Chapter -1 सौरमंडल में पृथ्वी

Chapter -1 सौरमंडल में पृथ्वी

सूर्यास्त के बाद आकाश में हमें तारे दिखाई देने लगते हैं , जैसे जैसे अंधेरा बढ़ता है आकाश में तारों की संख्या में वृद्धि प्रतीत होती है। कुछ तारे चमकीले और कुछ तारे धुंधले दिखाई देते हैं। इन सभी से अलग चन्द्रमा अधिक चमकीला दिखाई देता है। चन्द्रमा अलग अलग समय पर अलग आकृति का दिखाई देता है। चन्द्रमा पूर्ण रूप से पूर्णिमा को दिखाई देता है। अमावश्या को चन्द्रमा नहीं दिखाई देता है।

तारे एवं चन्द्रमा दिन के समय भी होते हैं लेकिन सूर्य की अधिक रौशनी के कारण हमें दिखाई नहीं देते हैं। दिन और रात्रि में आसमान में चमकने वाले सभी आकाशीय पिण्डों को खगोलीय पिंड कहा जाता है।

आकाश में दिखाई देने वाले आकाशीय पिण्ड दो प्रकार के होते हैं एक वो जिनका अपना ऊर्जा एवं प्रकाश होता है एक जिनका अपना ऊर्जा प्रकाश नहीं होता है।
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में तारों के पास ही केबल ऊर्जा एवं प्रकाश है अन्य आकाशीय पिंडों के पास नहीं। सूर्य भी एक तारा हैं। सूर्य के अलावा भी कई तारे जो अधिक दूर होने कारण छोटे एवं हमसे दूर दिखाई देते हैं।

आसमान में तारों के समूह को नक्षत्रमंडल कहते हैं विग वियर इसी प्रकार का नक्षत्र मण्डल। प्राचीन काल में लोग ध्रुव तारे को देखकर दिशा का पता लगते थे। ध्रुव तारा पृथ्वी के उत्तर दिशा में इसलिए यह अपनी स्थिति पर स्थिर रहता है।

73290cookie-checkChapter -1 सौरमंडल में पृथ्वी

Leave a Comment