06 May 2023 Current Affairs ( Hindi Med.)

                                           06 May 2023 Current Affairs ( Hindi Med.)

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1. National Manufacturing Innovation Survey (NMIS) 2021-22

2. मणिपुर विवाद क्या है ?

3. NGT ने बिहार सरकार पर चार हज़ार करोड़ का जुर्माना लगाया है।

4. कोरोना अब वैश्विक बीमारी नहीं :विश्व स्वास्थ्व संघठन

5. चक्रवात मोका

 

6.कबूतरों को दाना  डालना घातक हो सकता है।

 

1. राष्ट्रीय विनिर्माण नवाचार सर्वेक्षण: कर्नाटक को सबसे ‘अभिनव राज्य का स्थान दिया गया

कुछ दिन पहले विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन  ने मिलकर राष्ट्रीय विनिर्माण नवाचार सर्वेक्षण (NMIS) 2021-22 के आँकड़े जारी किए।इसमें कर्नाटक को सर्वश्रेठ का दर्जा दिया गया है।

 

इस सर्वेक्षण के अनुसार, कर्नाटक सबसे “अभिनव(Innovative)” राज्य है, इसके बाद दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव (DNH&DD), तेलंगाना और तमिलनाडु हैं।

तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में क्रमशःपर अभिनव फर्मों का उच्चतम हिस्सा है । ओडिशा, बिहार और झारखंड ने क्रमशः पर ऐसी फर्मों की सबसे कम हिस्सेदारी की सूचना दी।

वर्ष 2011 में पहला राष्ट्रीय नवाचार सर्वेक्षण जारी किया गया था  इस सर्वेक्षण का उद्देश्य भारतीय विनिर्माण फर्मों का नवोन्मेषी प्रदर्शन का मूल्यांकन करना है।

सर्वेक्षण में यह भी पाया गया है कि सबसे अधिक “नवाचार के लिए बाधाएं” आंतरिक धन की कमी, उच्च नवाचार लागत और बाहरी स्रोतों से वित्तपोषण की कमी है।

 

सर्वेक्षण का महत्व क्या है ?

 

इससे  मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम, विशेष रूप से उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन मिलेगा।

सर्वेक्षण इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोबाइल सहित विभिन्न क्षेत्रों में विनिर्माण में भी प्रोत्साहन मिलेगा

इससे देश में सकारात्मक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।

राज्यों की आय में वृद्धि होगी।

 

2. मणिपुर विवाद क्या है ?

 

नागालैंड में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने की मांग के विरोध में छात्रों के संगठन ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर  ने मार्च बुलाया था और आदिवासी एकता मार्च के नाम से हो रहे प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई।

 

मणिपुर में क्यों हो रहा है विरोध ?

 

मणिपुर में मैतेई समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 60 प्रतिशत है। मैतेई समुदाय  इंफाल घाटी और उसके आसपास के इलाकों में रहता है । समुदाय का कहना रहा है कि राज्य में म्यांमार और बांग्लादेश के अवैध घुसपैठियों की वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

 

मौजूदा कानून के तहत उन्हें राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है। इसी कारण से मैतेई समुदाय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उन्हें जनजातीय वर्ग में शामिल करने की की मांग की थी।

 

हाईकोर्ट ने अपना फैसले सुनाया। इसमें कहा गया कि सरकार को मैतेई समुदाय को जनजातीय वर्ग में शामिल करने पर विचार करना चाहिए। साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इसके लिए चार हफ्ते का समय दिया।इसी फैसले के विरोध में मणिपुर में हिंसा हो रही है।

 

मणिपुर में फैसले का जनजाति विरोध क्यों कर रहे हैं?

 

 जनजातीय संगठनों का कहना है, ‘मैतेई समुदाय को अगर जनजातीय वर्ग में शामिल कर लिया जाता है तो वह उनकी जमीन और संसाधनों पर कब्जा कर लेंगे।’ उनका कहना यह भी है कि विरोध में एक और तर्क दिया जाता है कि जनसंख्या और राजनीतिक प्रतिनिधित्व दोनों में मैतेई का दबदबा है इससे आगे चलकर उन्हें परेशानी होगी।

 

क्या हिंसा की एकमात्र वजह यही है?

 

नहीं और कारण हैं जैसे  भौगोलिक रूप से, राज्य को दो इलाकों, पहाड़ियों और मैदानों में बंटा है। 2011 की जनगणना के अनुसार मणिपुर की जनसंख्या 28,55,794 है। इसमें से 57.2 फीसदी घाटी के जिलों में और बाकी 42.8 फीसदी पहाड़ी जिलों में रहते हैं। मैदानी इलाकों में मुख्य रूप से मैतेई बोलने वाली आबादी रहती है। वहीं, पहाड़ियों में मुख्य रूप से नागा, कुकी जैसी जनजातियां निवास करती हैं। मणिपुर  की मान्यता प्राप्त जनजातियां इन्हीं पहाड़ी क्षेत्रों तक सुरक्षा और वहां जमीन की खरीद पर प्रतिबंध की मांग भी करती रही हैं।इसके चलते यह विरोध और बढ़ जाता है।

 

3. NGT ने बिहार सरकार पर चार हज़ार करोड़ का जुर्माना लगाया है।

 

एन जी टी ने बिहार सरकार पर  4 हजार करोड़ का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया गया है। एनजीटी ने कहा कि जुर्माने की राशि का उपयोग ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं की स्थापना पुराने कचरे के निस्तारण और सीवेज ट्रीचमेंट प्लांट की स्थापना में किया जाएगा।

 

क्यों लगाया गया जुर्माना ?

एन जी टी का कहना है कि बिहार सरकार ठोस एवं गीले कचरे के प्रबंधन न करने के कारण यह जुर्माना लगया गया है। एन जी टी ने कहा कि गीले कचरे से अन्य विकल्प खाद बनाने का है तो भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। एन जी टी ने यह भी कहा इस राशि का इस्तेमाल सेवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनांने के लिए किया जायेगा।

 

क्या एन जी टी ऐसा जुर्माना कभी भी लगा सकता है?

हां लगा सकता क्यूंकि एन जी टी को न्यायकि शक्ति प्राप्त है। यह एक अधिकरण है और अधिकरण को बही अधिकार प्राप्त होते हैं जो एक न्यायालय को होते हैं। एन जी टी का अधिकार क्षेत्र सम्पूर्ण भारत है।

 

एन जी टी क्या है ?

 

 प्रत्येक देश में  पर्यावरण की समस्या है | भारत में प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक बढ़ गया है, इसकी रोकधाम के लिए एक ऐसी संस्था की आवश्यकता अनुभव की गयी जो पर्यावरण से सम्बंधित विषयों के संबंध में  निर्णय ले सके | ऐसी लिए  NGT  की स्थापना की गयी। एन जी टी का पूरा नाम राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण है।

एन जी टी की स्थापना 2010 में एक ससंदीय कानून के तहत हुई। इसका मुख्यालय नई  दिल्ली है। इसे  वही शक्तियां प्राप्त है जो न्यायालय को प्राप्त है। सम्पूर्ण भारत इसके अधिकार क्षेत्र में आता है।

 

एन जी टी का उद्देश्य

 

एन जी टी  का उद्देश्य भारत में पर्यावरण से सम्बंधित मामलों को तेजी के साथ निर्णय प्रदान करना है। इसका मुख्य उद्देश्य है  भारत की न्यायपालिका पर मुकदमों का बोझ कम हो सके | एनजीटी के द्वारा दिए गए निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में 90 दिनों के अंदर याचिका डाली जा सकती है। 

 

 

4.कोरोना अब वैश्विक बीमारी नहीं :विश्व स्वास्थ्व संघठन

 

अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 महामारी को वैश्विक आपातकाल की स्थिति से हटा दिया है। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि वायरस बीमारी और इसका प्रसार अब वैश्विक आपातकाल के रूप में योग्य नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस निर्णय के बाद विनाशकारी कोरोना वायरस अब वैश्विक महामारी नहीं माना मानी जाएगी। हम सब जानते है इस  संक्रमण ने  दुनियाभर के देशों को बंद करने के लिए मजबूर कर दिया था, जिसका असर अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन पर गंभीर रूप से पड़ा।

 

कोरोना 2019 से सम्पूर्ण विश्व में फैला और सम्पूर्ण विश्व में लगभग 2 करोड़ मौतें हुईं। आज विश्व कोरोना द्वारा उत्पन्न की गयी समस्याओं से जूझ रहा। विश्व स्वास्थ्य संगठन  ने सलाह दी है अब हमें अन्य बीमारियों पर भी ध्यान देना चाहिए।

 

 

 

5.मोका क्या है ?

 

भारत में इस साल के पहले तूफान मोका के आने वाला है।  भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इसे लेकर असंकेत दे
दिया है।  यह 2022 में आए चक्रवाती तूफान ‘असानी
जैसा भी हो सकता है।

 

क्या असर हो सकता है ?

 

तूफान मोका 
के कई नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। जैसे अधिक तेज वायु , तेज वर्षा , बाढ़
, मौसम परिवर्तन , जैव विविधता का विनास , जानमाल की हानि

 

क्यों आते हैं तूफ़ान

 

किसी स्थान 
पर तेज हवा चलने का मुख्य कारण तापमान और वायुदाव में परिवर्तन 21  मार्च के बाद सूर्य उत्तरायण होता है अर्थात सूर्य
भूमध्य रेखा पार कर भारत की ओर उत्तरी गोलार्ध में आता है। जिसके कारण समुद्र और स्थल
के तापमान में बदलाव होता है। यही कारण ग्रीष्मकाल  में उत्तरी गोलार्ध में तूफ़ान आते हैं।

 

बंगाल की खाड़ी में ही तूफ़ान क्यों आते है ?

 

भारत के पश्चिम में अरब सागर है और पूरव में बंगाल
की खाड़ी है। बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की तुलना में तूफ़ान अधिक आते हैं क्यूंकि अरब
सागर और भारत की तटीय सीमा मध्य ऊँचा पर्वत है पक्षिमी घाट है जबकि बंगाल की खाड़ी और
भारतीय तटीय सीमा में मध्य अधिक उचाई नहीं जिससे आसानी से बंगाल की खाड़ी से तूफ़ान प्रवेश
कर जाते है। इसके अलावा स्थति और आकार भी कारक है। 

 

6.कबूतरों
को दाना  डालना घातक हो सकता है।

 

मामला क्या है ?

हाल में सामने आया है कि लोग पुण्य पाने की लालसा में पक्षियों को
दाना डालते रहते हैं। लेकिन कभी यह प्रकृति संतुलन को बिगाड़ सकता है यही बात अभी कबूतरों
के बारे में सामने आयी है। वन विभाग और पक्षी वैज्ञानिक लोगों से अपील कर रहे कि लोग
कबूतरों को दाना ना डाले। महाराष्ट्र में थाने नगर निगम में दाने डालने वालों पर
500 तक का जुर्माना लगाने की बात की है।

क्यों घातक है कबूतर ?

कबूतर
की बीट मनुष्य के फेफड़ों के लिए हानिकारक है। कबूतर की बीट क्लीएमडीएआ सिटिकाई नामक
बैक्टीरिया पाया जाया है। डॉ. के अनुसार यह बैक्टीरिया मानव के फेफड़ों में सिटीकोसिस
नम उत्पन्न करता है। डॉक्टरों ने बताया कबूतरों के पंखों में फंगस पाया जाता है जिससे
लोगों में हिस्टोप्लासजमोसिस नामक बीमारी हो जाती जिससे फेफड़े प्रभावित होते हैं। इसके
आलावा यह अन्य छोटे पक्षियों के लिए भी घातक है यह अन्य पक्षियों को दाना नहीं खाने
देते और यह जिस स्थान पर रहते हैं उस स्थान पर अन्य पक्षियों को नहीं रहने देते  हैं।

हमारे देश में कबूतरों को लेकर क्या मान्यता है ?

लोगों
का मानना है कि कबूतर शांति का प्रतीक होते है और इन्हे दाना डालना पुण्य का काम होता
है। इसलिए लोग इन्हे दाना डालते है हमारे समाज में यह धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता
है और बदलना आसान नहीं है।

क्या किया जाना चाहिए ?

 

सरकार की कठोर कदम उठाने चाहिए। जिस प्रकार का कदम थाने नग रनिगम
ने उठाया है बैसा ही सम्पूर्ण देश में लागू किया जाना चाहिए। साथ साथ ही लोगों को इस
समस्या के प्रति जागरूक भी करना चाहिए। प्रशासन दवारा सभी नियम को कड़ाई से लागू करने
होंगे।

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