DAILY CURRENT AFFAIRS : 25 JUNE 2023
1.भारत में एमरजेंसी (Emergency)
2.एयरकंडीशन (Air conditioning) के क्या क्या नुकसान है ?
3.परमाणु आपूर्तिकर्ता संगठन क्या है ?
4.वैगनर समूह
5.क्यों हो रही है मणिपुर में हिंसा ?
25 जून 1975
भारत में एमरजेंसी (Emergency) देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद अवधि है, जब भारतीय संविधान को सस्पेंड करके देश में आपातकाल लागू किया गया था। यह एक प्रकार का अधिकारापहरण था, जिसके दौरान बुनियादी मुक़ाबले और स्वतंत्रता की प्रतिबद्धता पर प्रतिबंध लगाए गए थे।
एमरजेंसी 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक लगाई गई थी। इसकी घोषणा तब हुई जब राष्ट्रपति फ़ैख़ अहमद ने अंतरिम सरकार की सिफ़ारिश पर लागू की। इस अवधि में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने विभिन्न प्रभावशाली और आपातकालीन क़ानून और उपायों को लागू किया।
इसके दौरान आपत्ति लागू की गई, संविधानिक अधिकारों को बाधित किया गया, न्यायपालिका को मान्यता दी गई, मीडिया की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाया गया और अन्य नियमों का पालन किया गया। इसके परिणामस्वरूप, नागरिकों के मौलिक अधिकारों, मीडिया की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के मूल्यों पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
एमरजेंसी दौरान अनेकों लोगों की गिरफ़्तारी हुई, जैसे कि नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, और विरोधियों की गिरफ्तारी हुई। विरोधी धर्मांतरण और नागरिक अस्थायी विचलन में भी सख़्ती देखी गई।
एमरजेंसी के दौरान कई लोग इसके विरोध में आये और बहुत संघर्ष किया। यह आंदोलन देशभर में फैल गया और एमरजेंसी के खिलाफ न्यायालय में मुक़दमों की संख्या में वृद्धि हुई।
1977 के लोकसभा चुनावों में जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत के बाद, एमरजेंसी समाप्त हुई और नई सरकार बनी। इससे भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और संविधानिक मूल्यों की मान्यता की जानकारी मिली।
2.एयरकंडीशन (Air conditioning) के क्या क्या नुकसान है ?
एयरकंडीशन (Air conditioning) का उपयोग शीतकालीन या गर्मी के मौसम में कमरे या इमारतों के तापमान को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। हालांकि, ऐरकंडीशन के कुछ नुकसान निम्नलिखित हो सकते हैं:
ऊर्जा खपत:
ऐरकंडीशन को चलाने के लिए बहुत सारी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसके परिणामस्वरूप, ऊर्जा की खपत बढ़ती है और विद्युत बिल बढ़ जाता है। यह पर्यावरण के लिए एक विषय बनता है और ऊर्जा संरक्षण के माध्यम से इसका प्रभाव कम किया जा सकता है।
पर्यावरण प्रभाव:
एयरकंडीशन यूनिट में उपयोग होने वाले रिफ्रिजरेंट गैस जैसे फ्लोरोकार्बन्स या HFCs (हाइड्रोफ्लोरोकार्बन) पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकते हैं। ये गैस ओजोन परत को क्षति पहुंचा सकते हैं और ग्लोबल वार्मिंग के कारणों में योगदान कर सकते हैं।
स्वास्थ्य प्रभाव:
धूम्रपान, वायु प्रदूषण, अतिरिक्त सुबह उठने के बाद बंद कर देने की आवश्यकता और एयरकंडीशन के नियंत्रण न कर पाने के कारण, कई बार इसका उपयोग स्वास्थ्य समस्याओं जैसे सूखे त्वचा, आंतरिक तापमान की अस्थिरता, सिरदर्द, दृश्यमान आँखें, निश्वासन संक्रमण और वायुमंडलीय एलर्जी के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
त्वचा और बालों के सुखावट:
अधिक समय तक एयरकंडीशन के कारण धुंए की अवधि बढ़ती है, जिससे त्वचा और बालों को नमी की कमी हो सकती है। यह त्वचा को खुश्क बना सकता है और बालों को ब्रिटल बना सकता है।
शोर प्रदूषण:
ऐरकंडीशन के कंप्रेसर और फैन्स की आवाज़ उत्पादन कर सकती है, जो शोर प्रदूषण का कारण बन सकती है। यह शांति और निर्माण क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है।
इन नुकसानों के अलावा, एयरकंडीशन भी आधिकारिकता और सामरिकता की अनुभव में कमी का कारण बन सकता है, जो लोगों के बीते समय के निर्धारण को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, इसका सचेत उपयोग करना महत्वपूर्ण है और इसके प्रभावों को सीमित करने के लिए उचित उपाय अपनाए जाने चाहिए।
एयरकंडीशन (Air conditioning) किसने बनाया था ?
एयरकंडीशन (Air conditioning) की विकास कई वैज्ञानिकों और उद्योगपतियों द्वारा किया गया है। हालांकि, मॉडर्न एयरकंडीशन के रूप में जिस तकनीक का उपयोग हम आजकल करते हैं, वह विलिस कैरियर (Willis Carrier) नामक एक अमेरिकी अभियंता द्वारा विकसित की गई।
विलिस कैरियर ने 1902 में एक उद्योगशाला के लिए संशोधित हवा प्रबंधन प्रणाली बनाई, जिसे उन्होंने “रैक्टिफायर” (Refrigerator) के रूप में जाना जाता है। यह तकनीक वातानुकूलन को नियंत्रित करने के लिए एक प्रयोगशाला में पहली बार उपयोग की गई थी।
उसके बाद, एयरकंडीशन की तकनीक में विभिन्न सुधार किए गए और इसे व्यापारिक और निवासीय उपयोग के लिए उपलब्ध कराने में सफलता मिली। विलिस कैरियर को एयरकंडीशन के पितामह माना जाता है।
3.परमाणु आपूर्तिकर्ता संगठन क्या है ?
परमाणु आपूर्तिकर्ता संगठन (Nuclear Suppliers Group, NSG) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो परमाणु ऊर्जा से संबंधित सामग्री, तकनीक और यंत्रों की आपूर्ति, निर्यात, और प्रतिबंधन पर नियंत्रण रखता है। इसका गठन 1974 में हुआ था और इसका मुख्यालय पैरिस, फ्रांस में स्थित है।
NSG का प्रमुख उद्देश्य विश्व स्तर पर अवांछित परमाणु और यांत्रिक प्रोग्रामों की प्रशांतता, सुरक्षा और परमाणु स्वरूपों के संरक्षण को सुनिश्चित करना है। NSG के सदस्य देशों को संघर्ष रास्तों का प्रबंधन करने के लिए मानकों का पालन करना होता है और परमाणु संगठनों की व्यापारिक गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए सहयोग करना होता है।
NSG के सदस्य देशों को अवांछित परमाणु और यांत्रिक सामग्री के निर्यात पर नियंत्रण रखना होता है और वे संगठन के सदस्य राष्ट्रों के साथ आपसी सहमति के बिना इस सामग्री की आपूर्ति नहीं कर सकते। इसका उद्देश्य परमाणु और यांत्रिक सामग्री की व्यापारिक यात्रा को नियंत्रित करके विश्व सुरक्षा को सुनिश्चित करना है और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को प्रोत्साहित करना है।
परमाणु आपूर्तिकर्ता संगठन के कार्य क्या क्या हैं ?
परमाणु आपूर्तिकर्ता संगठन (Nuclear Suppliers Group, NSG) के कार्य निम्नलिखित हैं:
नियंत्रण और संरक्षण:
NSG का मुख्य कार्य अवांछित परमाणु और यांत्रिक सामग्री की निर्यात पर नियंत्रण रखना है। सदस्य देशों को इस नियंत्रण का पालन करना होता है और परमाणु और यांत्रिक सामग्री की अवैध उपयोग से बचाने के लिए सुरक्षा उपायों को अपनाना होता है।
नये सदस्यों की मान्यता:
NSG का कार्य नए सदस्यों की मान्यता और उन्हें संगठन के नियमों और मानकों का पालन करने के लिए समर्थन देना भी है। नये सदस्यों को संगठन की सदस्यता के लिए मान्यता प्राप्त करने के लिए विशेष मानदंडों का पालन करना होता है।
नियमों और मानकों का संशोधन:
NSG संगठन के नियमों, मानकों और दिशानिर्देशों का संशोधन करता है। यह नए प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक विकास के साथ अद्यतित रहता है और विश्व स्तर पर परमाणु संरक्षा के लिए उच्चतम मानकों को स्थापित करता है।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: NSG सदस्य देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को संबंधित करता है। यह विशेष रूप से उच्च स्तरीय परमाणु संरक्षा और सुरक्षा प्रदान करने के लिए सहयोग का माध्यम बनता है।
पारदर्शिता: NSG का महत्वपूर्ण लक्ष्य पारदर्शिता को बढ़ावा देना है। संगठन सदस्यों के बीच जानकारी साझा करने, अनुभव बांटने और बेहतर प्रथाओं की अवलोकन करने के माध्यम से उच्चतम मानकों के प्रति सदस्यों की जागरूकता बढ़ाने का कार्य करता है।
NSG एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो परमाणु संरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है। इसका उद्देश्य विश्व स्तर पर परमाणु सामग्री की संग्रहीता, सुरक्षा, और यात्रा का प्रबंधन करके संरक्षा को सुनिश्चित करना है।
परमाणु आपूर्तिकर्ता संगठन में भारत को क्यों शामिल होना चाहिए ?
भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता संगठन (NSG) में शामिल होने के कई कारण हो सकते हैं। यहां कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं:
एकात्मिक परमाणु ऊर्जा:
भारत एक आत्मनिर्भर और विकासशील देश है जो स्वतंत्र रूप से परमाणु ऊर्जा का उपयोग कर रहा है। NSG के सदस्यता में आने से भारत को परमाणु ऊर्जा सेक्टर में अधिकतर तकनीकी और विज्ञानिक सहयोग मिल सकता है।
सुरक्षा और प्रतिबंधन के मामले:
भारत एक जिम्मेदार और विश्वासपात्र देश है जो अपने परमाणु कार्यक्रम को सुरक्षित रखने और अवांछित परमाणु यांत्रिक सामग्री के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए नियमों का पालन करता है। NSG के सदस्यता में आने से भारत को अपने परमाणु यांत्रिक सामग्री को निर्यात करने के लिए अधिक विश्वास प्राप्त हो सकता है।
वैश्विक सहयोग:
NSG का एक महत्वपूर्ण मिशन है परमाणु संरक्षा के लिए वैश्विक सहयोग को सुनिश्चित करना। भारत NSG के सदस्य बनकर एक वैश्विक साझेदारी का हिस्सा बन सकता है और अपने अनुभव और विशेषज्ञता को अन्य सदस्यों के साथ साझा कर सकता है।
विकास के लिए अवसर:
NSG में सदस्यता भारत को परमाणु ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और संगठन से जुड़े अवसर प्रदान कर सकता है। इसके माध्यम से भारत अपने ऊर्जा संगठन को मजबूत कर सकता है, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विकास कर सकता है, और अपने परमाणु यांत्रिक सामग्री के निर्यात के लिए नए बाजार खोल सकता है।
इन कारणों के आधार पर, भारत NSG के सदस्यता में शामिल होने का प्रयास कर रहा है। यह सदस्यता देश को परमाणु संरक्षा में अधिक सहयोग, सुरक्षा, और आपूर्ति के लिए अधिक विश्वास प्रदान कर सकती है।
4.वैगनर समूह
वैगनर समूह रूस के खतरनाक लड़ाकू का एक समूह है। जिसे रूस की सुरक्षा बलों के अलावा विकसित किया गया है।
समूह वैगनआर की स्थापना 2014 में पिरगोजिन नामक रूसी रूसी व्यक्ति ने की थी। इस समूह की स्थापना क्रीमिया पर कब्जा करने के लिए की गई थी। इसमें अधिकांश लड़ाके पूर्व कैदी हैं।
बीबीसी के अनुसार यह ठेके पर लड़ाके उपलब्ध कराने वाला समूह है जो वर्ष 2022 में ही कंपनी के तौर पर पंजीकृत किया गया है और सेंट पीट्सबर्ग में कार्यालय खोला है। शुरुआत में इसकी पास 5000 लड़ाके थी जिनकी संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है।
वैगनर समूह पर मानवाधिकार उल्लंघन करने का आरोप है। वैगनर समूह कई देशों में लड़ता रहा है इतने सीरिया अफ्रीका मोजांबिक लिबिया अन्य देशों पर बड़े पैमाने पर हमले की है एवं मानवीय अधिकार का उल्लंघन किया है।वैगनर समूह पर आस्ट्रेलिया कनाडा जापान यूनाइटेड किंगडम ने भी प्रतिबंध लगा रखा है। अमेरिका में वैगनर समूह पर प्रतिबंध लगा हुआ है। अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि समूह एक गैर कानूनी है।
वैगनर समूह की स्थापना कैसे की गई ?
परगोजिन नामक व्यक्ति कैटरिंग कंपनियों का संचालक करता रहा है वह डकैती और धोखाधड़ी के मामले में जेल जा चुका है। 1990 में 9 वर्ष की कैद छूटने के बाद परगोजिन ने अपने गृह नगर सेंट पीट्सबर्ग में खाने का व्यवसाय शुरू किया वहीं इनकी मुलाकात डिप्टी मेयर पुतिन से हुई अच्छे संबंध बन गए। और यहीं से उन्होंने योजना बनाई एक ऐसा समूह बनाया जाए जहां पर हम पूर्व कैदी रह चुके हैं उनको लड़के के रूप में तैयार किया जाए।
वर्तमान में रूस के हालात क्यों खराब हुए ?
लंबे समय तक रूसी सुरक्षा अधिकारी यह आरोप लगाते रहे हैं कि उन्हें अच्छे हथियार नहीं दिए जा रहे हैं।
इसी के चलते परगोजिन ने रूस के रक्षा मंत्रालय पर आरोप लगाया है कि उन्होंने वैगनर लड़कों के कैंप पर मिसाइल से हमला किया है। अभी हाल में रूस में बैगन समूह के कैंप पर हमला हुआ है इस स्थिति में बैगन समूह एवं रूसी सुरक्षा बल आमने-सामने आ गए हैं।
5.क्यों हो रही है मणिपुर में हिंसा ?
मणिपुर में हिंसा थमने का नाम ले रही है इसका क्या कारण है कि कई दिनों से यह हिंसा चल रही है। इसका कारण संक्षेप में जानेंगे मणिपुर में दो प्रमुख समुदाय हैं मैं मैतेई समुदाय और कुकी समुदाय। मैतेई समुदाय समुदाय गैर जनजातीय समुदाय एक जनजातीय समुदाय है। अभी कुछ दिन पहले उच्च न्यायालय ने कहा है कि मैतेई समुदाय को भी जनजातीय समुदाय में या अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए क्योंकि उनकी स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। हालांकि मैतेई समुदाय की संख्या अधिक है और उनका विस्तार पश्चिमी मणिपुर के कुछ गैर पहाड़ी प्रदेशों पर है।
उच्च न्यायालय के सरकार को सुझाव के बाद प्रारंभ हुई है मैतेई समुदाय जो गैर जनजातीय समुदाय को भी अनुसूचित जाति में अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया तो कुकी जनजातीय समुदाय के अधिकारों पर हमला होगा और इस प्रकार से मणिपुर के पूर्वी भागों में जो अनुसूचित जाति क्षेत्र में भी मैतेई समुदाय के लोगों का प्रवेश प्रवेश हो जाएगा जिससे संसाधनों पर प्रभाव पड़ेगा।
मणिपुर के हिंसा के कई और कारण और भी हैं जैसे मणिपुर के पूर्वी भाग में जनजातीय लोग म्यांमार से सहयोग से भी सहयोग मिल रहा है और वोह उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में अशांति फैलाते हैं।
इसके अलावा पूर्वी पर्वतीय मणिपुर भागों के लोग अफीम एवं अन्य गैर कानूनी क्रियाओं में संलग्न है। उनका मानना है यदि मैतेई समुदाय का यहां प्रवेश हुआ तो हमारी यह गैरकानूनी या गलत कार्यों पर अंकुश लगेगा।अब धीरे धीरे यहाँ यह मुद्दा धार्मिक और राजनैतिक भी रूप लेने लगा लगा है।