Daily Current Affairs – 10-JULY-2023

 1.व्हीकल मार्क 3
                                                                                Eng.  click here 

2.Performance Grading Index for Districts

3.वैश्विक उष्णकटिबंधीय प्राथमिक वन क्षेत्रों में गिरावट

4.SC Collegium 

5.Anna Bhagya Scheme

                                  1.व्हीकल मार्क 3

व्हीकल मार्क 3  जिसे जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III (जीएसएलवी एमके III) के रूप में भी जाना जाता है, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित एक तीन चरण वाला मध्यम-लिफ्ट लॉन्च वाहन है। यह भारत के बेड़े में सबसे भारी रॉकेट है और इसकी पेलोड क्षमता अपने पूर्ववर्ती जीएसएलवी एमके II की तुलना में अधिक है।

LVM3 को संचार उपग्रहों को भूस्थैतिक कक्षा में लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, साथ ही भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के तहत चालक दल के मिशन भी। इसका उत्थापन द्रव्यमान 640 टन है और जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में 4,000 किलोग्राम तक की पेलोड क्षमता है।

LVM3 एक तीन चरण वाला वाहन है, जिसमें दो ठोस स्ट्रैप-ऑन मोटर्स (S200), एक तरल कोर चरण (L110), और एक क्रायोजेनिक ऊपरी चरण (C25) शामिल हैं। S200 सॉलिड मोटर्स दुनिया के सबसे बड़े सॉलिड बूस्टर में से एक हैं, जिनका कुल प्रणोदक भार 408 टन है। L110 तरल कोर चरण 115 टन के कुल प्रणोदक भार के साथ एक जुड़वां तरल इंजन विन्यास का उपयोग करता है। C25 क्रायोजेनिक ऊपरी चरण को 28 टन के प्रणोदक लोडिंग के साथ पूरी तरह से स्वदेशी उच्च थ्रस्ट क्रायोजेनिक इंजन (CE20) के साथ कॉन्फ़िगर किया गया है।

LVM3 को छह बार सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया है, सबसे हाल ही में 26 मार्च, 2023 को। इसका उपयोग 2024 में भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के पहले क्रू मिशन को लॉन्च करने के लिए किया जाना निर्धारित है।

यहां LVM3 की कुछ प्रमुख विशेषताएं दी गई हैं:

* दो ठोस स्ट्रैप-ऑन मोटर्स, एक तरल कोर चरण और एक क्रायोजेनिक ऊपरी चरण के साथ तीन चरण वाला वाहन

* 640 टन का उत्थापन द्रव्यमान

* जीटीओ के लिए 4,000 किलोग्राम तक की पेलोड क्षमता

* पूर्णतः स्वदेशी क्रायोजेनिक अपर स्टेज इंजन (CE20)

* छह बार सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया

* 2024 में भारत के पहले क्रू मिशन के लिए उपयोग किए जाने की योजना

LVM3 इसरो के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक बड़ा कदम है। यह एक शक्तिशाली और बहुमुखी प्रक्षेपण यान है जिसका उपयोग आने वाले वर्षों में विभिन्न प्रकार के मिशनों को लॉन्च करने के लिए किया जाएगा।

              2.Performance Grading Index for Districts

जिलों के लिए प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स (Performance Grading Index) एक मापक है जो शिक्षा के क्षेत्र में जिलों की प्रगति को मापने के लिए उपयोगी होता है। यह भारतीय सरकार द्वारा शिक्षा मंत्रालय के तत्वों के साथ सहयोग करके तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य जिलों के शिक्षा के क्षेत्र में प्रदर्शन का मापन करना है और उन्हें उनके क्षेत्र में महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना है।

जिलों के प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स में कई मापक तत्व शामिल होते हैं, जिनमें शिक्षा प्रबंधन, गुणवत्ता और सामरिकता, विद्यालयों का व्यावसायिक प्रबंधन, शिक्षा के क्षेत्र में विनियमन, शिक्षा के लाभार्थियों की भरपाई, विद्यालय सामग्री, शिक्षा न्यूनतम मानकों के लिए बजट, विद्यालय संरचना, शिक्षा प्रदान की गतिविधियाँ, विद्यालय के अध्यापक और कर्मचारियों का संख्यात्मक विवरण, और शिक्षा गवर्नेंस शामिल होते हैं।

इंडेक्स के माध्यम से, जिलों को अपने प्रदर्शन के आधार पर ग्रेड किया जाता है, जिससे सरकार और अन्य स्थानीय प्रशासनिक निकायों को सुधार की आवश्यकता और क्षेत्रों के विकास की आवश्यकताओं को पहचानने में मदद मिलती है। इससे उन्हें उच्चतर स्तर की शिक्षा सेवाओं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सामग्री, और शिक्षा के न्यूनतम मानकों के प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन मिलता है।0

                                      3.वैश्विक उष्णकटिबंधीय प्राथमिक वन क्षेत्रों में गिरावट 

वैश्विक उष्णकटिबंधीय प्राथमिक वन क्षेत्रों में गिरावट के कई कारण हो सकते हैं। निम्नलिखित कुछ प्रमुख कारण हैं:

1. असंतुलित विकास: जब प्राथमिक वन क्षेत्रों के विकास में असंतुलन होता है, जैसे वनों की अनुचित कटाई, अवैध वनों का उपयोग, वन संरक्षण की कमजोरी आदि, तो वन क्षेत्रों में गिरावट होती है।

2. जलवायु परिवर्तन: उष्णकटिबंधीय प्राथमिक वन क्षेत्रों को जलवायु परिवर्तन का सीधा प्रभाव पड़ता है। वैश्विक उष्णकटिबंधीय परिवर्तन के कारण मौसमी पदार्थों में परिवर्तन होते हैं, जिससे वन क्षेत्रों की जलवायु, वर्षा प्रणाली, जलस्तर, और पौधों की प्रकृति पर असर पड़ता है।

3. अनुचित कृषि प्रथाएं: कई बार वन क्षेत्रों को कृषि की आवश्यकताओं के लिए व्यापारिक उपयोग किया जाता है। यह अनुचित कृषि प्रथाएं, खेती के लिए वनों की जगह लेने का परिणाम होती है और उष्णकटिबंधीय प्राथमिक वन क्षेत्रों में गिरावट का कारण बनती है।

4. अवैध वाणिज्यिक कार्य: अवैध वनों का उपयोग, जैसे अवैध लकड़ी कटाई, मारपीट, जंगली जानवरों का व्यापार, वनस्पति उत्पादों की अवैध खपत, आदि वन क्षेत्रों के प्राथमिक वनों की गिरावट का मुख्य कारण है।

क्षेत्रों में गिरावट के परिणाम संक्षिप्त रूप में निम्नलिखित हो सकते हैं:

1. जीव-जंतु और वनस्पति के हानि: वन क्षेत्रों की गिरावट से जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की संख्या में कमी होती है, जिससे जीव जगत की बियाबानी संतुलन में असंतुलन हो सकता है।

2. पर्यावरणीय प्रभाव: वन क्षेत्रों की गिरावट से पर्यावरण पर असामान्य प्रभाव पड़ सकता है, जैसे जलवायु परिवर्तन, धरातली की खाई, जलस्तर में परिवर्तन, जलवायु बदल, जीव-जंतु प्रजातियों की विलुप 

                                   4.एस.सी कॉलेजियम (SC Collegium) 

भारतीय न्यायपीठ का एक प्रमुख संगठनिक निकाय है जिसका कार्यकाल वर्तमान में न्यायपीठ की यात्रा नियमन करने के लिए होता है। इसका मुख्य कार्य न्यायिक नियुक्तियों के संबंध में सिफारिशें करना और उनकी मंजूरी देना है।

एससी कॉलेजियम का गठन एक न्यायिक परिषद के रूप में हुआ है और इसमें न्यायपीठ के मुख्य न्यायाधीश और चार सबसे उच्च न्यायाधीश शामिल होते हैं। इसके द्वारा सिफारिशें की जाती हैं और उन्हें राष्ट्रपति को भेजा जाता है जो फिर उन्हें अधिकारिक रूप से मंजूरी देते हैं।

एससी कॉलेजियम का मुख्य उद्देश्य न्यायपीठ की आवाज़ को सुनिश्चित करना है और न्यायिक नियुक्तियों के मामलों में स्वतंत्र और विचारशील न्याय की सुरक्षा और सुनिश्चितता सुनिश्चित करना है। इसका महत्वपूर्ण उद्देश्य न्यायिक स्वतंत्रता और न्यायपालिका के संरक्षण को बढ़ावा देना है।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) का मुख्य कार्य न्यायिक नियुक्तियों के संबंध में सिफारिशें करना है। यह कॉलेजियम सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा निर्धारित और संचालित किया जाता है। इसके द्वारा कॉलेजियम के सदस्यों के बीच संविदान की आधार पर सुझाव और विचार-विमर्श किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के मुख्य कार्यों में निम्नलिखित शामिल होते हैं:

न्यायिक नियुक्तियाँ: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का मुख्य कार्य न्यायिक नियुक्तियों के मामलों में सिफारिशें करना है। यह मनोनीत और पदोन्नति के मामलों को समीक्षा करता है और उनके संबंध में न्यायिक सिफारिशें देता है। इसके बाद ये सिफारिशें राष्ट्रपति को भेजी जाती है जिसे आवश्यक मंजूरी दी जाती है।

अन्य मामले: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम अन्य विशेष मामलों में भी सिफारिशें करता है। इसमें न्यायिक प्रशासनिक मुद्दों, न्यायिक नियुक्ति की नीतियों और उनसे संबंधित मामलों पर विचार किया जाता है।

संबंधित नियमों का संशोधन: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम न्यायिक नियुक्तियों की संबंधित नियमों और नियमितियों का संशोधन करने की सिफारिश भी कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के द्वारा किए गए सिफारिशों की मंजूरी राष्ट्रपति द्वारा दी जाती है और इसे बाद में न्यायपालिका के तत्वों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य न्यायिक स्वतंत्रता, न्यायपालिका की सुरक्षा, और न्याय की सुनिश्चितता सुनिश्चित करना है 

4.”अन्ना भाग्य योजना

“अन्ना भाग्य योजना” (Anna Bhagya Yojana) कर्नाटक राज्य में चलाई जाने वाली एक सरकारी योजना है जो गरीबी रेखा से नीचे आने वाले लोगों को सस्ते और अन्न सुरक्षा प्रदान करने का उद्देश्य रखती है। इस योजना के अंतर्गत, पात्र गरीब परिवारों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान किया जाता है 

यह योजना प्रमुख रूप से वाणिज्यिक राशन कार्ड धारकों के लिए है, जो गरीबी रेखा से नीचे आते हैं। इन परिवारों को प्रतिवर्ष उनके परिवार के सदस्यों के लिए 7 किलोग्राम गेहूं, राइस और दाल की मात्रा मुफ्त में प्रदान की जाती है। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, और वृद्धों के लिए आपूर्ति बढ़ाई जाती है।

अन्ना भाग्य योजना के माध्यम से गरीब परिवारों को आहारिक सुरक्षा प्राप्त होती है, जिससे उनकी पोषण स्थिति सुधारती है। इससे उन्हें आर्थिक दुविधा से बचाने में मदद मिलती है और उनके परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य और पोषण स्तर को सुरक्षित रखने में सहायता मिलती है। इसके साथ ही, यह योजना गरीब परिवारों को आर्थिक बोझ से राहत प्रदान करके सामाजिक न्याय और समानता को सशक्त करने में मदद करती है।

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