Daily Current Affairs – 12-JULY-2023

1.ग्रीनवाशिंग

2.भारतीय मौसम विज्ञान विभाग

3.बास्टिल डे परेड

4.चंद्रयान-3

1.ग्रीनवाशिंग

ग्रीनवाशिंग (Greenwashing) उस अभियांत्रिकी है जिसमें उत्पादों, सेवाओं या कंपनियों को पर्यावरण के मामले में प्रदर्शित किया जाता है कि वे पर्यावरण मित्रपूर्ण या वातावरणिक रूप से सत्यपूर्ण निर्णय पर खरे नहीं उतरते हैं। इसका मकसद यह होता है कि उत्पादों या सेवाओं को एक सकारात्मक छवि दी जाए और पर्यावरण के प्रति चिंतित होने वाले उपभोक्ताओं को प्रभावित किया जाए।

ग्रीनवाशिंग कई रूपों में पाई जा सकती है, जैसे:

  1. अस्पष्ट या भ्रामक लेबल: कंपनियाँ “प्राकृतिक,” “पर्यावरण-मित्रपूर्ण,” या “हरित” जैसे अस्पष्ट शब्दों का प्रयोग कर सकती हैं जबकि उनके दावों को समर्थन करने वाले स्पष्ट परिभाषाएं या प्रमाण प्रदान नहीं करती हैं। ये लेबल उपभोक्ताओं को इस धारणा में ले जा सकते हैं कि उत्पाद वास्तव में वातावरण के अनुकूल हैं जबकि ऐसा नहीं हो सकता है।
  2. अप्रासंगिक या बढ़ाया दावे: ग्रीनवाशिंग इसे ज़ोर देती है कि उत्पाद या सेवा की एक छोटी पर्यावरणिक विशेषता को उजागर करते हुए, उसके सम्पूर्ण पर्यावरणिक प्रभाव को कम कर देती है। कंपनियाँ अपने पर्यावरण संबंधी प्रयासों की महत्ता को बढ़ा सकती हैं जबकि वास्तविक मुद्दों को नजरअंदाज़ कर देती हैं।
  3. पारदर्शिता की कमी: जब कंपनियाँ अपनी पर्यावरण संबंधी अभियांत्रिकी के बारे में जानकारी छिपाएँ या प्रदान करें, तो उपभोक्ताओं के लिए सही चुनाव करना मुश्किल हो जाता है। पारदर्शिता की कमी उत्पादों या सेवाओं के नकारात्मक पर्यावरण प्रभावों या अस्थायी अभियांत्रिकी को छुपा सकती है।
  4. झूठे प्रमाणपत्र या समर्थन: कुछ कंपनियाँ झूठे प्रमाणपत्र बना सकती हैं या भ्रामक समर्थन का प्रयोग कर सकती हैं ताकि उपभोक्ताओं को लगे कि उनके उत्पाद या सेवाएं निश्चित पर्यावरणिक मानकों को पूरा करती हैं। ये प्रमाणपत्र या समर्थन किसी मान्यता प्राप्त संगठन द्वारा स्वीकृत नहीं हो सकते हैं।

ग्रीनवाशिंग की समस्या

यह है कि यह उपभोक्ताओं को गुमराह कर सकती है, पर्यावरण के प्रति सत्यपूर्ण प्रयासों को कमजोर कर सकती है, और पर्यावरण समस्याओं के समाधान की ओर प्रगति को रोक सकती है। जब उपभोक्ताएँ गलत या भ्रामक दावे खोजती हैं, तो यह उनमें संदेह और अविश्वास पैदा कर सकती है।

ग्रीनवाशिंग के खिलाफ लड़ाई में, उपभोक्ताएँ निम्नलिखित कार्यविधियों का पालन कर सकती हैं:

  1. जागरूकता बढ़ाएं: प्रमाणपत्रों और मानकों के बारे में जानें ताकि आप समझें कि वे क्या सूचित करते हैं। कंपनियों के दावों को समर्थन करने के लिए प्रमाणों की खोज करें और उन्हें सत्यापित करने के लिए प्रमाण खोजें।
  2. पारदर्शिता देखें: ऐसी कंपनियों की तलाश करें जो अपनी पर्यावरण संबंधी अभियांत्रिकी के बारे में स्पष्ट और विस्तृत जानकारी प्रदान करती हैं, जिसमें उनकी आपूर्ति श्रृंखला, उत्पादन प्रक्रिया, और निर्माण प्रक्रिया शामिल होती है।

2.भारतीय मौसम विज्ञान विभाग

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Department) भारत सरकार द्वारा संचालित एक महत्वपूर्ण संगठन है जो भारत में मौसम और जलवायु से संबंधित जानकारी प्रदान करता है। यह संगठन 1875 में स्थापित किया गया था और अब विश्वभर में मौसम और जलवायु गवाही के रूप में मान्यता प्राप्त है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की प्रमुख कार्यालय संगठन का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इसके अलावा, विभाग के विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालय और मौसम निगम भारत के कई शहरों में स्थानित हैं।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की मुख्य उपलब्धियों में निम्नलिखित शामिल हैं:

1.मौसम पूर्वानुमान: विभाग मौसम पूर्वानुमान और विस्तृत मौसम विश्लेषण प्रदान करता है। यह लोगों को मौसम की सूचना देता है, जिससे वे अपनी गतिविधियों और योजनाओं को मौसम पर आधारित तरीके से प्रबंधित कर सकें।

2.तूफान चेतावनी: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग तूफानों और चक्रवाती जलवायु के लिए चेतावनी प्रदान करता है। यह जनता को तूफानों से सुरक्षित रहने के लिए उपयुक्त सलाह देता है और तत्परता कार्रवाई की सुविधा प्रदान करता है।

3.जलवायु विज्ञान और अनुसंधान: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग जलवायु विज्ञान और जलवायु संबंधी अनुसंधान में सक्रिय भूमिका निभाता है। यह अध्ययन करता है कि भूमि, वायुमंडल, और समुद्री नीति में हो रहे परिवर्तन कैसे मौसम और जलवायु को प्रभावित कर रहे हैं।

4.आपदा प्रबंधन: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भी सक्रियता दिखाता है। यह आपदा से प्रभावित क्षेत्रों को उचित चेतावनी और जानकारी प्रदान करता है ताकि लोग तत्परता कार्रवाई कर सकें और नुकसान को कम कर सकें।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग भारतीय सरकार, स्थानीय निकायों, वैज्ञानिक संगठनों, और अन्य मौसम संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर भारत में मौसम और जलवायु सेवाएं सुधारने और प्रबंधित करने का काम करता है।

3.बास्टिल डे परेड

बास्टिल डे परेड, जिसे 14 जुलाई सैन्य परेड या Défilé du 14 juillet के रूप में भी जाना जाता है, फ़्रांस में हर साल 14 जुलाई को मनाए जाने वाले बास्टिल डे, यानी फ़्रांसीसी राष्ट्रीय दिवस का हिस्सा है। इस परेड का आयोजन पेरिस के शाँस-एलीज़े में किया जाता है और इसे रंगबिरंगी जश्न का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

बास्टिल डे परेड फ़्रांसीसी सैन्य शक्ति, परंपरा और राष्ट्रीय गर्व का एक महान प्रदर्शन है। यह देश की सशस्त्र सेनाओं को प्रदर्शित करता है, जिसमें फ़्रांसीसी सेना, नौसेना, वायु सेना और विभिन्न सुरक्षा और आपातकालीन सेवाएँ शामिल होती हैं। परेड में आम तौर पर पैदल सैनिकों, सैन्य वाहनों, वायुसेना के विमानों का अवरोहण और चढ़ाव, और सवारी इकाइयों की गतिविधियों का प्रदर्शन किया जाता है। विशेष इकाइयाँ जैसे फ़्रांसीसी विदेशी लगें और गणराज्य संरक्षणबल भी इसमें भाग लेती हैं।

परेड आमतौर पर शुरू होती है जहां फ़्रांस के राष्ट्रपति, अंतर्राष्ट्रीय मेहमानों या महान आदर्शों के साथ, सैनिकों का समीक्षण और सैन्य संगठनों की समीक्षा करते हैं। फ़्रांस का राष्ट्रीय गान, ला मार्सेयेज़, बजाया जाता है, और परेड शाँस-एलीज़े परेड के दौरान चलती है और अंत में प्लास दे ला कॉंकोर्ड पर समाप्त होती है।

4.चंद्रयान-3

चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) भारतीय अंतरिक्ष मिशन है जो चंद्र ग्रह (चांद) की सतह का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो (ISRO) द्वारा प्रबंधित हो रहा है। चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य पहले चंद्रयान-2 मिशन के संघर्षपूर्ण प्रयास के बाद चंद्रयान-2 मिशन के विज्ञापन वाहक यान (Lander) को सफलतापूर्वक चंद्र की सतह पर लैंड कराना है।

चंद्रयान-3 मिशन के लिए इसरो एक नया विज्ञापन वाहक यान (Lander) तैयार कर रहा है, जिसे वीक्रम-3 के नाम से जाना जाता है। यह वाहक यान चंद्र की सतह पर सुरक्षित रूप से लैंड करने का कार्य करेगा। चंद्रयान-3 मिशन में पूर्व उपग्रह चंद्रयान-2 का उपयोग किया जाएगा, जिसमें चंद्रयान-2 मिशन का उपयोग होने वाले उपग्रह (Orbiter) शामिल होगा। चंद्रयान-3 मिशन की योजना वर्ष 2024 के आस-पास है।

चंद्रयान-3 मिशन के माध्यम से भारतीय वैज्ञानिकों का उद्देश्य चंद्र की सतह की गहराईयों, संरचनाओं, और उसमें मौजूद संकेतों का अध्ययन करना है। इसके अलावा, यह मिशन स्थायी लंबित उपग्रह (Rover) के माध्यम से वैज्ञानिकों को चंद्र की सतह पर सैंपल कलेक्शन करने और उन्हें वापस धरती पर लाने की क्षमता प्रदान करेगा। यह सैंपल्स की वापसी अनुसंधान करके चंद्र के मूल स्वरूप और उसके ग्रहणीय इतिहास को समझने में मदद करेगा।

चंद्रयान-3 मिशन भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो वैज्ञानिक अनुसंधान

, टेक्नोलॉजी विकास, और राष्ट्रीय गर्व को बढ़ाने के लिए अवसर प्रदान करेगा। इसके अलावा, इस मिशन से भारत अंतरिक्ष विज्ञान में आगे बढ़ेगा और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान को मजबूत करेगा।

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