्ष में दो प्रकार के पिंड पाए जाते हैं ठोस एवं गैसीय। आकाशीय पिंडों में तारे,  ग्रह,  उपग्रह,  छुद्रग्रह  ग्रह उल्कापिंड आदि शामिल है। 

पूर्णिमा एवं अमावस्या क्या होती है ? 

 लगभग पूर्ण चंद्र वाली रात को हम पूर्णिमा कहते हैं। 15 दिन बाद आप इसे नहीं देख सकते और यह नए चंद्रमा की रात्रि को अमावस्या कहलाती है।  ऐसी रात में अगर आसमान साफ है तो आप आसमान का अवलोकन अच्छी तरह कर सकते हैं पूर्णिमा का मतलब होता है चंद्रमा का पूरा पूरा होना एवं अमावस्या का मतलब होता है चंद्रमा का पहली रात्रि पूर्णिमा के दिन अधिकतम चंद्रमा देख सकते हैं और अमावस्या के रात हम न्यूनतम सबसे कम चंद्रमा देख सकते हैं। 

तारा अन्य आकाशीय पिंडों से किस प्रकार भिन्न है ? 

अंतरिक्ष में दो प्रकार के पिंड पाए जाते हैं एक जिनके पास अपनी ऊर्जा एवं प्रकाश होता है दूसरे वह आकाशीय पिंड जो अपने ऊर्जा और प्रकाश के लिए अन्य आकाशीय पिंडों पर निर्भर करते हैं। 

तारे ऐसे ही आकाशीय पिंड है जिनका अपना तापमान एवं अपनी ऊर्जा होती है तारों के अलावा संपूर्ण अंतरिक्ष में किसी भी  पास नहीं होती है। 

नक्षत्र मंडल क्या है ?

रात्रि के समय हमें तारों का समूह दिखाई देता है इसे हम नक्षत्र मंडल कहते हैं अर्सा  मेजर या बिग बियर इसी प्रकार के नक्षत्र मंडल हैं। सप्त ऋषि भी एक प्रकार का नक्षत्र मंडल है। 

ध्रुव तारा क्या है ?

पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव ध्रुव तारा दिखाई देता है।  यह अपनी दिशा कभी नहीं बदलता है प्राचीन काल में ध्रुव तारा का इस्तेमाल दिशा निर्धारण के लिए किया जाता था। यह अपनी दिशा इसलिए नहीं बदलता है क्योंकि यह उत्तरी ध्रुव पर है और पृथ्वी आपनी अक्ष पर  घूर्णन  करती है इस प्रकार घूर्णन का प्रसिद्ध घूर्णन का ध्रुवतारा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है वह हमेशा ही अपने निश्चित स्थान पर दिखाई देता है। 

गृह एवं उपग्रह क्या है  ?

ग्रह उपग्रह ठोस एवं पेशीय आकाशीय पिंड हैं हमारे सौरमंडल में 8 ग्रह हैं एवं चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है यह एक प्राकृतिक उपग्रह है।

सौर मंडल

सौरमंडल 8 ग्रहों एवं सूर्य से मिलकर बना है। सौरमंडल में ग्रहों के अलावा उपग्रह एवं अन्य खगोलीय पिंड भी पाए जाते हैं   जैसे ग्रह, उपगृह ,छुद्र गृह  उल्कापिंड आदि। 

सूर्य सौरमंडल का मुखिया है। सूर्य सौरमंडल के केंद्र में है। यह पृथ्वी से लगभग 15 करोड किलोमीटर दूर है।  सूर्य गैसों से बना हुआ एक आकाशीय पिंड है।  हमारे सौरमंडल में सूर्य ही एकमात्र ऐसा आकाशीय पिंड है जिसकी अपनी ऊर्जा एवं प्रकाश है सभी सौर मंडल के सभी आकाशीय पिंड  सूर्य से ऊर्जा प्राप्त करते हैं। 

ग्रह –

ग्रह को आकाशीय पिंड है यह ठोस एवं  गैसीय अवस्था में पाए जाते हैं।  हमारे सौरमंडल में 8 ग्रह हैं।  ग्रहों को दो भागों में बांटा जाता आंतरिक एवं बाहरी ग्रह आंतरिक ग्रह जिनमें चार ग्रह शामिल है बुध,  शुक्र,  पृथ्वी,  मंगल बाहरी ग्रह  ग्रह में बृहस्पति,  शनि,  अरुण,  वरुण हैं। 

हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह शुक्र है क्योंकि इस पर CO2 की मात्रा सर्वाधिक पाई जाती है शुक्र ग्रह को ही भोर का तारा एवं शाम का तारा कहा जाता है। क्योंकि यह एक ऐसा एकमात्र ग्रह है जो शाम को सूर्य अस्त होने के बाद कुछ देर तक दिखाई देता है एवं सूर्य उदय होने से कुछ देर पहले दिखाई देता है इसका प्रमुख कारण है शुक्र की आकृति शुक्र और पृथ्वी की आकृति की एक सामान है। शुक्र को पृथ्वी की जुड़वा वहन कहते हैं।

पृथ्वी 

पृथ्वी सूर्य से तीसरे स्थान पर है आकार में पृथ्वी अन्य ग्रहों से पांचवें स्थान पर है। पृथ्वी के एक विशेष आकृति है जिसे भू आभ कहा जाता है।  पृथ्वी ही पूरे सौरमंडल में ऐसा  ग्रह है जिस पर जीवन की सभी अनुकूल दशाएं  पाई जाती हैं अन्य ग्रहों पर ऐसा नहीं है। अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी नीले रंग की दिखाई देती है क्योंकि पृथ्वी के दो तिहाई सतह पर पानी है। इसलिए इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है। 

चंद्रमा 

चंद्रमा ही पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। चंद्रमा का व्यास पृथ्वी के व्यास का केवल एक चौथाई है। यह इतना बड़ा ही प्रतीत होता है क्योंकि हमारे ग्रह से अन्य खगोलीय पिंडों के अधिक से अधिक नजदीक है।  यह हम से लगभग 3,84, 400 किलोमीटर दूर है। चंद्रमा को पृथ्वी का एक चक्कर लगाने में लगभग 27 दिन का समय लगता है इतने ही समय में पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर लगा लेती है। इसके परिणाम स्वरूप हमें चंद्रमा का केवल एक ही भाग दिखाई देता है।  चंद्रमा पर  पृथ्वी की भांति जीवन की  अनुकूल नहीं है। इसकी सतह पर पर्वत मैदान एवं गड्डी पाए जाते हैं। इन पर्वत एवं मैदानों को से पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पर देखा जा सकता है। 

छुद्रग्रह 

ग्रहों के अतिरिक्त अन्य  छोटे-छोटे आकाशीय पिंड भी होते हैं जो मंगल एवं बृहस्पति के ग्रह के बीच में पटी  के रूप में फैले हुए हैं। यह ठोस एवं गैस अवस्था में पाए जाते हैं। बृहस्पति ग्रह मंगल के बीच रहते हुए सूर्य की परिक्रमा करते हैं। यह घूर्णन नहीं करते हैं। 

कभी-कभी छुद्र ग्रह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में आकर पृथ्वी की ओर आकर्षित होते हैं और पृथ्वी पर  आ जाते हैं  यह कभी-कभी विनाश का कारक भी बनते हैं। और कभी-कभी का सकारात्मक भी होते हैं।  सकारात्मक प्रयोग की बात करें तो यह सौरमंडल की विशेष जानकारी के स्रोत होते हैं और कभी-कभी झील का निर्माण भी करते हैं नकारात्मक में  वनस्पति जीव जंतु एवं जान माल की हानि कर सकते हैं।

उल्का पिंड

उल्का पिंड आकाशीय पिंड है जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। कभी-कभी यह पृथ्वी के वायुमंडल में आकर पृथ्वी की ओर आकर्षित होते हैं और उल्कापिंड दो प्रकार के होते हैं उनका खुद जलकर बीच में ही नष्ट हो जाते हैं इन्हीं टूटता हुआ तारा कहते हैं। एक उल्का पिंड पृथ्वी के धरातल से टकराता है इससे भी सकारात्मक भी होता है यह सौरमंडल की जानकारी के स्रोत होते हैं साथ में ही नकारात्मक यह है कि किसी भी स्थान पर गिरते हैं तो वहां पर महासागर में गिरेंगे तो सुनामी जंगल जानवर जंगल में गिरेंगे तो जानवर हो जाएंगे जनसंख्या एवं जान माल की हानि होगी।

आकाशगंगा

हमारा संपूर्ण ब्राह्मण हजारों लाखों करोड़ों आकाशगंगा उन से बना है। आकाशगंगा तारों ग्रहों एवं अन्य आकाशीय पिंड की बनी होती हैं। हमारी आकाशगंगा का नाम मिल्की वे है अर्थात दुग्ध मेखला है क्योंकि हमारा सौरमंडल इसी का भाग है। 

                                                                        ( complete chapter )

                                                                  Next- 2.ग्लोब : अक्षांश एवं देशांतर 



53530cookie-check1.पृथ्वी :हमाराआवास

Leave a Comment