AKHBAAR SAAR 25 MAY 2023

25 MAY 2023

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आज के टॉपिक 

1.क्या है संसद उद्घाटन विवाद ?

2.क्या है सेंगोल ?

3. मणिपुर में हिंसा का क्या कारण  ?

4. सूडान में संघर्ष क्यों ?

5. अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार

 

1.क्या है संसद उद्घाटन विवाद ?

 नए संसद का उद्घाटन 28 मई को होना। उद्घाटन को लेकर विवाद सामने आज्ञा है। नए संसद का उद्घाटन किसे करना चाहिए विवाद इसी बात को लेकर लोकसभा स्पीकर ने प्रधानमन्त्री को न्योता दिया है। इसको लेकर विपक्ष स्वीकार नहीं कर रहा है उनका कहना है कि यह उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए और कुछ लोगों का मानना है संसद का उद्घाटन लोकसभा स्पीकर को करना चाहिए क्यूंकि को लोकसभ स्पीकर लोक सभा के अध्यक्ष होते हैं इसलिए उन्हें ही संसद का उद्घाटन करना चाहिए। 

 नए संसद का शिलान्यास कब क्या गया था ?

 

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2022 को भारत की संसद की नई इमारत का शिलान्यास किया गया। 

 नए संसद का निर्माण कहाँ हो रहा ?

 

नया संसद भवन मौजूदा संसद भवन के पास ही बनना प्रस्तावित है। ये एक तिकोनी इमारत होगी जबकि मौजूदा संसद भवन वृत्ताकार है। 

 नए संसद का निर्माण क्यों किया जा रहा है ?

 

सरकार और अधिकारियों के अनुसार संसद के बढ़ते काम के कारण एक नई इमारत के निर्माण की ज़रूरत महसूस की गई. अभी का संसद भवन ब्रिटिश दौर में बना था जो लगभग 100 वर्ष (93 वर्ष) पुराना है और उसमें जगह और अत्याधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था नहीं है। 

 क्या है नए संसद की विशेषताएं ?

 

संसद के नए भवन में निचले सदन लोक सभा के 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है. नई इमारत में लोक सभा भूतल में होगी। 

वहीं उच्च सदन राज्य सभा के 384 सदस्य इसमें बैठ सकेंगे। 

ऐसा भविष्य में सांसदों की संख्या में वृद्धि को ध्यान में रखकर किया गया है। 

भारत में अभी लोक सभा में 543 और राज्य सभा में 245 सीटें हैं। 

नए संसद भवन की संयुक्त बैठक के दौरान वहाँ 1272 सदस्य बैठ सकेंगे। 

 

 भारतीय संसद के बारे में प्रमुख तथ्य 

 भारतीय संसद भारत गणराज्य का सर्वोच्च विधायी निकाय है। 

भारत के राष्ट्रपति और दो सदनों: राज्य सभा और लोक सभा  से बना एक द्विसदनीय विधानसभा है। 

संसदीय प्रणाली में राष्ट्रपति को विधायिका के प्रमुख के रूप में अपनी भूमिका में संसद के सदन को बुलाने और सत्रावसान करने या लोकसभा को भंग करने की पूरी शक्ति है। 

राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री और उनकी केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् की परामर्शानुसार करते हैं।

संसद के किसी भी सदन के लिए राष्ट्रपति द्वारा निर्वाचित या मनोनीत लोगों और मंत्रियों को संसद सदस्य कहा जाता है। 

संसद, लोक सभा के सदस्य एकल सदस्यीय जिलों में भारतीय जनता के मतदान द्वारा सीधे चुने जाते हैं।  

राज्य सभा सभी राज्य विधान सभा के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधान द्वारा चुने जाते हैं। संसद में लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 245 की स्वीकृत संख्या है, जिसमें साहित्य, कला, विज्ञान और समाज सेवा के विभिन्न क्षेत्रों की विशेषज्ञता से 12 नामांकित व्यक्ति शामिल हैं। संसद नई दिल्ली में संसद भवन में मिलती है।

 लोक सभा में राष्ट्र की जनता द्वारा चुने हुए सीधे प्रतिनिधि होते हैं जिनकी अधिकतम संख्या 550 है। 

राज्य सभा एक स्थायी सदन है जिसमें अधिकतम सदस्य संख्या 250 है। 

राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन/मनोनयन 6 वर्ष के लिए होता है। जिसके 1/3 सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष में सेवानिवृत्त होते रहते हैं। 

संसदीय प्रणाली में वर्तमान मे लोकसभा के सदस्यों की संख्या 543 है तथा राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 245 है।

 भारतीय संसद का निर्माण :

 

हमारे देश संसद भवन का निर्माण 1921 में शुरू हुआ और यह 1927 में पूरा हुआ  और फरवरी 1921 में एचआरएच प्रिंस आर्थर, ड्यूक ऑफ कनॉट और स्ट्रैथर्न द्वारा आधारशिला रखी गई थी। इस इमारत को पूरा करने में पांच साल लग गए।

संसद भवन को ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था और इसका निर्माण 1921 और 1927 के बीच किया गया था।

भारत सरकार की नयी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में संसद के लिए एक इमारत वर्तमान इमारत के ठीक सामने बनकर तैयार है जिसका उद्धघाटन 28 मई को होना  है 

नयी विल्डिंग 2019 में, भारत सरकार ने रायसीना हिल, नई दिल्ली के पास भारत के केंद्रीय प्रशासनिक क्षेत्र, सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास के लिए एक बहुअरब डॉलर की परियोजना सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना शुरू की  एक नए संसद भवन का निर्माण सचिवालय में सभी सदस्यों के लिए आवास भी बनाया जायेगा। 

नए भवन के लिए अक्टूबर 2020 में आयोजित किया गया था और 10 दिसंबर 2020 को आधारशिला रखी गई थी। 

 

2.क्या है सेंगोल ?

 सेंगोल पांच फ़ीट लम्बा चांदी से निर्मित और सोने का लेप चढ़ाया हुआ दंड। आठवीं सदी के बाद से 800 वर्षों तक चोल साम्राज्य में सत्ता हस्तांतरण इसी से होता था। 

सी राजगोपलाचारी के सुझाव के बाद इसे फिर से तैयार करवाया गया इसके शीर्ष पर न्याय के रक्षक और प्रतीक नंदी बने हुए हैं। वैदिक विधि विधान के साथ माउंटबेटन से लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था। बाद में इसे इलाहाबाद संग्रहालय में रख दिया गया। 28मई को नए संसद भवन में उद्घाटन के दिन इसे प्रधानमंत्री तमिल पुरोहितों से एक बार फिर इसे स्वीकार करेंगे और संसद में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जायेगा। 

3.मणिपुर में हिंसा का क्या कारण  ?

 मणिपुर में मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश का विरोध करते हुए सभी जिलों में एकजुटता मार्च आयोजित करने के बाद 3 मई को हिंसा शुरू हुई, जिसने मणिपुर राज्य सरकार से मांग के संबंध में केंद्र को एक सिफारिश भेजने के लिए कहा था। मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करें।

अब तक एक दर्जन से अधिक लोगों के मारे जाने, सैकड़ों के घायल होने और अन्य लोगों के अलावा कुकी और मैतेई समुदायों के 9,000 से अधिक लोगों के विस्थापित होने की सूचना है।

 विवाद का वास्तविक कारण :

 

तात्कालिक उत्तेजना मेइती समुदाय की मांग थी, जो मणिपुर की आबादी का 53 प्रतिशत हिस्सा है और मुख्य रूप से मणिपुर घाटी में रहता है, जिसे एसटी सूची में शामिल किया जाना है लेकिन यह केवल एक कारण है इसके अलावा भी कई कारण है जैसे कुकी लोगों की सताए जाने की भावना से भी जुड़े हैं। कई चिन, म्यांमार में सीमा पार से एक ही जातीय समूह के लोग, हिंसा और उत्पीड़न से भागकर भारत में प्रवेश कर चुके हैं, और इन तथाकथित अवैध प्रवासियों के खिलाफ सरकार के सख्त रुख ने कुकीज़ को नाराज कर दिया है, जिनके वे परिजन हैं।

 जनजातीय समुदाय द्वारा मणिपुर की पहाड़ियों में आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्रों के अतिक्रमण के खिलाफ भाजपा के मुख्यमंत्री का कड़ा रुख विभिन्न कारणों से उपजा है, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि पहाड़ियों में कई एकड़ जमीन का उपयोग अफीम की खेती के लिए किया जा रहा है। सरकार वन क्षेत्रों पर अपनी कार्रवाई को ड्रग्स के खिलाफ एक बड़े युद्ध के हिस्से के रूप में देखती है। 

 एक कारण यह भी है कि  मणिपुर में भूमि पर गंभीर दबाव है। जैसेजैसे आदिवासी गाँवों में आबादी बढ़ती है, वे आसपास के वन क्षेत्रों में फैल जाते हैं, जिसे वे अपना ऐतिहासिक और पैतृक अधिकार मानते हैं। यह सरकार द्वारा विरोध किया जाता है। साथ ही, घाटियों में रहने वाले मैतेई नाराज हैं क्योंकि उन्हें पहाड़ी क्षेत्रों में बसने या जमीन खरीदने की अनुमति नहीं है, जबकि आदिवासी लोग घाटियों में जमीन खरीद सकते हैं।

 कौन है मतई लोग ?

 

मणिपुर में मैतई समुदाय उनकी आबादी राज्य की कुल आबादी की 64.6 फीसदी है। राज्य  में मैतई समुदाय के 90 फीसदी लोग पहाड़ी इलाकों में रहते हैं।   ये लोग मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। यह लोग हिंदू धर्म को मानते हैं और उनका मानना है कि 17वीं और 18वीं सदी में उन्होंने हिंदू धर्म अपनाया था। 

                                                                 4.सूडान में संघर्ष क्यों ?

 

 सूडान के अर्धसैनिक बल ‘रैपिड सपोर्ट फ़ोर्सयानी आरएसएफ और वहां की सेना आमनेसामने हैं में संघर्ष हो रहा है। यह संघर्ष अब तक 100 नागरिकों के मरने और क़रीब 1,100 के घायल होने का अनुमान है। ताजा जानकारी के मुताबिक़, ये संघर्ष अब देश के अलगअलग इलाकों में फैल रहा है। 

 सूडान की भौगोलिक स्थित :

 

 2011 में दक्षिण सूडान के अलग होने तक सूडान, क्षेत्रफल के लिहाज से अफ्रीका का सबसे बड़ा देश था। अफ्रीका के उत्तरपूर्व में स्थित इस देश की सीमाएं सात देशों से लगती है। 

इसके उत्तर में शक्तिशाली देश मिस्र है, और  पूर्व में इरिट्रिया और इथियोपिया है।लाल सागर इसके उत्तरपूर्व में स्थित है। दक्षिण में दक्षिण सूडान स्थित है, जबकि चाड और लीबिया इसके पश्चिम में मौजूद है। 

 क्या है विवाद का कारण ?

 

सूडान में नागरिक सरकार को सत्ता हस्तांतरित करने की माँग को लेकर 2021 से ही संघर्ष चल रहा है। मुख्य विवाद सेना और अर्धसैनिक बल ‘आरएसएफके विलय को लेकर है। 

आरएसएफ के जवानों को अपने लिए ख़तरा मानते हुए सेना ने पिछले सप्ताह इनकी तैनाती को बदलते हुए नई व्यवस्था शुरू की। इसी कारण आरएसएफ के जवानों में नाराज़गी थी। 

अक्तूबर 2021 में नागरिकों और सेना की संयुक्त सरकार के तख्तापलट के बाद से ही सेना और अर्धसैनिक बल आमनेसामने हैं। 

 क्या है रैपिड सपोर्ट फोर्स ?

रैपिड सपोर्ट फोर्स का गठन 2013 में हुआ था। सेना से अलग इतने मजबूत सुरक्षा बल का होना, सूडान की अस्थिरता की वजह माना जाता रहा है।  इसकी उत्पत्ति कुख्यात ‘जंजावीदविद्रोही संगठन के रूप में हुई थी.

रैपिड सपोर्ट फोर्स ने दारफुर में विद्रोहियों के खि़लाफ़ क्रूरता से लड़ाई लड़ी थी। उस समय इन पर बड़े पैमाने पर नृजातीय हिंसा करने का आरोप लगे। 

जनरल दगालो ने तब से अब तक एक शक्तिशाली सुरक्षा संगठन तैयार कर लिया है। इसने यमन और लीबिया के संघर्षों में भी दख़ल दिया। सूडान में सोने की कई खान नियंत्रित करने के साथ उन्होंने अच्छा ख़ासा आर्थिक साम्राज्य भी बना लिया है। 

 सूडान में सेना की भूमिका क्या है ?

 

सूडान के  राष्ट्रपति रहे उमर अलबशीर को हटाने के लिए 2019 में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। इसके कारन सेना ने उनका तख्तापलट कर दिया। लेकिन उसके बाद  भी लोकतंत्र बहाली के लिए नागरिकों ने अपना अभियान जारी रखा। 

सेना और नागरिकों की एक संयुक्त सरकार की स्थापना तब की गई थी. लेकिन अक्तूबर 2021 में एक और तख्तापलट के बाद इसे ख़त्म कर दिया गया।  लेकिन अभी रैपिड सपोर्ट फाॅर्स को सेना खतरा मानती है जिसके कारण दोनों में संघर्ष हो रहा है। 

5.अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार

बुल्गेरिया लेखक एंजेला रोडेल ने अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार  जीता। यह पुरस्कार उन्हें उनके उपन्यास  टाइम शेल्टर ” के लिए दिया गया है। अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार में 50 हज़ार पाउंड की राशि दी जाती है। 

 किसे दिया जाता है अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार ?

 

अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार उन उपन्यासकारों को दिया जाता है जिनके उपन्यास को इंग्लिश में अनुवाद किया गया हो। यह पुरस्कार दो साहित्यिक पुरस्कारों में से एक है जो बुकर पुरस्कार फाउंडेशन द्वारा दिया जाता है। 2005 में, अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार के नाम से शुरू हुआ और 2015 तक द्विवार्षिक रूप से दिया गया। 2016 से इसे सालाना दिया जा रहा है।

क्या है टाइम शेल्टर की थीम ?

यह एक ऐसे क्लीनिक की कल्पना करता है जो अतीत को फिर से बनाता है। यह एक हास्य उपन्यास है। इसमें प्रत्येक मंजिल एक अलग दशक को दिखाती है।

पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार भारतीय लेखिका गीतांजली श्री और अमेरिकी अनुवादक डेजी रॉकवेल को Tomb of Sand” के लिए  मिला था। 

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